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बहिष्कार के बाद शुरू हुई गन्ना क्षेत्र निर्धारण की बैठक

मेरठ मंडल की चीनी मिलों के गन्ना क्षेत्र निर्धारण के लिए सोमवार को लखनऊ में गन्ना संस्थान सभागार में बुलाई गई किसानों की बैठक में खासा हंगामा हुआ। किसानों ने लखनऊ में बैठक बुलाने पर नाराजगी जताते हुए...

बहिष्कार के बाद शुरू हुई गन्ना क्षेत्र निर्धारण की बैठक
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊMon, 11 Sep 2017 07:30 PM
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मेरठ मंडल की चीनी मिलों के गन्ना क्षेत्र निर्धारण के लिए सोमवार को लखनऊ में गन्ना संस्थान सभागार में बुलाई गई किसानों की बैठक में खासा हंगामा हुआ। किसानों ने लखनऊ में बैठक बुलाने पर नाराजगी जताते हुए बहिष्कार कर दिया। गन्ना आयुक्त संजय भुसरेड्डी ने अगली बार बैठक मेरठ में ही आयोजित करने का आश्वासन देकर किसानों को सभागार में वापस बुलाया। बैठक में गन्ना आयुक्त के अलावा मेरठ मंडल के गन्ना विभाग के मंडलीय व जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ ही गन्ना समितियों के पदाधिकारी, किसान और जन प्रतिनिधि मौजूद रहे। इस दौरान मेरठ मंडल की सभी 15 चीनी मिलों के लिए गन्ना क्षेत्र का निर्धारण किया जाना था। किसानों ने सबसे पहले गन्ने की खेती में आ रही समस्याओं पर बोलना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि गन्ने की खेती लगातार महंगी होती जा रही है। इस कारण गन्ने का मूल्य 350 से 400 रुपये प्रति कुंतल किया जाना चाहिए। कुछ किसानों ने यह मुद्दा भी उठाया कि 15 दिनों के भीतर गन्ना मूल्य का भुगतान दिलाया जाए और देरी होने पर ब्याज दिलवाया जाए। गन्ना क्षेत्र आरक्षण के मुद्दे पर किसानों की राय बंटी हुई थी। चीनों मिलों के खिलाफ शिकायत के मुद्दे पर भी उनके अलग-अलग विचार थे। कई बार वे एक दूसरे को बोलने से रोकने के लिए शोर-शराबा करते रहे। गन्ना आयुक्त संजय भूसरेड्डी और भाजपा विधायक संगीत सोम को कई बार हस्तक्षेप करके शांति बनाए रखने की अपील करनी पड़ी। गन्ना आयुक्त ने व्यवस्था दी कि किसानों के विचार सुनने के बाद चीनी मिलों के प्रतिनिधियों को भी अपनी बात कहने का अवसर दिया जाएगा। एक किसान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान का हवाला देकर एक बारगी सबको सकते में डाल दिया। किसान ने कहा-‘जब प्रधानमंत्री कहते हैं कि किसान अपनी फसल कहीं भी बेचने को स्वतंत्र है तो चीनी मिलों को यह सुविधा क्यों दी जा रही है। किसान अपनी मर्जी से किसी भी चीनी मिल को गन्ना बेचने को स्वतंत्र कर दिया जाए।

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