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जीएसटी से औंधे मुंह गिरा दवा कारोबार

जीएसटी(गुड्स एंड सर्विस टैक्स) के लागू होने के बाद दवा बाजार औंधे मुंह गिर गया है। दवा व्यपार में करीब 60 फीसदी की गिरावट हो गई। कई कंपनियों ने दवाओं की आपूर्ति रोक दी है। मुनाफे के फेर में फुटकर...

जीएसटी से औंधे मुंह गिरा दवा कारोबार
कार्यालय संवाददाता,गोरखपुरWed, 12 Jul 2017 07:27 PM
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जीएसटी(गुड्स एंड सर्विस टैक्स) के लागू होने के बाद दवा बाजार औंधे मुंह गिर गया है। दवा व्यपार में करीब 60 फीसदी की गिरावट हो गई। कई कंपनियों ने दवाओं की आपूर्ति रोक दी है। मुनाफे के फेर में फुटकर व्यापारी दवा खरीदने से हिचक रहे हैं।
देश में एक जुलाई से जीएसटी लागू हो गया। जीएसटी में दवा, सर्जिकल समान, इलाज के सहायक उपकरण और विकलांगता उपकरण पर 5 से लेकर 18 फीसदी का कर लगाया गया है। नया कर लागू होने के बाद से ही दवाओं के व्यापार में भारी गिरावट हुई है। पूर्वी यूपी में दवा कारोबार का बड़ा केन्द्र भालोटिया बाजार है।

खास-खास
महज दो करोड़ का हो रहा रोजाना कारोबार
कई दवा कंपनियां नहीं दे रहीं आपूर्ति
फुटकर दवा विक्रेता भी मुनाफे और कर को लेकर असमंजस में
जीवनरक्षक दवाओं की आपूर्ति हुई कम

50 हजार से महंगे तोहफे पर जीएसटी

इस बाजार में करीब 500 थोक दवा की दुकानें हैं। यहां रोजाना करीब 5 करोड़ का करोबार होता है। जीएसटी लागू होने के बाद दवा के थोक और फुटकर कारोबारी असमंजस में है।
टैक्स के अंतर से कम हुआ मुनाफा
दवा विक्रेता समिति के उपाध्यक्ष राजेश तुलस्यान ने बताया कि दवा बाजार में आज भी जीएसटी के लागू होने से पहले का स्टॉक है। इस स्टॉक पर महज पांच फीसदी कर लगता था। अब कर की दर 18 फीसदी तक हो गई। दवा की एमआरपी नहीं बढ़ी। ऐसे में बढ़े हुए कर के कारण मुनाफा कम हो गया है। मुनाफे पर हो रही चोट के कारण फुटकर व्यापारी दवा खरीदने से हिचक रहे हैं। थोक बाजार में दवा की बिक्री काफी कम हो गई है। थोक व्यापारियों ने स्टॉक को होल्ड कर लिया है।

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कंपनियां नहीं कर रहीं आपूर्ति
जीएसटी के फेर से दवा कंपनियां भी उबर नहीं पा रही है। 50 फीसदी दवा कंपनियां अब तक सप्लाई शुरू नहीं कर सकी। एमएसडी, सन और इंटास जैसी बड़ी दवा कंपनियों के पास आर्डर पड़े हुए हैं। वह सप्लाई करने से हिचक रहीं हैं। हालांकि अरिस्टो, सिप्ला और यूएसबी ने माल की आपूर्ति शुरू कर दी है।

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ऑफर का धंधा हुआ बंद
 दवा कंपनियां व थोक व्यापारी अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए फुटकर व्यापारियों को ऑफर देते हैं। जीएसटी शुरू होने के बाद यह पूरी तरह से बंद हो गया है। इससे फुटकर व्यापारियों का मुनाफा कम हुआ है। 
नियंत्रित मूल्य की दवाओं पर रखें है नजर
ड्रग इंस्पेक्टर संदीप चौधरी ने बताया कि जीएसटी के बाद कुछ दवाओं के कमी की सूचना मिली है। इसकी पड़ताल की जा रही है। हम इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि नियंत्रित मूल्य वाली दवाएं (डीपीसीओ) को एमआरपी से अधिक रेट पर न बेचा जाए। इसके लिए जगह-जगह पर जांच की जा रही है। 

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