यूपीएसआईडीसी की अनदेखी से रनियां की सड़कें बदहाल
औद्योगिक क्षेत्र रनियां की बदहाल सड़कें राहगीरों के लिए मुसीबत बन गई हैं। सड़कों पर बने बड़े-बड़े गड्ढे जानलेवा बनते जा रहे हैं। बीते कई सालों से रखरखाव व मेंटीनेंस के अभाव में अब इन गड्ढों ने तालाब का...
औद्योगिक क्षेत्र रनियां की बदहाल सड़कें राहगीरों के लिए मुसीबत बन गई हैं। सड़कों पर बने बड़े-बड़े गड्ढे जानलेवा बनते जा रहे हैं। बीते कई सालों से रखरखाव व मेंटीनेंस के अभाव में अब इन गड्ढों ने तालाब का रूप ले लिया है। बीते लंबे समय से सड़कों की मरम्मत की आवाज बुलंद कर रहे स्थानीय लोगों सहित उद्यमी संगठनों की आवाज अधिकारियों की मनमानी के आगे दब कर रह गई है। इसका खामियाजा यहां से गुजरने वाले राहगीरों को उठाना पड़ रहा है। बावजूद अधिकारी मौन हैं। 1980 के दशक में औद्योगिक क्षेत्र का दर्जा मिलने के बाद रनियां में यूपीएसआईडीसी तथा डीआईसी ने कस्बे के दोनों ओर बेशकीमती जमीन पर अपना अधिपत्य जमाने के बाद उद्यमियों को धड़ाधड़ व्यवसायिक भूखंड आवंटित कर दिए। इसके बाद यातायात व जलनिकासी की समुचित व्यवस्था सुदृढ़ बनाने के मकसद से इकाईयों के चारों ओर सड़कों तथा नाले का निर्माण भी कराया गया। स्थानीय लोगों व उद्यमियों का कहना है कि शुरुआती कुछ सालों तक तो इंतजाम चाक चौबंद दिखाई दिए लेकिन धीरे- धीरे उच्चाधिकारियों की नजर यहां से हटते ही विभागीय अफसर बेलगाम हो गए तथा दूसरे कामों में व्यस्त हो गए। हालात इस कदर बेकाबू हैं कि मेंटीनेंस व बेटरमेंट चार्ज के रूप में भारी भरकम धनराशि वसूलने वाले यह दोनों ही विभाग पूरी तरह से निष्क्रिय हो गए हैं, तथा सुविधाओं के नाम पर महज खानापूर्ति ही नजर आती है। क्षेत्र के साईट नंबर-1 साईट नंबर-2 की सड़के हों या फिर इंडस्ट्रियल स्टेट की सभी की हालत बद से बदतर हो गई हैं। सड़कें इस कदर जर्जर हो चुकी हैं कि उनके ऊपर का तारकोल भी नहीं दिखता है तथा वह किसी गांव की कच्ची पगडंडी की तरह नजर आने लगी हैं। वहीं लोगों का मानना है कि अधिकारी अभी भी सजग नहीं हुए तो मानसूनी बारिश के बाद तो सभी सड़कें तालाब में बदल जाएंगी।