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ट्रॉमा सेंटर में बिना इलाज थमी मासूम की सांसें

लखनऊ। कार्यालय संवाददाता केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर की बदहाल व्यवस्था ने मासूम की जान ले ली। पिता मासूम की जान बचाने के लिए इधर-उधर भटकता रहा लेकिन समुचित इलाज नहीं मिला। ट्रॉमा की बदइंतजामी से मासूम की...

ट्रॉमा सेंटर में बिना इलाज थमी मासूम की सांसें
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊSat, 01 Jul 2017 08:10 PM
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लखनऊ। कार्यालय संवाददाता केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर की बदहाल व्यवस्था ने मासूम की जान ले ली। पिता मासूम की जान बचाने के लिए इधर-उधर भटकता रहा लेकिन समुचित इलाज नहीं मिला। ट्रॉमा की बदइंतजामी से मासूम की सांसें थम गई। वहीं ट्रॉमा सेंटर में गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्ची को भर्ती नहीं किया। पांच घंटे भटकने के बाद जब इलाज नहीं मिला तो परिवारीजनों ने मासूम को गोमतीनगर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया। प्रसव पीड़ा के बाद हरदोई निवासी मुन्नी देवी को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां प्रसव हुआ। प्रसव के बाद शिशु को सांस लेने में तकलीफ हुई। डॉक्टरों ने शिशु को वेंटीलेटर की जरूरत बताई। उसे ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया। परिवारीजन शुक्रवार रात साढ़े 10 बजे शिशु को लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। पिता सीताराम का आरोप है कि डॉक्टरों ने शिशु को भर्ती करने में आनाकानी शुरू कर दी। बेड खाली न होने का बहाना बताया। ऊपर से नीचे तीन घंटे तक दौड़ाते रहे। आखिर में डॉक्टरों ने शिशु को डफरिन अस्पताल रेफर कर दिया। पर, बच्चे की हालत खराब होते देख बेबस परिवारीजन कैजुअल्टी वार्ड के सामने रोने लगे। डॉक्टरों ने रोते-बिलखते परिवारीजनों की फरियाद नहीं सुनी। समय पर इलाज न मिलने से आखिर में शिशु की सांसें थम गई। ---------------- नोट.....शिशु को फोटो है बिना इलाज ट्रॉमा से मासूम को भगाया -बेबस परिवारीजनों ने शिशु को भर्ती कराया प्राइवेट अस्पताल में लखनऊ। कार्यालय संवाददाता ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टरों की संवेदनहीनता ने मासूम की जान खतरे में डाल दी है। असल में मासूम को डॉक्टर ने भर्ती नहीं किया। घंटों भटकाने के बाद बेड खाली न होने की बात कहते हुए शिशु को रेफर कर दिया। निराश परिवारीजनों ने गंभीर हाल में शिशु को गोमतीनगर स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। सुलतानपुर स्थित हलियापुर निवासी मारुतेंद्र प्रताप सिंह की पत्नी शिवांगी की नवजात बेटी को गंभीर हाल में ट्रॉमा सेंटर लाया गया। बच्ची को सांस लेने में परेशानी थी। शुक्रवार सुबह परिवारीजन शिशु को लेकर ट्रॉमा पहुंचे। घंटों डॉक्टरों के सामने मासूम को भर्ती करने की गुहार लगाई। पिता मारूतेंद्र का आरोप है कि डॉक्टरों ने बच्ची को देखा तक नहीं। उसे लोहिया अस्पताल रेफर कर दिया। परिवारीजन शिशु को लेकर लोहिया अस्पताल आए। यहां भी बच्ची को भर्ती नहीं किया। फिर परिवारीजन ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। उखड़ती सांसे देखने के बावजूद डॉक्टरों का दिल नहीं पसीजा। आखिर में परिवारीजनों ने शिशु को प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराने का फैसला किया। गोमतीनगर स्थित निजी अस्पताल में शिशु को भर्ती कराया।

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