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प्राइवेट तो दूर एलडीए की कालोनियों का नहीं हो पा रहा हस्तानान्तरण

2010 से चल रहा है एलडीए की कालोनियों का नगर निगम को हस्तानान्तरित करने का मामला लखनऊ। जब एलडीए की विकसित कालोनियां नगर निगम को नहीं हस्तानान्तरित हो पा रही हैं तो प्राइवेट कालोनियां को कौन कहे।...

प्राइवेट तो दूर एलडीए की कालोनियों का नहीं हो पा रहा हस्तानान्तरण
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊSat, 19 Aug 2017 07:36 PM
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2010 से चल रहा है एलडीए की कालोनियों का नगर निगम को हस्तानान्तरित करने का मामला लखनऊ। जब एलडीए की विकसित कालोनियां नगर निगम को नहीं हस्तानान्तरित हो पा रही हैं तो प्राइवेट कालोनियां को कौन कहे। एलडीए 2010 से अपनी छह कालोनियां नगर निगम को हस्तानान्तरित करने के प्रयास में लगा है लेकिन अभी तक एक भी कालोनी का हस्तानान्तरण नहीं हो पाया है। अभी तक कालोनियों के हस्तानान्तरण के लिए एक दर्जन बार संयुक्त सर्वे हुआ है। फिर भी कोई नतीजा नहीं निकला। एलडीए ने अपनी छह कालोनियों का विकास करीब आठ साल पहले ही पूरा कर दिया था। तभी से प्राधिकरण इन कालोनियों को नगर निगम को हस्तानान्तरित करने के प्रयास में लगा है। लेकिन यह नगर निगम को हस्तानान्तरित नहीं हो पा रही है। इसके पीछे बजट बड़ी वजह बतायी जा रही है। नगर निगम इन कालोनियों को लेने के लिए जो बजट मांगता है उसे एलडीए नहीं दे पा रहा है। इसको लेकर अब तक एक दर्जन से ज्यादा बार एलडीए व नगर निगम के इंजीनियर संयुक्त सर्वे कर चुके हैं। कालोनियों को लेने के लिए नगर निगम ने एलडीए को पिछले तीन बार जो प्रस्ताव दिया उसमें मामला केवल बजट पर ही अटक गया। निगम ने कालोनियों के मेंटीनेंस के लिए जो रकम मांगी उसे एलडीए काफी ज्यादा बता रहा है। पांच वर्ष पहले संयुक्त सर्वे में एलडीए व नगर निगम ने जो रिपोर्ट तैयार की उसमें दोनों का हस्तानान्तरण के बजट में जमीन आसमान का अंतर था। एलडीए की तुलना में नगर निगम का मेंटीनेंस का बजट पांच गुना ज्यादा था। नगर निगम करीब 200 करोड़ रुपए मांग रहा था। ------------------- इन कालोनियों का होना है हस्तानान्तरण गोमतीनगर कालोनी के विभूतिखण्ड, विराजखण्ड, विकल्पखण्ड, जानकीपुरम विस्तार के सेक्टर एच व जे, रतनखण्ड, कानपुर रोड के सेक्टर आई व जे तथा मानसरोवर योजना का हस्तानान्तरण नगर नगर निगम को होना है। इसके अलावा ट्रांसपोर्टनगर योजना का भी अभी नगर निगम को हस्तानान्तरण नहीं हो पाया है। एलडीए इसे भी नगर निगम को सौंपने के प्रयास में लगा है। ------------------------- नहीं हो पाएगा प्राइवेट कालोनियों का हस्तानान्तरण इन्टीग्रेटेड व हाईटेक टाउनशिप का लाइसेंस लेकर टाउनशिप विकसित करने वाले प्राइवेट बिल्डरों की कालोनियां का हस्तानान्तरण भी आने वाले समय में होना मुश्किल होगा। जब सरकारी संस्था की ओर से विकसित कालोनी के हस्तानान्तरण में दिक्कतें आ रही हैं तो प्राइवेट की बात तो बहुत दूर है। बिल्डरों की ओर से विकसित की जा रही प्राइवेट कालोनियों में कोई सुविधाएं नहीं हैं। आने वाले दिनों में इन कालोनियों में मकान व प्लाट खरीदने वालों के सामने भारी दिक्कतें आएंगी। क्योंकि बिल्डर जमीन बेचकर भाग जाएंगे। फिर इनमें मेंटीनेंस नहीं हो पाएगा। आशियाना कालोनी इसका उदाहरण है। यह कालोनी आज तक नगर निगम को नहीं हस्तानान्तरित हो पायी है। 25 साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। लोग परेशान हैं। बिल्डर जमीन बेचकर किनारे हो गया है।

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