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गुरु पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालुओं ने सरयू में लगायी डुबकी

गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर बूंदाबांदी के बीच लाखों श्रद्धालुओं ने रविवार को सरयू में आस्था की डुबकी लगायी। सरयू स्नान के बाद श्रीराम जन्मभूमि में विराजमान रामलला, हनुमानगढ़ी, कनक भवन व नागेश्वर...

गुरु पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालुओं ने सरयू में लगायी डुबकी
वरिष्ठ संवाददाता,अयोध्याSun, 09 Jul 2017 04:08 PM
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गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर बूंदाबांदी के बीच लाखों श्रद्धालुओं ने रविवार को सरयू में आस्था की डुबकी लगायी। सरयू स्नान के बाद श्रीराम जन्मभूमि में विराजमान रामलला, हनुमानगढ़ी, कनक भवन व नागेश्वर नाथ समेत अन्य प्रमुख मंदिरों में दर्शन-पूजन किया। इसी कड़ी में रामनगरी के विभिन्न आश्रमों में अपने गुरुओं को श्रद्धा निवेदित करते हुए आशीर्वाद ग्रहण किया। 
गुरु पूर्णिमा पर्व के मौके पर श्रद्धालुओं के अयोध्या आने का सिलसिला एक दिन पूर्व शनिवार से ही शुरू हो गया था। रविवार को भोर से यहां आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती गयी। प्रदेश के ही नहीं देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों की तादात में गुरु पूर्णिमा पर्व पर अपने गुरुओं का आशीर्वाद लेने के लिए श्रद्धालु यहां सपरिवार पहुंचे। भोर से ही सरयू में बूंदाबांदी के बीच स्नान का दौर शुरू हो गया। सरयू नदी में बाढ़ को देखते हुए अयोध्या के घाटों पर सीढ़ियों के किनारे जल बैरीकेडिंग भी की गई थी। इसी बैरीकेडिंग के भीतर रह कर श्रद्धालुओं ने स्नान किया। भोर से शुरू हुआ स्नान व दान का दौर पूरे दिन चलता  रहा। स्नान करने के बाद श्रद्धालु मंदिरों के साथ अपने गुरुओं के आश्रमों की ओर रवाना होते रहे। 

बेतरतीब यातायात, प्रशासन नदारद
सरयू स्नान, मंदिर में दर्शन और आश्रमों में गुरु धर्माचार्यों से आशीर्वाद लेने के लिए लाखों की तादात में आये श्रद्धालुओं को कई तरह की मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा। अयोध्या के नया घाट तिराहे से सरयू पुल तक बेतरतीब ढंग से सड़क के दोनों किनारों पर दो पहिया और चार पहिया वाहनों की पार्किंग किये जाने से सुबह से शाम तक भीषण जाम लगा रहा। ऐसे में गोंडा, बस्ती व गोरखपुर की तरफ से आने वाले श्रद्धालुओं को घंटों जाम में जूझना पड़ा। यहां न तो यातायात पुलिस दिखायी दी और न ही अन्य पुलिस कर्मी। प्रशासन व पुलिस के अफसरों ने भी गुरु पूर्णिमा पर्व पर लाखों की संख्या में आये श्रद्धालुओं के सहूलियतों की अनदेखी की। रामनगरी के भीतर विभिन्न मंदिरों और आश्रमों की ओर जाने वाले मार्ग कीचड़ व जलभराव से सराबोर थे। भूमिगत केबिल बिछाये जाने के चलते जगह-जगह खोदी गयी सड़क और गलियां श्रद्धालुओं को चोटहिल करती रहीं। फिर भी आस्था प्रवाहमान रही।  

 

 

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