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साहबों के स्कूल में समय से नहीं पहुंचे शिक्षक, बच्चों ने खोले ताले

शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने का जिम्मा जिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों को मिला है। वहीं इसे पलिता लगाने में लगे हुए हैं। सीएम से लेकर जिला प्रशासन के उच्चाधिकारियों का कहना है। खण्ड शिक्षाधिकारी...

साहबों के स्कूल में समय से नहीं पहुंचे शिक्षक, बच्चों ने खोले ताले
निज संवाददाता,गोरखपुरThu, 27 Jul 2017 07:04 PM
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शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने का जिम्मा जिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों को मिला है। वहीं इसे पलिता लगाने में लगे हुए हैं। सीएम से लेकर जिला प्रशासन के उच्चाधिकारियों का कहना है।

खण्ड शिक्षाधिकारी अपने-अपने ब्लाकों के एक-एक स्कूलों को मॉडल स्कूल के रुप में तैयार करें। मगर इन साहबों के बीआरसी केन्द्रों में संचालित विद्यालयों का ताला यहां के बच्चे, रसोईया और चपरासी खोल रहे हैं। गुरुवार को हिन्दुस्तान टीम द्वारा पड़ताल कराई गई तो कुछ विद्यालयों की सच्चाई सामने आई।

इन बीआरसी केन्द्रों पर नहीं पहुंचे शिक्षक और बच्चे

नगर क्षेत्र बीआसी केन्द्र
यहां पर आदर्श प्राथमिक विद्यालय संचालित है। सुबह 8 बजे शिक्षक नहीं पहुंचे थे। यहां रहने वाले चपरासी ने ताला खोला था। तीन बच्चे उपस्थित रहे। इस वर्ष छात्रों की संख्या 65 है। बीते वर्ष 83 थी। बच्चों को न तो ड्रेस मिली है और न किताब।

खोराबार बीआरसी केन्द्र
यहां पर प्राथमिक विद्यालय जंगल सिकरी संचालित है। सुबह 8 बजे तक शिक्षक नहीं पहुंचे थे। कुछ बच्चे स्कूल पहुंचकर खेल रहे थे। चार शिक्षकों की तैनाती है। तीन शिक्षक 8.10 बजे पहुंचे और एक शिक्षिका सवा आठ बजे पहुंची। बच्चों को न तो ड्रेस मिली है और न किताब।

पिपराइच बीआरसी केन्द्र
यहां पर प्राथमिक विद्यालय पिपराइच संचालित है। सुबह 8 बजे प्रधानाध्यापक मौजूद मिले। बच्चे नहीं पहुंचे थे। एक अन्य महिला शिक्षिका शिक्षामित्र होने के कारण नहीं आई थी। बच्चों को न तो ड्रेस मिली है और न किताब।

भटहट बीआरसी केन्द्र

यहां पर प्राथमिक विद्यालय प्रथम भटहट संचालित है। सुबह 8 बजे शिक्षक नहीं मिले। 19 बच्चे परिसर में खेल रहे थे। रसोइयों ने विद्यालय का ताला खोला। बच्चों को न तो ड्रेस मिली है और न किताब।

गोला बीआरसी केन्द्र
यहां पर प्राथमिक विद्यालय दलुआं संचालित है। सुबह 8 बजे शिक्षक नहीं मिले। 14 बच्चे स्कूल में मौजूद मिले। बच्चों को न तो ड्रेस मिली है और न किताब। शिक्षकों के नहीं पहुंचने पर अभिभावकों ने यहां पहुंचकर आंदोलन भी किया।

अपने ही स्कूलों में ड्रेस व किताब नहीं बंटवा पाए अधिकारी
जिन अधिकारियों के जिम्मे पूरा ब्लाक के स्कूल है। वह अपने ही विद्यालय के बच्चों को समय से न ड्रेस दिला पाई और न किताब। अधिकतर बीआरसी केन्द्रों में संचालित विद्यालयों का हाल यह है कि वहां पढ़ने वाले बच्चे अभी पुराने खाकी ड्रेस में आ रहे हैं। बैग भी उनके पास सपा सरकार द्वारा दिया गया है और बच्चें अभी भी पुरानी किताबों से ही पढ़ रहे हैं। जब कि खण्ड शिक्षाधिकारियों का कहना है कि कुछ कक्षाओं में किताबे बंटी हैं कुछ में बाकी है। 

नगर क्षेत्र बीआरसी का कमरा दिया गया है किराए पर


बीआरसी केन्द्र नगर क्षेत्र में संचालित विद्यालय के पास छह कमरे है। एक कमरे में यहां पर तैनात चपरासी का परिवार रहता है। एक कमरे को गोदाम बनाया गया है। एक कमरे में एमडीएम बनता है और दो कमरे में बच्चों की पढ़ाई होती है। अन्य एक कमरा शिक्षक संघ के और एक कमरा नगर शिक्षाधिकारी ने कब्जा कर रखा है। गुरुवार को विद्यालय पहुंचने पर चपरासी का परिवार मिला और तीन अन्य व्यक्ति नरेश, रामप्रित और रघुबर मिले। पूछे जाने पर इन्होंने बताया कि हम यहां पर विगत 6 वर्षो से रह रहे हैं। सुबह 7 बजे के बाद हम लोग मजदूरी करने के लिए चले जाते हैं और शाम को 6 बजे तक आते हैं और यहीं पर रहते हैं।

स्कूल के समय बीआरसी पर नहीं पहुंचते बीईओ
शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों की माने तो सुबह 8 बजे से संचालित विद्यालयों के साथ बीआरसी केन्द्रों का भी ताला खोला जाय। खण्ड शिक्षाधिकारी (बीईओ) भी अपने कार्यालय में जाकर बैठे और अपने ब्लाक के विद्यालयों का निरीक्षण करें। विद्यालय संचालित समय तक इन्हें कार्यालय पर रहना है। इसके बाद वो किसी अन्य कार्य से जिला कार्यालय या अन्य किसी कार्य के लिए जा सकते हैं। मगर गुरुवार को किसी भी बीआरसी का ताला नहीं खुला मिला।

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