गरीब मरीजों की दवाएं डकार रहे अफसर
लखनऊ। कार्यालय संवाददाता सरकारी अस्पतालों में लोकल परचेज (एलपी) के नाम पर मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। नियम और कानून ताक पर रखकर दवाओं का ठेका चुनिंदा मेडिकल स्टोर को दिया जा रहा है। अफसर व...
लखनऊ। कार्यालय संवाददाता सरकारी अस्पतालों में लोकल परचेज (एलपी) के नाम पर मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। नियम और कानून ताक पर रखकर दवाओं का ठेका चुनिंदा मेडिकल स्टोर को दिया जा रहा है। अफसर व मेडिकल स्टोर संचालक साठगांठ कर नियमानुसार तय छूट से अधिक दर पर दवाएं खरीद रहे हैं। गरीब मरीजों के बजट पर अफसर व मेडिकल स्टोर संचालक लूट मचाएं हैं। 10 से 12 करोड़ है बजट बलरामुपर, लोहिया और सिविल अस्पताल में हर साल 10 से 12 करोड़ रुपये की दवाएं लोकल परचेज के बजट से खरीदी जा रही हैं। यह दवाएं तय मेडिकल स्टोर से खरीदी जा रही हैं। नियमानुसार इन मेडिकल स्टोरो को प्रिंट रेट से 10 फीसदी की छूट पर अस्पतालों को दवाएं उपलब्ध करानी चाहिए। पर, अफसर की मिलीभगत से तय कीमत से महज सात फीसदी छूट पर अस्पतालों को दवाएं मिल रही हैं। हालात यह है कि चेहते मेडिकल स्टोर को ठेका देने के लिए नियमों को ताक पर रख दिया गया है। अस्पताल से पांच किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर मेडिकल स्टोर नहीं होना चाहिए। ताकि मरीजों को समय पर दवाएं मिल सकें। लेकिन लोहिया व बलरामपुर अस्पताल ने इस नियम की अनदेखी की। मरीजों के बजट पर बंदरबांट जो दवाएं अस्पतालों में उपलब्ध नहीं होती हैं उन्हें अधिकारियों को खरीदकर उपलब्ध करानी होती है। यह दवाएं ओपीडी व भर्ती मरीजों को मिलनी चाहिए। पर, अभी भी गरीब मरीजों को दवाएं नहीं मिल रही है। मरीज बाजार से दवाएं खरीदने को मजबूर हैं।