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प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों का सांस लेना महंगा

-सरकारी अस्पताल महंगी दर पर ऑक्सीजन खरीदने को मजबूर -जीएसटी हटाने की मांग को लेकर एनस्थीसिया एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री को लिखी चिट्टठी लखनऊ। कार्यालय संवाददाता प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों का सांस...

प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों का सांस लेना महंगा
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊFri, 14 Jul 2017 09:13 PM
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-सरकारी अस्पताल महंगी दर पर ऑक्सीजन खरीदने को मजबूर -जीएसटी हटाने की मांग को लेकर एनस्थीसिया एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री को लिखी चिट्टठी लखनऊ। कार्यालय संवाददाता प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों का सांस लेने भी महंगा हो गया है। असल में जीएसटी लगने से ऑक्सीजन महंगी हो गई है। जो ऑक्सीजन पांच फीसदी टैक्स देकर अस्पतालों को मिल रही थी अब वह 18 फीसदी जीएसटी चुकाने के बाद मिल रही है। इसका फर्क सरकारी अस्पतालों में तो नहीं पड़ रहा है लेकिन प्राइवेट अस्पतालों में इसकी वसूली मरीजों से शुरू कर दी है। सरकारी के अलावा लखनऊ में डेढ़ हजार से ज्यादा प्राइवेट अस्पताल हैं। लखनऊ में दो कंपनियां ऑक्सीजन की सप्लाई कर रही हैं। इनमें आने वाले 70 से 80 फीसदी मरीजों को ऑक्सीजन लगाई जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि अभी तक ऑक्सीजन पर पांच फीसदी टैक्स अदा करना पड़ रहा था। जीएसटी लागू होने के बाद यह टैक्स बढ़कर 18 फीसदी हो गया है। इसकी वजह से इलाज महंगा हो गया है। सरकारी अस्पतालों में छूट व टैक्स के बाद 10 रुपये से लेकर 25 रुपये किलो तक की लिक्विड गैस खरीदी जा रही है। अब इस पर 18 फीसदी जीएसटी चुकानी पड़ रही है। यही हाल प्राइवेट अस्पतालों का भी है। दवा कारोबारियों का कहना है कि जीएसटी को तीन स्लैब में बांटा गया है। कुछ दवाएं 12 फीसदी जीएसटी के दायरे में आई हैं। कुछ दवाएं 18 फीसदी के दायरे में लाई गई हैं। वहीं कुछ दवाओं पर 28 फीसदी जीएसटी लागू की गई है। एनस्थीसिया एसोसिएशन ने पीएम को लिखी चिट्टठी ऑक्सीजन गैस समेत मरीज को बेहोशी के लिए दी जाने वाली 10 तरीके की दवाओं की कीमतों में भी खासा इजाफा हुआ है। इन दवाओं पर पांच फीसदी टैक्स अस्पतालों को चुकाना पड़ रहा था। जीएसटी लागू होने के बाद 12 फीसदी टैक्स अदा करना पड़ रहा है। शहर के एनस्थीसिया संघ ने मरीजों को महंगाई की मार से बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्टठी लिखी है। छह जुलाई को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर ऑक्सीजन समेत एनस्थीसिया विभाग में इस्तेमाल होने वाली अहम जीवनरक्षक दवा व इंजेक्शन पर जीएसटी हटाने की मांग की है। इसके अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, उप्र के मुख्य सचिव, स्टेट काउंसिल ऑफ जीएसटी के सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव व चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक को भी पत्र भेजा है। लोहिया संस्थान के कुछ वरिष्ठ अफसर ने भी इसमें सहमति जाहिर की है। ऑक्सीजन खपत संबंधी फैक्ट फाइल -केजीएमयू में प्रत्येक तीन दिन में 14000 लीटर लिक्विड ऑक्सीजन गैस की खपत हो रही है -केजीएमयू में रोजाना 200 से 300 छोटे ऑक्सीजन सिलेंडर खप रहे हैं -पीजीआई में रोजाना 2000 लीटर लीटर लिक्विड ऑक्सीजन गैस खर्च हो रही है -बलरामपुर अस्पताल मे 1900 से 2200 छोटे-बड़े ऑक्सीजन सिलेंडर मरीजों की जान बचाने में हर माह इस्तेमाल हो रहे हैं -सिविल अस्पताल में 400 से 500 ऑक्सीजन सिलेंडर हर माह खर्च हो रहे हैं -लोहिया अस्पताल में 500 से 600 सिलेंडर हर महीने खप रहे हैं। वर्जन ऑक्सीजन समेत दूसरी जीवनरक्षक दवाओं की कीमतों में इजाफा तय हो गया है। इसका भार मरीजों पर पड़ना तय है। जोड़ों के दर्द से निजात दिलाने में कई फूड सप्लीमेंट कारगर हैं। फूड सप्लीमेंट पर 28 फीसदी तक जीएसटी लगाया गया है। बेहोशी की दवाओं की कीमतों में भी इजाफा हुआ है। डॉ. अनूप अग्रवाल, महासचिव, लखनऊ नर्सिंग होम एसोसिएशन मरीजों से ऑक्सीजन का पैसा नहीं लिया जा रहा है। हां अब केजीएमयू को महंगी दर पर ऑक्सीजन मिलेगी। परिसर में सात लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट हैं। इससे मरीजों को काफी राहत मिली है। डॉ. एसएन शंखवार, सीएमएस, केजीएमयू अभी तक पीजीआई को 10 रुपये 35 पैसे में एक लीटर ऑक्सीजन मिल रही है। जीएसटी लगने के बाद इसमें इजाफा होगा लेकिन मरीजों से इसका शुल्क नहीं लिया जाएगा। पहले की तरह मरीजों को ऑक्सीजन मुफ्त मुहैया कराई जाएगी। डॉ. अमित अग्रवाल, सीएमएस, पीजीआई

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