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कानपुर 350 साल पुरानी मस्जिद में लगती है भूतों की अदालत

अपराधियों को सजा मिलनी लाजिमी है। ये कानून इंसानों पर लागू होते तो आपने देखा सुना होगा, लेकिन हम आपको एक ऐसी अदालत के बारे में बता रहे हैं जहां पर भूतों को उनके अपराध की सजा दी जाती है। भूतों की...

कानपुर 350 साल पुरानी मस्जिद में लगती है भूतों की अदालत
लाइव हिन्दुस्तान टीम,कानपुरSun, 25 Jun 2017 01:49 PM
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अपराधियों को सजा मिलनी लाजिमी है। ये कानून इंसानों पर लागू होते तो आपने देखा सुना होगा, लेकिन हम आपको एक ऐसी अदालत के बारे में बता रहे हैं जहां पर भूतों को उनके अपराध की सजा दी जाती है। भूतों की अदालत कानपुर के जाजमऊ स्थित जिन्नाथों की मस्जिद में सजती है। मस्जिद पर एक अदालत लगती है जहां भूतों के अपराध की सजा सुनाई जाती है।

जिन्नाथों की मस्जिद के नाम से मशहूर इस स्थान पर सैंकड़ों की तादात में हिंदू श्रद्धालु भी आते हैं। ये सभी लोग जिन्नाथ को खुश करने के लिए अच्छा खासा नजराना भी चढ़ाते हैं। मस्जिद पर भूतों को सजा सुनायी जाती है। वैसे हर दिन भूत-प्रेत से पीड़ित व्यक्ति आते हैं, पर हर गुरुवार को अदालत सजती है और पीर बाबा पीड़ित को एक दरबाजे के पास ले जाकर पहले उसे जुर्म कबूल करवाते हैं और फिर फांसी की सजा का एलान करते हैं। ईद के मौके पर यहां मेला भी लगता है।

जाजमऊ स्थित गंगा के किनारे 350 साल पुरानी जिन्नाथों की मस्जिद है। यहां पर बकायदा हर गुरुवार को एक अदालत लगती है। जहां भूतों के अपराध की सजा सुनाई जाती है। जिन्नतों की मस्जिद के नाम से मशहूर इस स्थान में सैंकड़ों की तादात में हिंदू श्रद्धालु भी आते हैं। मस्जिद के पीर बाबा ने बताया कि इसके निर्माण की खास बात यह रही कि एक रात में ही इस मस्जिद का निर्माण हो गया। किसी ने मस्जिद को बनते नहीं देखा। किसी अदृश्य शक्ति ने इसका निर्माण किया। बताते हैं कि मुगलशासक औरंगजेब के सिपहसलार कुलीच खान ने जाजमऊ इलाके में 1679 के आसपास का निर्माण कराया था।

गुरुवार को होती है 50 से ज्यादा लोगों की सुनवाई
जिन्नाथों की मस्जिद में हर गुरुवार को यहां पर अदालत बैठायी जाती है। इस अदालत में एक मुकदमा लिखने वाला और पढ़ने वाला और उसे कलमबंद करने के लिए एक मुशी भी मौजूद होता है। दिनभर में करीब 50 से 60 मुकदमों की सुनवायी होती है और भूतों के अपराधों की गंभीरता के अनुसार उनकी सजा सुनाई जाती है। खास बात ये है कि भूतों के लिए लगायी गयी इस अदालत में आने वालों में महिलाओं की संख्या काफी ज्यादा होती है। इन महिलाओं में भी हिंदू महिलायें ही ज्यादा होती हैं। इसके अलावा भूत-प्रेत से ग्रसित मरीज वैसे हर दिन आते हैं, पर अदालत की बैठक सिर्फ गुरुवार को ही होती है।

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