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गोरखपुर हादसा: CM योगी के आदेश पर प्रिंसिपल समेत 7 के खिलाफ केस दर्ज

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर प्रदेश सरकार ने गोरखपुर में बच्चों की मौत के मामले में बुधवार को देर रात लखनऊ के हजरतगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी। इस मामले में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल...

गोरखपुर हादसा: CM योगी के आदेश पर प्रिंसिपल समेत 7 के खिलाफ केस दर्ज
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊThu, 24 Aug 2017 12:45 AM
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर प्रदेश सरकार ने गोरखपुर में बच्चों की मौत के मामले में बुधवार को देर रात लखनऊ के हजरतगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी। इस मामले में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में आक्सीजन सप्लाई करने वाली फर्म पुष्पा सेल्स के संचालकों , प्रधानाचार्य डा. राजीव मिश्र मिश्र व उनकी पत्नी समेत सात से ज्यादा कर्मचारियों-डाक्टरों को नामजद किया गया है। सूत्रों का दावा है कि उनके खिलाफ लापरवाही, भ्रष्टाचार और गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज हुआ है।

मुख्यमंत्री ने गोरखपुर में हुई बच्चों की मौत के मामले में मुख्य सचिव राजीव कुमार को जांच का जिम्मा सौंपा था। उन्होंने मामले में जांच की और अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सोमवार को सौंप दी थी। इसके बाद ही चिकित्सा शिक्षा की अपर मुख्य सचिव अनीता भटनागर जैन को हटा दिया गया था। इस मामले में प्रथम दृष्टया गोरखपुर मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य पर प्रशासनिक लापरवाही, भ्रष्टाचार और अनदेखी के आरोप पाए गए हैं। जांच में यह भी पाया गया है कि आक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी के भुगतान में कमीशनखोरी भी समस्या थी। इसी वजह से पुष्पा सेल्स के 68 लाख रुपये के भुगतान में देरी हो रही थी।

मुख्य सचिव की रिपोर्ट में बीआरडी मेडिकल कालेज में बाल रोग विभाग के प्रमुख डा. कफील खां, खरीदारी विभाग के प्रमुख डा. सतीश कुमार, प्रधानाचार्य डा. राजीव मिश्र व उनकी पत्नी डा. पूर्णिमा शुक्ला को भी भ्रष्टाचार के आरोप में नामजद किया गया है। इसके अलावा मेडिकल कालेज के लेखाविभाग के कर्मचारियों को भी दोषी पाया गया। साथ ही चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल को भी नामजद किया गया है। शासन के एक आला अधिकारी ने बताया कि इस मामले में दो दिन तक उच्चस्तर पर मंथन के बाद ही एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मिल सकी। रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए मुख्य सचिव की जांच रिपोर्ट के तथ्यों पर विधिक राय भी ली गई। सभी प्रकार से संतुष्ट होने के बाद ही लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज की गई है। माना जा रहा है कि इस मामले में राज्य सरकार कड़ी कार्रवाई करने जा रही है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट में की गई संस्तुतियों को स्वीकार करते हुए कहा है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। उन्हें बख्शा न जाए। गौरतलब है कि गोरखपुर के मेडिकल कालेज में 10 व 11 अगस्त को तीस बच्चों की मौत हो गई थी। इस मामले में गठित कमेटी ने प्रदेश के मेडिकल कालेज में सुधार के लिए कई सुझाव भी दिए हैं। ये हैं सुझाव -छह महीने में राजकीय मेडिकल कालेजों में कैंपस इंटरव्यू कर डाक्टरों की भर्ती की जाए। -जापानी इंसेफ्लाइटिस के तहत डिप्लोमा आफ चाइल्ड हेल्थ के उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को बाल आईसीयू पर ही तैनात किया जाए। -सीनियर रेजीडेंट्स के वेतनमान से नीचे के सभी पद तीन महीने में भर्ती कर लिए जाएं। -डाक्टर से लेकर स्टाफ नर्स तक नवजात बच्चों की देखरेख में प्रशिक्षित हों। -मेडिकल कालेजों में प्रिंसिपल व अधीक्षक पदों पर नियमित अधिकारी रखे जाएं। -सभी इलाइयों में ई-प्रोक्योरमेंट की व्यवस्था की जाए। -अगले तीन सालों में सभी मेडिकल कालेजों में चिकित्सा प्रबंध का प्रशासनिक कैडर बनाया जाए।

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