बाबा हरदेव के साथ सालों बाद अपनी यूनिवर्सिटी पहुंचे चंदौली के जिला जज, बोले-दिलो दिमाग में बसी है बॉटनी
गोरखपुर। कार्यालय संवाददाता डीडीयू से 1977 में एमएससी बॉटनी पास चंदौली के जिला जज राजेन्द्र सिंह चालीस साल बाद शनिवार को अपना पुराना विभाग देखने पहुंचे थे। शोधार्थियों, शिक्षकों व कर्मचारियों के बीच...
गोरखपुर। कार्यालय संवाददाता
डीडीयू से 1977 में एमएससी बॉटनी पास चंदौली के जिला जज राजेन्द्र सिंह चालीस साल बाद शनिवार को अपना पुराना विभाग देखने पहुंचे थे। शोधार्थियों, शिक्षकों व कर्मचारियों के बीच उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि वह न्यायिक सेवा में भले हैं मगर बॉटनी उनके दिलो दिमाग में पूरी तरह से रच बस चुकी है। आज भी वह जहां जाते हैं, आस पास के इलाके को हरा भरा करने का कोई अवसर नहीं चूकते।
श्री सिंह ने बताया कि पिछले दिनों जब उनकी तैनाती लखनऊ में थी तब उन्होंने नया हाई कोर्ट परिसर को ग्रीन लुक देने का प्रयास किया था। पौधों के पुष्पित पल्लवित होने के बाद यह कल्पना पूरी तरह साकार हो जाएगी। हाईकोर्ट ऐसे पौधे से लिखा दिखेगा, जिसमें पत्ते व लत्तियां हैं। पलास, रुद्राक्ष व 22 तरह के औषधीय प्लांट्स के अलग-अलग बाग तैयार किए हैं। इतना ही नहीं, वह जहां भी रहते हैं, घर के आस पास को भी ग्रीन लुक देने का प्रयास करते हैं। जहां भी जाते हैं, दुर्लभ किस्म के पौधे उठा लाते हैं।
उन्होंने बताया कि यहां से एमएससी करने के बाद उन्होंने लॉ किया और न्यायिक सेवा को कॅरियर बनाया मगर आज भी बॉटनी की किताबों को लगातार अध्ययन करते हैं। पौधों के औषधीय गुण पर रिसर्च करते हैं। खुद दर्द निवारक तेल तैयार किया है। घर में लंबे समय से एल्योविरा की पौधा लगाते हैं और परिवार के लोग उसके गूदे का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया अधिक से अधिक पौधे लगाएं और अधिक से अधिक लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करें। पौधे हमें ऑक्सीजन तो देते ही हैं, कई तरह की औषधियां देकर हमें निरोगी रहने में भी मदद करते हैं।
श्री सिंह ने बताया कि उनके पिता हरिमूर्ति सिंह डीडीयू के पहले वित्त अधिकारी थे। जौनपुर के मड़ियाहू निवासी श्री सिंह ने बॉटनी विभाग में अपना अध्ययन कक्ष, लैब, लाइब्रेरी और बॉटेनिकल गार्डेन देखा और खुश होते हुए कहा कि अब यहां काफी तरक्की हो चुकी है।
बॉटनी विभागाध्यक्ष प्रो. वीएन पांडेय ने उनका स्वागत करने के साथ विभाग के लोगों से परिचय कराया। उन्हें विभाग की ओर से औषधीय व ग्रह नक्षत्र आधारित पौधों संबंधी शोध पत्रिका सौंपी।
हनुमान चालीसा के मंत्र ने बदल दी जिंदगी
चंदौली के जिला जज के साथ आए रिटायर प्रशासनिक अधिकारी बाबा हरदेव सिंह ने विभाग में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हनुमान चालीसा के मंत्र ने उनकी जिंदगी बदल दी। प्रशासनिक सेवा में आने के बाद एक महात्मा ने उनसे पूछा था, हनुमान चालीसा पढ़ते हो तो उसका मंत्र बताओ। मैं नहीं समझ पाया तो उन्होंने बताया, आपन तेज संभारो आपे, तीनों लोक हांकते कांपे। यह मंत्र मुझे तब समझ में आ गया और मैंने आत्मबल पर ध्यान केन्द्रित किया।
इसके बाद पूरी जिंदगी बिना कोई दबाव सहे काम किया। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि उन्हें भी आत्मबल पहचानना है। मानव में तेज बहुत होता है। यदि उसे संभाल कर सही दिशा में लगाया जाए तो केवल विद्यार्थी का ही नहीं, पूरे समाज का भला होगा। उन्होंने कहा कि आज की सबसे बड़ी समस्या जनरेशन गैप है। हमारे समय में यह गैप बहुत कम था। खास तौर से आपको यानि उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों को तय करना है कि बाजारीकरण के इस दौर में नैतिक मूल्यों को कैसे क्षरण नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि मेरी नौकरी में मेरी जो चिंता थी, उसे लिखकर किताब की शक्ल दे दी। किताब का नाम है, बेइमान क्यों हो जाती है नौकरशाही। आप भी अपनी चिंताएं लिखिए, समाज को उससे बड़ी मदद मिलेगी।