राष्ट्रपति के समक्ष उठाया स्वच्छकारों के कल्याण का मुददा, शैक्षिक पाठयक्रम में बाबा साहब का जीवन दर्शन हो शामिल
- राष्ट्रपति के समक्ष उठाया स्वच्छकारों के कल्याण का मुद्दा - अम्बेडकर महासभा ने राष्ट्रपति को सौंपा अनुरोध पत्र विशेष संवाददाता - राज्य मुख्यालय अंबेडकर महासभा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मांग...
- राष्ट्रपति के समक्ष उठाया स्वच्छकारों के कल्याण का मुद्दा - अम्बेडकर महासभा ने राष्ट्रपति को सौंपा अनुरोध पत्र विशेष संवाददाता - राज्य मुख्यालय अंबेडकर महासभा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मांग की है कि बाबा साहब भीम राव अंबेडकर के जीवन दर्शन को शैक्षिक पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए। साथ ही उनके समक्ष स्वच्छकारों के कल्याण का मुद्दा भी उठाया गया। महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा.लालजी प्रसाद निर्मल ने बाबा साहब के अस्थिकलश पर पुष्पाजंलि अर्पित करने के बाद संक्षिप्त बातचीत में राष्ट्रपति से कहा कि उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में आज भी हाथ से मैला उठाने का कलंकित पेश चला आ रहा है। स्वच्छता भारत अभियान के यज्ञ की पूर्णाहूति तब तक पूरी नहीं हो सकती जब तक हाथ से मैला साफ करने की कुप्रथा का समूल नाश न हो। डा. निर्मल ने बताया कि राष्ट्रपति ने उनकी बातों को ध्यानपूर्वक सुना और सहमति जताते हुए कहा कि वह अपने स्तर से भी हाथ से मैला साफ करने की कुप्रथा को खत्म करने के लिए उचित प्रयास करेंगे। डा. निर्मल ने राष्ट्रपति को एक अनुरोध पत्र भी सौंपा। अनुरोध पत्र में कहा गया कि बाबा साहब के विचारों का प्रचार-प्रसार आमजन तक पहुंचे इसके लिए जरूरी है कि प्राथमिक, बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा के पाठयक्रमों में डा.अम्बेडकर के जीवन दर्शन और विचारों का समावेश किया जाए। अनुरोध पत्र में कहा गया है कि आजादी से पूर्व दलितों के पास अपनी भूमि नहीं थी और आजादी के बाद भी व्यवस्थित तरीके से न तो उन्हें भूमि ही मिली और न ही इसका मुआवजा मिला। इसलिए महासभा का प्रस्ताव है कि ऐसे दलित जो पूरी तरह भूमिहीन हैं और जिन्हें आरक्षण का आज तक कोई लाभ नहीं मिल सका है उन्हें अनुसूचित जाति-जनजाति सब प्लान के तहत जमीन खरीद कर उपलब्ध करवाई जाए। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि भारतीय संविधान में अंकित संवैधानिक आरक्षण व्यवस्था का कड़ाई से अनुपालन करवाया जाए। इस अवसर पर महासभा की उपाध्यक्ष डा.सत्या दोहरे, श्रीमती बीना मौर्या, मूर्तिकार अमरनाथ प्रजापति, जय विलास, रामचन्द्र पटेल, हरीशचन्द्र, मिथिलेश गौतम, जयशंकर सहाय और जगनारायण आदि मौजूद थे।