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दुर्गंध अौर धुएं से गांव में नहीं हो रही थी शादियां, गुस्साए ग्रामीणों ने तोड़ीं ग्लू भट्ठियां

जाजमऊ के प्योंदी गांव में चल रही जैविक खाद की भट्ठियों रविवार को ग्रामीणों ने धावा बोल दिया। ग्रामीणों ने यहां तोड़फोड़ कर जमकर हंगामा किया। उनका आरोप था कि इन भट्ठियों से निकलने वाले जहरीले धुएं से...

जाजमऊ के प्योंदी गांव में चल रही जैविक खाद की भट्टियों पर रविवार को ग्रामीणों ने धावा बोल दिया। ग्रामीणों ने यहां तोड़फोड़ कर जमकर हंगामा किया।
1/ 2जाजमऊ के प्योंदी गांव में चल रही जैविक खाद की भट्टियों पर रविवार को ग्रामीणों ने धावा बोल दिया। ग्रामीणों ने यहां तोड़फोड़ कर जमकर हंगामा किया।
जाजमऊ के प्योंदी गांव में चल रही जैविक खाद की भट्टियों पर रविवार को ग्रामीणों ने धावा बोल दिया।  आरोप था कि जहरीले धुएं से गांव के कई लोग दमा और बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
2/ 2जाजमऊ के प्योंदी गांव में चल रही जैविक खाद की भट्टियों पर रविवार को ग्रामीणों ने धावा बोल दिया। आरोप था कि जहरीले धुएं से गांव के कई लोग दमा और बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
शुभम तिवारी,कानपुर(चकेरी)Mon, 23 Oct 2017 12:05 PM
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जाजमऊ के प्योंदी गांव में चल रही जैविक खाद की भट्ठियों रविवार को ग्रामीणों ने धावा बोल दिया। ग्रामीणों ने यहां तोड़फोड़ कर जमकर हंगामा किया। उनका आरोप था कि इन भट्ठियों से निकलने वाले जहरीले धुएं से गांव के कई लोग दमा और बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। कई बार इन भट्ठियों को हटाने की मांग की गई लेकिन सुनवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने यहां घंटों नारेबाजी की। साथ ही भी चेतावनी दी कि यदि ये भट्टियां नहीं हटाईं गई तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे। गांव वालों का कहना था कि खाद भट्ठियों से निकलने वाले जहरीले धुएं और दुर्गंध के कारण प्योंदी गांव और आसपास के गांवों में लोग शादी करने से मना कर रहे हैं। क्षेत्रीय निवासी प्रियंका यादव ने बताया कि जबसे यहां ये भट्ठियां चल रही हैं गांव में कोई शादी के लिए नहीं पहुंचता। लोगो का जवाब होता है कि इतने गंदे गांव में हम शादी नहीं कर सकते। इन भट्ठियों से वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण से लोगों में पेट की बीमारियां ज्यादा बढ़ गई है।


प्योंदी गांव के आसपास मवेशियों के चमड़े की छीलन से खाद बनाने वाली कई भट्ठियां चल रहीं हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इन भट्ठियों में रोज बड़े पैमाने पर जानवरों के चमड़े की छीलन डाली जाती है। इसकी दुर्गंध से जीना मुहाल है। यहीं नहीं इन भट्ठियों से निकलने वाला जहरीला धुआं ग्रामीणों को दमा समेत कई बीमारियों का शिकार बना रहा है। रविवार को आक्रोशित ग्रामीणों ने इन भट्ठियों पर धावा बोल दिया। ग्रामीणों ने यहां लगी टीनें उखाड़ दीं। इसके बाद भट्ठियों पर चढ़कर युवाओं ने नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामे के दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं भी मौजूद थीं। महिलाओं ने कहा कि बच्चों से लेकर बड़े और बूढ़े ये जहरीला धुआं सूंघने को मजबूर हैं। कई लोग दमा के मरीज हो चुके हैं। ग्रामीण विनोद का कहना था कि इस मामले को लेकर कई बार प्रदर्शन किया गया है। प्रदेश सरकार बदलने के बावजूद स्थिति नहीं बदली। ग्रामीणों ने कहा कि यदि प्रशासन और सरकार उनकी अनसुनी करेंगे तो वे खुद भट्टियों को हटाने के लिए मुहिम चलाएंगे।
हजारों टन चमड़े की छीलन जमा
भट्ठियों के आसपास हजारों टन चमड़े की छीलन जमा है। ग्रामीणों का कहना है कि इसकी दुर्गंध से जीना मुहाल है। चमड़े के कारण भट्टियों के आसपास की जमीन पूरी तरह से बंजर हो रही है। इस पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। यहीं नहीं भट्टी की गंदगी के कारण यहां का पानी भी काफी दूषित हो चुका है। 
गंगा में बहाया जाता भट्ठी का कचरा
भले ही सरकार नमामि गंगे प्रोजेक्ट चलाकर गंगा स्वच्छता की अलख पूरे देश में जगा रही हो लेकिन गंगा की वास्तविक स्थिति क्या है इसका अंदाजा प्योंदी गांव के आसपास जाकर लगाया जा सकता है। ग्रामीणों के मुताबिक यहां चलने वाली ज्यादातर भट्ठियों का कचरा गंगा में चुपके से बहा दिया जाता है। इस पर न तो प्रशासन का ध्यान है और न ही सरकार का। ग्रामीणों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर गंगा में कचरा मिलाना आसान नहीं है। हो न हो इसके पीछे सरकारी तंत्र की मिलीभगत जरूर होगी। आखिर जिम्मेदार बरसों से आंखें मूंदे क्यों बैठे हैं?
कई बार लगाई गुहार लेकिन सब बेकार
ग्रामीणों का कहना है कि इन भट्ठियों को हटवाने के लिए प्रशासन और सरकार से कई बार गुहार लगा चुके हैं लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। बरसों पहले से धधक रहीं ये भट्ठियां आज भी वैसे ही धधक रहीं हैं। सरकार बदली थी तो सोचा था कि हो सकता हो कुछ बदलाव हो लेकिन हालत पहले जैसे ही है। इसलिए अब ग्रामीणों ने इनके खिलाफ मोर्चा खोलना शुरू कर दिया है। 


 

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