VIDEO: माह-ए-रमजान - अकीदत के साथ पढ़ी गई अलविदा की नमाज
माह-ए-रमजान में अलविदा की नमाज शुक्रवार को पढ़ी गई। उसके बाद लोगों ने एक दूसरे के गले मिल बधाई दी। शहर और ग्रामीण अंचल की विभिन्न मस्जिदों में रोजेदार अलविदा की नमाज पढ़कर देश और दुनिया में अमन चैन की...
माह-ए-रमजान में अलविदा की नमाज शुक्रवार को पढ़ी गई। उसके बाद लोगों ने एक दूसरे के गले मिल बधाई दी। शहर और ग्रामीण अंचल की विभिन्न मस्जिदों में रोजेदार अलविदा की नमाज पढ़कर देश और दुनिया में अमन चैन की दुआएं मांगी।
मस्जिदों में तैयारियां नमाज की तैयारियां पहले ही पूरी कर ली गई थी। करीब-करीब सभी मस्जिदों में दोपहर 12:30 बजे से लेकर 2:30 बजे के बीच अलविदा की नमाज अदा की गई। शुक्रवार को रमजानुल मुबारक का 27वां रोजा और रमजान का आखिरी जुमा था। इस खास मौके पर मस्जिद प्रबंधन कमेटियों और जिला प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की है। मस्जिदों में तकरीर और अलविदाई खुतबा का कार्यक्रम आयोजित हुआ। रोजेदारों ने दो रकात जुमा की फर्ज नमाज अदा की।
सब्जपोश मस्जिद जाफरा बाजार में हाफिज रहमत अली निजामी, नार्मल स्थित दरगाह मुबारक खां शहीद मस्जिद में मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही, गाजी मस्जिद गाजी रौजा में हाफिज रेयाज अहमद, रहमतनगर जामा मस्जिद में मौलाना अली अहमद, चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में हाफिज महमूद रजा, खादिम हुसैन मस्जिद तिवारीपुर में हाफिज व कारी अफजल बरकाती, गौसिया मस्जिद छोटे काजीपुर में मौलाना मोहम्मद अहमद शेख झाऊं, खूनीपुर में मौलाना फैजुल्लाह कादरी, मस्जिद दारोगा पांडेयहाता में कारी हिदायतुल्लाह रोजेदारों को रमजान का अलविदा की नमाज पढ़ाए।
ईद के आने की खुशी और रहमत भरे माह के जाने का गम भी
मदरसा शिक्षक मोहम्मद आजम का कहना है कि रमजान के महीने के आखिरी जुमा को अलविदा या जुमातुल विदा भी कहते हैं। वैसे तो इस माह के हर दिन की अहमियत है लेकिन जुमा को और दिनों का सरदार कहा जाता है इसलिए इसकी अहमियत और बढ़ जाती है। इसे छोटी ईद भी कहते हैं। रमजान के आखिरी जुमा की नमाज से रमजान के समापन का संदेश मिलता है। रहमत भरा महीना जाने के गम में अलविदा-अलविदा माह-ए-रमजान अलविदा कहा जाता हैं। ईद के आने की खुशी जहां लोगों में होती है। इस रहमत भरे महीने के जाने का गम भी रहता है। हाफिज रहमत अली ने बताया कि अलविदा का मतलब रुखसत करना है। अलविदा रमजान के आखिरी जुमा को कहते हैं। इसके बाद रमजान में कोई दूसरा जुमा नहीं आता है, इसलिए अलविदा कहा जाता है।
इन मस्जिदों में हुई रमजान की अलविदा की नमाज
दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद नार्मल, मस्जिद शेख झाऊं खूनीपुर, गाजी मस्जिद गाजी रौजा, नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर, सब्जपोश मस्जिद जाफरा बाजार, मक्का मस्जिद मेवातीपुर, मस्जिद गौसिया,छोटे काजीपुर, मस्जिद काजी जी इस्माईलपुर, रहमतनगर जामा मस्जिद रहमतनगर, मस्जिद औलाद अली मल्ल के बगल बक्शीपुर, रसूलपुर जामा मस्जिद, मकबरे वाली मस्जिद, रजा मस्जिद कसाई बाड़ा जाफरा बाजार, चिश्तिया मस्जिद रफूगर बक्शीपुर, मस्जिद सुभानिया तकिया कवलदह, हरमैन मस्जिद रायगंज, मोती मस्जिद रसूलपुर दशगरी बाग, मस्जिद खादिम हुसैन तिवारीपुर, मस्जिद सौदागर, मस्जिद हसनैन यतीमखानी घासीकटरा, मस्जिद दारोगा पांडेयहाता, जामा मस्जिद उर्दू बाजार, मस्जिद जामे नूर जफर कालोनी बहरामपुर समेत अन्य मस्जिदों में नमाज पढ़ी गई।