कानपुर में नहीं मिला इलाज, पिता की गोद में बच्ची का टूट गया दम-वीडियो देखें
उर्सला अस्पताल में मंगलवार को इंसानियत का सीना चाक हो गया। रैबीज वायरस से संक्रमित 11 साल की बच्ची ने पिता की गोद में दम तोड़ दिया। बच्ची को गोद में लिए इलाज के लिए गिड़गिड़ा रहे पिता को डॉक्टरों औऱ...
उर्सला अस्पताल में मंगलवार को इंसानियत का सीना चाक हो गया। रैबीज वायरस से संक्रमित 11 साल की बच्ची ने पिता की गोद में दम तोड़ दिया। बच्ची को गोद में लिए इलाज के लिए गिड़गिड़ा रहे पिता को डॉक्टरों औऱ कर्मचारियों इमरजेंसी से ओपीडी के बीच दौड़ते रहे, इसी बीच बच्ची की सांसें उखड़ गईं। बच्ची को पहले संक्रामक रोग अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां से कर्मचारियों ने भगा दिया था।
शिवली (कानपुर देहात) क्षेत्र के गांव बलवापुर निवासी माघू की बेटी सौम्या को चार महीने पूर्व कुत्ते ने काटा था। उसे एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं लग पाए थे। घरवालों ने बताया कि सोमवार की रात बारिश और बिजली की चमक के साथ तेज हवाएं चलीं तो सौम्या की हालत बिगड़ गई। उसका शरीर ऐंठने लगा, उसकी आवाज चली गई। मंगलवार की सुबह शिवली के सरकारी अस्पताल ले गए, वहां डॉक्टरों ने संक्रामक रोग अस्पताल कानपुर भेज दिया। संक्रामक रोग अस्पताल में सुबह 11.15 पर उसे भर्ती कराया गया। परिजनों का आरोप है कि संक्रामक रोग अस्पताल में कर्मचारियों ने घर ले जाने की बात कही। तीमारदार अजय ने बताया कि घर न ले जाकर इलाज के लिए उसे उर्सला इमरजेंसी ले गए। इमरजेंसी में बच्ची को देखा तक नहीं और उसे ओपीडी भेज दिया। ओपीडी में पर्चा बनवाने में समय लग गया। इस बीच बच्ची का शरीर अकड़ गया। ओपीडी में डॉक्टर ने फिर उसे इमरजेंसी ले जाने को कहा। दोबारा इमरजेंसी आए तो डॉक्टर नहीं थे, कर्मचारियों ने कहा उसे वापस संक्रामक रोग अस्पताल ले जाएं। उर्सला में इधर-उधर दौड़ने के बाद पिता बच्ची को गोद में लेकर संक्रामक रोग अस्पताल के लिए भागा। कोई व्यवस्था न हो पाने के कारण उर्सला के बाहर आटो पकड़ा और दोबारा संक्रामक रोग पहुंचा लेकिन डॉक्टर ने बताया कि बच्ची मर चुकी है।
स्ट्रेचर नहीं मिला
उर्सला की ओपीडी में स्ट्रेचर नहीं मिला। बच्ची को पहले माले से गोद में टांगकर पिता इमरजेंसी की ओर दौड़ा। इमरजेंसी से भी उसे ओपीडी तक आने के लिए उसे स्ट्रेचर नहीं मिल पाया।
संक्रामक रोग अस्पताल में बनी है बीएचटी
संक्रामक रोग अस्पताल में सौम्या की बीएचटी बनी है। उसका भर्ती नम्बर 155 है। वार्ड नम्बर चार के बेड नम्बर छह पर उसे भर्ती करने का ब्योरा दर्ज है मगर उसे अस्पताल से घरवाले कैसे ले गए? इसका कोई पता नहीं। अस्पताल के कर्मचारी कहते हैं कि रैबीज पीड़ति मरीजों को तीमारदार घर लेकर चले जाते हैं । बीएचटी पर मरीज की ओर से अजय कुमार का हस्ताक्षर है।
जांच होगी और दोषियों पर कार्रवाई
मैं लखनऊ में हूं। मुझे जानकारी नहीं है। इस सम्बंध में इमरजेंसी और ओपीडी से जानकारी ली जाएगी। इमरजेंसी में स्ट्रेचर-व्हील चेयर रखा हुआ है। कर्मचारियों को मदद करनी चाहिए। इसकी जांच होगी।
- डॉ. उमाकांत निदेशक उर्सला
कर्मचारियों ने नहीं किया भ्रमित
घरवाले बच्ची को लेकर आए थे। रैबीज का तगड़ा संक्रमण था। उसे भर्ती किया गया। इलाज शुरू करने के लिए जैसे ही कोशिश की गई वैसे घरवाले लेकर चले गए। वह कहां ले गए इसकी जानकारी नहीं है मगर दोबारा लौटे तो बच्ची की सांस उखड़ चुकी थी। अस्पताल के कर्मचारियों ने किसी तरह भ्रमित नहीं किया है।
- डॉ. एके शुक्ला सीएमएस, संक्रामक रोग अस्पताल
एसीएम करेंगे घटना की जांच
अगर इस तरह की कोई घटना हुई है तो गलत है इस पर एसीएम से जांच कराकर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अगर रैबीज के इंजेक्शन नहीं हैं तो उनको जल्द से मंगवाकर लोगों को लगवाया जाएगा।
सुरेंद्र सिंह, जिलाधिकारी, कानपुर नगर