हौसले को सलाम : बाढ़ में बहन ने नाव खेकर भाई को किनारे पहुंचाया
सरयू और घाघरा की उफनाती लहरें शनिवार को एक बहन का साहस देख कर हैरान रह गई। नवाबगंज के जैतपुर मांझा की एक साहसी बेटी ने पांच किलोमीटर नांव खेकर अपने भाई और उसके बेटे को सुरक्षित किनारे तक पहुंचा दिया।...
सरयू और घाघरा की उफनाती लहरें शनिवार को एक बहन का साहस देख कर हैरान रह गई। नवाबगंज के जैतपुर मांझा की एक साहसी बेटी ने पांच किलोमीटर नांव खेकर अपने भाई और उसके बेटे को सुरक्षित किनारे तक पहुंचा दिया। तीन घंटे तक चप्पू से नांव चलाने के बाद भी यह बहन थकी नही और फिर वापस हो गई दूसरे फंसे लोगों को निकालने के लिए।
हौसलों की यह मिसाल पेश करने वाली जैतपुर गांव की यह बेटी कोई और नहीं सुशीला यादव है। अत्यंत गरीब परिवार की सुशीला जब से बाढ़ आई है लोगों की मदद में लगी हुई हैं। शनिवार को तो उसने कमाल ही कर दिया। पटपरगंज डाक बंगले पर बने बाढ़ राहत केन्द्र पर बैठे अफसर भी इस बेटी का साहस देख हैरान रह गए। सुशीला कहती हैं कि भाई रमेश नांव चलाने से घबरा रहे थे और बच्चे को लेकर परेशान थे।
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इसलिए चल पड़ी दोनों को लेकर। खास बात यह है कि सुशीला खेतों में भी अपने पिता अवन कुमार का हाथ बंटाती है। वे कहती हैं कि दूसरों की मदद से जो सुख मिलता है वह पूजा से कहां। फिलहाल सुशीला के साहस की चर्चा पूरे इलाके में हो रही है।
वहीं, सरयू के प्रचण्ड हो रही वेग शनिवार को थमती नजर आयी। पर बाढ़ के आगोश मे समाये गांवो की स्थिति अब भी गम्भीर है। पीड़ितो के समक्ष दैनिक जरूरत की चीजो के साथ ही मवेशियों के हरे चारे का घोर किल्लत हो जाने से लोग परेशान है। अपर जिलाधिकारी रत्नाकर मिश्रा ने बताया कि राहत पहुंचाई जा रही है। उन्होंने कहा कि वास्तव में सुशीला ने साहस का परिचय दिया है।