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ब्रम्हदत्त द्विवेदी हत्याकांड में पूर्व सपा विधायक की सजा बरकरार

सीबीआई कोर्ट ने वर्ष 2003 में सुनाई थी सजा सजा के खिलाफ अपील खारिज लखनऊ। विधि संवाददाताहाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने भाजपा के पूर्व मंत्री ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक...

ब्रम्हदत्त द्विवेदी हत्याकांड में पूर्व सपा विधायक की सजा बरकरार
Center,LucknowFri, 26 May 2017 07:45 PM
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सीबीआई कोर्ट ने वर्ष 2003 में सुनाई थी सजा सजा के खिलाफ अपील खारिज लखनऊ। विधि संवाददाताहाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने भाजपा के पूर्व मंत्री ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक विजय सिंह व उसके साथी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा को सत्र न्यायालय द्वारा सुनाई गई उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा है। न्यायालय ने इस सजा के खिलाफ दोनों अभियुक्तों की ओर से दाखिल अपीलों को खारिज कर दिया है। संजीव माहेश्वरी पहले से ही हत्या के आरोप में जेल में है जबकि न्यायालय ने विजय सिंह को 5 जून को सत्र न्यायालय के समक्ष आत्म समर्पण करने का आदेश दिया है। यह फैसला न्यायमूर्ति अजय लांबा व न्यायमूर्ति डॉ. विजयलक्ष्मी की खंडपीठ ने विजय सिंह व जीवा की ओर से अलग-अलग दाखिल अपीलों को शुक्रवार को खारिज करते हुए दिया। अपील करने वाले ने अपर सत्र न्यायाधीश, लखनऊ के 17 जुलाई 2003 के आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि उन्हें दोषसिद्ध करने व सजा सुनाने में भारी भूल की गई थी। कहा गया था कि निचली अदालत के सामने उन्हें दोषसिद्ध करने के लिये पर्याप्त साक्ष्य नहीं थे। उन्हें ब्रह्मदत्त द्विवेदी के रिश्तेदारों की झूठी गवाही पर सजा सुना दी गई जबकि मृतक के करीबी रिश्तेदारों की गवाही को विश्वसनीय नहीं माना जाना चाहिए था। कुल सत्ताइस पेशियों तक चली सुनवाई में न्यायालय ने पाया कि ट्रायल कोर्ट का फैसला पूरी तरह सही था। न्यायालय ने कहा कि ब्रह्मदत्त द्विवेदी व उनके गनर की हत्या के लिए और ड्राइवर रिंकू की हत्या का प्रयास करने के आरोपों को अभियोजन ने बिना किसी संदेह के साबित किया है। नजदीकी रिश्तेदारों की गवाही को विश्वसनीय न मानने का कोई कारण नहीं है व उनकी गवाही अन्य साक्ष्यों से मेल खाती है। यह है मामलाभाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की 9/10 फरवरी 1997 की मध्यरात्रि को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उनके साथ उनके गनर बीके तिवारी को भी गोली लगी थी जिसकी भी मौत हो गई थी। घटना में उनके ड्राइवर शेर सिंह उर्फ रिंकू को भी चोटें आई थीं। घटना उस समय हुई थी जब भाजपा नेता एक तिलक समारेाह से देर रात लौट रहे थे। घटना की प्राथमिकी द्विवेदी के भतीजे सुधांशु दत्त द्विवेदी ने फर्रुखाबाद के कोतवाली थाने में लिखाई थी। बाद में मामले की विवेचना सीबीआई को दी गयी थी। सीबीआई ने जांच के बाद आठ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र प्रेषित किया था। अभियुक्तों के खिलाफ ट्रायल कोर्ट ने 23 जुलाई 2001 को आरोय किया था। विचारण के दौरान अभियुक्त रमेश ठाकुर की मौत हो गई थी। विचारण के दौरान सीबीआई ने 67 गवाह पेश किये थे। 17 जुलाई 2003 को सुनाये गए अपने फैसले में ट्रायल कोर्ट ने विजय सिंह व जीवा को हत्या व हत्या के प्रयास का दोषी करार दिया था व दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। यह बना सजा का आधार मामले में अभियोजन ने कुल 67 गवाह पेश किए। जिनमें तीन गवाह सुधांशु दत्त द्विवेदी, प्रभु दत्त द्विवेदी व विजय कुमार दूबे ने प्रत्यक्षदर्शी के तौर पर गवाही दी। तीनों ने बताया कि उन्होंने विजय सिंह व उसके तीन साथियों को ब्रम्हदत्त द्विवेदी और उनके गनर पर गोली चलाते देखा। इसके अलावा हितेश अग्रवाल के घर तिलक समारोह में आए तमाम लोगों समेत कायमगंज के तत्कालीन विधायक सुशील शाक्य ने भी अभियोजन के पक्ष में गवाही दी। विवेचना के दौरान संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा का नाम आया। जिसे सीबीआई ने 22 अप्रैल 1997 को मेरठ से गिरफ्तार किया। उसके पास बरामद पिस्टल की फॉरेंसिक जांच में इस बात की पुष्टि हुई कि उक्त हथियार का हत्या में इस्तमाल किया गया था। इसके पूर्व विजय सिंह को दिल्ली से 2 मार्च 1997 को गिरफ्तार किया गया था।

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