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मम्मी-पापा अपने घर भी बनवा दो शौचायल

छठीं कक्षा में पढ़ने वाले अर्जुन के घर शौचायल नहीं है। अर्जुन और उसके पूरे परिवार को शौच के लिए खेत में जाना पड़ता है। टॉयलेट एक प्रेम कथा फिल्म देखने के बाद जब वह सिनेमा हाल से बाहर निकल रहा था तो...

मम्मी-पापा अपने घर भी बनवा दो शौचायल
जितेंद्र पाण्डेय,गोरखपुरFri, 08 Sep 2017 07:58 AM
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छठीं कक्षा में पढ़ने वाले अर्जुन के घर शौचायल नहीं है। अर्जुन और उसके पूरे परिवार को शौच के लिए खेत में जाना पड़ता है। टॉयलेट एक प्रेम कथा फिल्म देखने के बाद जब वह सिनेमा हाल से बाहर निकल रहा था तो उसने कहा कि वह घर जाकर सबसे पहले मम्मी-पापा से शौचालय बनावने के लिए कहेगा। उसी की कक्षा में पढ़ने वाले अमरजीत और अंजली ने भी यही बात कही। 

जागरूकता
टॉयलेट एक प्रेम कथा फिल्म देखकर लौटे बच्चें करेंगे जागरूक 
जीतपुर जुनियर हाईस्कूल के छात्रों ने सिटी मॉल में देखी फिल्म 

शहर से सटे जीतपुर और आस-पास के गांव 136 बच्चों ने गुरुवार को सिटी मॉल में टॉयलेट एक प्रेमकथा फिल्म देखी। इनमें से ज्यादातर बच्चों के घर शौचालय नहीं। 
सिटी मॉल में फिल्म देखना एक सपना जैसा 
प्राथमिक विद्यायल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए किसी मॉल में सिनेमा देखना  सपने जैसा ही था। आईजी द्वारा गोद लिए गए पिपरौली ब्लाक के जूनियर हाईस्कूल के बच्चों के लिए गुरुवार का दिन खास रहा। उनके आईजी सर ने सिटी मॉल में न सिर्फ फिल्म दिखाई बल्कि बच्चों को मॉल में घुमाया भी। जीतपुर जूनियर हाईस्कूल को आईजी मोहित अग्रवाल ने गोद लिया है। वह सप्ताह में दो दिन यहां छात्रों को पढ़ाने जाते हैं। इसी बीच टॉयलेट एक प्रेमकथा सिनेमा रिलीज हुई। बच्चों के स्वच्छता अभियान की लव जलाने के लिए आईजी ने बच्चों को भी यह फिल्म दिखाने का मन बनाया। उन्होंने इसके लिए एसआरएस में सीट बुक कराई। 
बच्चों ने पहली बार बड़े परदे पर देखी सिनेमा 
जीतपुर जूनियर हाईस्कूल के ज्यादातर छात्रों पहली बार बड़े परदे पर सिनेमा देखी। सिटी मॉल में आकर और फिल्म देखने के बाद वह काफी खुशी नजर आए।


 

पीएसी की बस से लाए गए थे बच्चे
बच्चों को जीतपुर से लाने के लिए पीएसी की तीन बसें लगाई गई थी। सुबह आठ बजे ही यह बसें उनके स्कूल पर खड़ी हो गईं। इन बसों से बच्चों को गोरखपुर ले आया गया और फिल्म दिखाने के बाद उसी बस से घर तक छोड़ा गया।
और बोले आईजी मोहित अग्रवाल
बच्चों को फिल्म दिखाने का मकसद था कि वे अपने गांव और घर में स्वच्छता के लिए दूसरों को प्रेरित कर सकें। फिल्म देखने आए बच्चे काफी खुश हैं। पुलिस के साथ बैठकर फिल्म देखने में उन्हें काफी मजा आया। इससे उनके मन में पुलिस के प्रति भय भी खत्म हुआ।

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