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प्रिंसिपल की चिट़ठी से डीडीयू में मचा हड़कम्‍प, बीएड प्रैक्टिकल पर उठा बड़ा सवाल

गोरखपुर। कार्यालय संवाददाता गोरक्षपीठ से जुड़े महाराणा प्रताप पीजी कालेज जंगल धूसड़ के प्राचार्य डा.प्रदीप राव की एक चिट़ठी ने दीनदयाल उपाध्‍याय गोरखपुर विश्‍वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में...

प्रिंसिपल की चिट़ठी से डीडीयू में मचा हड़कम्‍प, बीएड प्रैक्टिकल पर उठा बड़ा सवाल
Gorakhpur ,Gorakhpur Mon, 24 Jul 2017 07:19 PM
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गोरखपुर। कार्यालय संवाददाता
गोरक्षपीठ से जुड़े महाराणा प्रताप पीजी कालेज जंगल धूसड़ के प्राचार्य डा.प्रदीप राव की एक चिट़ठी ने दीनदयाल उपाध्‍याय गोरखपुर विश्‍वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में खलबली मचा दी है। इस चिट़ठी में बीएड के प्रैक्टिकल पर बड़ा सवाल उठाया गया है। 

प्राचार्य ने आरोप लगाया है कि डीडीयू से भेजे गए परीक्षकों ने एमपी पीजी कॉलेज के एक परीक्षार्थी को बाहर से फोन आने पर उसकी योग्यता से अधिक नंबर दिये। कॉलेज की बीएड् विभागाध्यक्ष की शिकायत पर इसमें थोड़ा अंक काटा गया लेकिन यह भी उसकी योग्यता से अधिक था। इसके अलावा तीनों परीक्षकों ने कॉलेज से टीए-डीए की मांग की जबकि यह विवि द्वारा दिया जाता है। 

प्राचार्य ने यह आरोप बकायदा परीक्षा नियंत्रक डा.अमरेन्‍द्र सिंह को चिट़ठी लिखकर लगाये हैं। उन्‍होंने परीक्षकों के खिलाफ कार्यवाही की मांग के साथ-साथ अपने कॉलेज में नये सिरे से बीएड प्रैक्टिकल कराने की भी मांग की है।

क्‍या लिखा है चिट़ठी में 

डॉ. राव ने पत्र में लिखा है कि 22 जुलाई को उनके कॉलेज में बीएड् द्वितीय वर्ष की प्रायोगिक परीक्षा  हुई। बाह्य परीक्षक के रूप में बलिया, वाराणसी और कुशीनगर से एक-एक परीक्षक आये थे।  परीक्षा शुरू होने के बाद प्राचार्य जरूरी काम से शहर चले गए। परीक्षकों के साथ सहयोग के लिए बीएड् की विभागाध्यक्ष मौजूद थीं। शाम को लौटे तो विभागाध्यक्ष ने बताया कि परीक्षा के दौरान आंतरिक परीक्षक के मोबाइल पर आई एक कॉल के आधार पर एक परीक्षार्थी को 180 अंक दिए गए। विभागाध्यक्ष द्वारा प्रतिरोध करने पर उसमें से कुछ अंक घटा दिए गए। जो उसकी योग्यता से अधिक है। 

प्राचार्य ने कहा कि इससे स्पष्ट है कि कॉलेज की प्रायोगिक परीक्षा की शुचिता और गोपनीयता परीक्षकों ने भंग की। इसके अलावा परीक्षक द्वारा विभागाध्यक्ष से कहा गया कि टीए-डीए कॉलेज को देना होता है। जबकि विवि ने काफी पहले नियम बना दिया था कि कोई परीक्षक कॉलेज से इसकी मांग नहीं करेगा, यह रकम विवि सीधे परीक्षकों को उपलब्ध कराता है। टीए-डीए के नाम पर परीक्षक की अतिरक्त वसूली की यह मंशा भी परीक्षा की पवित्रता भंग करती है।

अंक पर्ण की प्राचार्य प्रति भी नहीं दी परीक्षकों ने

प्राचार्य डॉ. राव ने अपनी चिट़ठी में यह भी आरोप लगाया कि परीक्षकों ने अंक पर्ण की प्राचार्य प्रति भी कार्यालय को उपलब्ध नहीं कराई और साथ ले गए। मांगने पर कहा गया कि परीक्षा परिणाम निकलने के बाद उपलब्ध करा दी जाएगी। इससे लगता है कि परीक्षा समाप्त होने के बाद भी पर्ण में हेर फेर किया गया होगा। प्राचार्य ने परीक्षा निरस्त कर दोबारा परीक्षा कराने और शुचिता व गोपनीयता भंग करने के दोषी लोगों पर कार्रवाई की मांग की है। प्राचार्य का कहना है कि मामला गंभीर है, इसलिए विवि प्रशासन को अविलंब कार्रवाई करनी चाहिए। पत्र की कॉपी उन्होंने डीडीयू के कुलपति प्रो. वीके सिंह व शिक्षा संकाय की अधिष्ठाता प्रो. शैलजा सिंह को भी भेजी है। 

अभी मुझ तक चिट्ठी पहुंची नहीं है। हो सकता है कार्यालय में पहुंची हो। देखने के बाद ही कुछ कह पाऊंगा। गुण दोष के आधार पर हर संभव कार्रवाई की जाएगी। 
-डॉ. अमरेन्द्र कुमार सिंह, परीक्षा नियंत्रक डीडीयू   

 

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