गंगा के जलस्तर बढ़ने से चिंता बढ़ी
बीते शनिवार से गंगा का जलस्तर फिर से बढ़ने लगा है। एक माह के अंदर चौथी बार गंगा में बढ़ाव देख तटवर्ती गांव के लोग बाढ़ के संभवित खतरे की सोचकर परेशान हैं। वहीं गंगा मे बढ़ाव से किनारे के खेतों की कटान भी...
बीते शनिवार से गंगा का जलस्तर फिर से बढ़ने लगा है। एक माह के अंदर चौथी बार गंगा में बढ़ाव देख तटवर्ती गांव के लोग बाढ़ के संभवित खतरे की सोचकर परेशान हैं। वहीं गंगा मे बढ़ाव से किनारे के खेतों की कटान भी होने लगी है। तीन दशक से ज्यादा का समय गुजर गया, धानापुर ब्लॉक के दो दर्जन गांव गंगा की तीक्ष्ण लहरों का तांडव झेल रहे हैं। गंगा कटान के चलते हुई त्रासदी में सैकड़ों किसान भूमिहीन हो गए। जबकि आधा दर्जन गांव के दर्जनों परिवार बेघर हो अन्यत्र पलायित कर गए। अब एक बार फिर से जब गंगा में बाढ़ के हालात बनने लगे हैं। तो तटवर्ती गांव के किसान भी चिंतित होने लगे। किसानों का कहना है कि महुंजी से लेकर सहेपुर के बीच दो दर्जन गांव गंगा कटान के चलते बर्बादी के कगार पर खड़े हैं। जिनमें अवही, महुंजी, बयानपुर, जिगना, गुरैनी, प्रहलादपुर, पपरौल, कवलपुरा, सोनहुली, नगवां, मेढवा, अमादपुर, बड़ौरा, महमदपुर, नरौली, नोघरा, बुद्धपुर, हिंगुतरगढ़, प्रसहटा, रामपुर दियां, सहेपुर आदि अन्य गांव शामिल हैं। लेकिन अफशोस इस बात का है कि हजारो एकड़ उपजाऊ जमीनों के गंगा कटान से बर्बाद होने के बाद भी शासन प्रशासन से लेकर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि तक मौन साधे रहे। क्षेत्रीय किसानों का कहना है कि यदि बाढ़ से बचाव और गंगा कटान से मुक्ति का कोई ठोस उपाय नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं, जब गांव के गांव गंगा के कहर से बर्बाद हो जाएंगे।