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कलाकर तो हर किसी के मन में छुपा होता है

कलाकार हर किसी के मन में होता है। बस उसे सही मंच मिलने की जरूरत होती है। कला किसी पेशे की मोहताज नहीं। जरूरी नहीं है कि सिर्फ गायक ही अच्छा गीत गा सके। डॉक्टरों में भी प्रतिभाओं की कमी नहीं है। ये...

कलाकर तो हर किसी के मन में छुपा होता है
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊSun, 23 Jul 2017 10:47 PM
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कलाकार हर किसी के मन में होता है। बस उसे सही मंच मिलने की जरूरत होती है। कला किसी पेशे की मोहताज नहीं। जरूरी नहीं है कि सिर्फ गायक ही अच्छा गीत गा सके। डॉक्टरों में भी प्रतिभाओं की कमी नहीं है। ये बातें नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित अग्रवाल ने कही। डॉ. अमित अग्रवाल ने कहा कि हर किसी में कला बचपन से ही छुपी रहती है। बस उसका प्रदर्शन सही समय और सही जगह पर होना चाहिये। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों के पास समय की कमी होती है क्योंकि डॉक्टरी पेशे में पढ़ाई हर समय करनी होती है। नया सीखने का सिलसिला भी चलता रहता है। डॉक्टरों में यह जज्बा हमेशा कायम रहना चाहिए। बिना इसके मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मुहैया करा सकते हैं। डॉ. प्रियंका तिवारी ने कहा कि डॉक्टरों को हरफनमौला होना चाहिए। गीत-संगीत से मन को खुशी प्रदान करता है। -------------------------------- कला के माध्यम से तनाव को दूर किया जा सकता डॉक्टरों का काम हमेशा जान बचाना होता है। पर अपनी कला व हुनर से भी लोगों को खुश करने की कला आनी चाहिये। यह हमारे पेशे की सबसे बड़ी चुनौती है। डॉक्टरी पेशे में तनाव बहुत है। इसे सिर्फ कला के माध्यम से ही दूर किया जा सकता है। जब तनाव नहीं होगा तभी हम अपने काम को और बेहतर कर सकते हैं। डॉ. रोहित गोपाल, इलाहाबाद -------------------------------- मन की खुशी भी जरूरी डॉक्टरी पेशा तो दूसरों के दुख और पीड़ा को दूर करने के लिए है। ऐसा करके आत्मसंतुष्टि मिलती है। इलाज के दौरान मरीजों की पीड़ा देखकर कई बार मन दुखी हो जाता है। ऐसे में गीत-संगीत ऐसा तनाव दूर करने का सबसे आसान जरिया है। जब भी वक्त मिलता है संगीत की धुन में रम जाता हूं। इससे काम करने की नई ऊर्जा मिलती है। डॉ. डीएस नेगी, निदेशक, लोहिया अस्पताल ये रहे अव्वल ए अलिया को प्रथम पुरुस्कार मिला। दूसरे स्थान पर माधवी प्रवीन रहीं। तीसरे पायदान पर तृषा रहीं। वहीं डॉक्टरों की श्रेणी में डॉ. प्रियंका तिवारी ने प्रथम स्थान हासिल किया। अमित अग्रवाल दूसरे स्थान पर रहे। डॉ. रोहित गोपाल तीसरे स्थान पर रहे। इन्होंने गाए गीत फैजल नसीम डॉ. विश्वास वर्मा मधुमिता तनिष्ठापुरी मुकुल बर्नेर्जी केयुर मृदुल लाल मंसूर आलम निशांत सिंहा। मलिन बस्ती के बच्चों ने की खूब मस्ती मलिन बस्ती के बच्चों ने भी कार्यक्रम में खूब मस्ती की। गाने की धून पर झूमे। चॉकलेट खाई। कॉफी पी और कोल्ड ड्रिक की चुस्की ली। इसके बाद मंच पर पहुंचे। तो उन्हें सम्मान के रूप में स्कूल बैग प्रदान किए गए। नए बैग पाकर बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वे मंच पर ही झूमने लगे। प्रेक्षागृह में मौजूद दूसरे बच्चे भी मंच पर आ गए। उन्होंने भी मलिन बस्ती के बच्चों के साथ ठुमके लगाए।

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