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विश्व बाघ दिवस: ....तब भारत सिंह ने मार दिए थे 89 बाघ

पीलीभीत का जंगल भले आज की तारीख में टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया हो और यहां शिकार अपराध हो गया हो, लेकिन पहले के जमाने में ऐसा नहीं था। जब बाघ का शिकार करना और उसे मार देना एक बहादुरी का काम माना...

विश्व बाघ दिवस: ....तब भारत सिंह ने मार दिए थे 89 बाघ
पंकज मिश्रा ,पीलीभीतSat, 29 Jul 2017 08:18 AM
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पीलीभीत का जंगल भले आज की तारीख में टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया हो और यहां शिकार अपराध हो गया हो, लेकिन पहले के जमाने में ऐसा नहीं था। जब बाघ का शिकार करना और उसे मार देना एक बहादुरी का काम माना जाता था। ज्यादा बाघ मारने पर सजा नहीं बल्कि ईनाम दिया जाता था। ऐसे ही एक बड़े शिकार माधोटांडा के रायबहादुर मिलाप सिंह के पुत्र भारत सिंह हुए। कहा जाता है कि उन्होंने अपने जीवनकाल में 89 टाइगर मारे थे। इस पर उन्हें कई इनाम भी दिए गए।  

पीलीभीत की धरती एक से एक सुरामाओं की धरती मानी जाती है। ऐसे ही एक सुरमा हुए शिकारी भारत सिंह। साल 1926 में जन्मे भारत सिंह पीलीभीत के माधोटांडा के रहने वाले थे। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही बाघ का शिकार करना शुरू कर दिया था। बात उस दौर की है, जब बाघ अगर लगातार इंसानों पर हमला करे तो उसे डीएम अपने स्तर से ही आदमखोर घोषित कर देते थे। भारत सिंह ने जो बाघ मारे वे आदमखोर और गैर आदमखोर दोनों ही थे। उनकी बहादुरी को देखते हुए उन्हें कैश ईनाम और असलहे भी दिए गए। बात सात अपै्रल 1956 की है। जब कमिशनर आरएन डे और डीएम जेएस स्याल हाथी  पर बैठकर हजारा में शिकार करने गए थे। इसी दौरान एक बाघ ने हाथी पर ही हमला कर दिया। हाथी के दोनों पैर नीचे आ गए।

विश्व बाघ दिवस: एक बाघ जिसे पांच कत्ल पर मिली थी 'कैद'

बस फिर क्या था। कमिशनर, डीएम और भारत सिंह की जान खतरे में पड़ गई। कुछ ही देर में भारत सिंह ने ऐसा अचूक निशाना बनाया कि बाघ मारा गया। इस बहादुरी पर उन्हें पांच हजार रुपये का ईनाम और एक बंदूक ईनाम में दी गई।  भारत सिंह के ऐसे ही कई बहादुरी के किस्से मशहूर हैं। एक बार भातर सिंह का डाकू बशीरा ने अपहरण कर लिया। हालांकि उन्हें फिरौती रकम देकर छुड़ाया गया। लेकिन डाकू की पत्नी नहीं चाहती थी कि भारत सिंह को कुछ हो।

जब डाकू बशीरा मारा गया तब उसकी पत्नी ने यह बात बताई, तब इसका खुलासा हुआ। भारत सिंह के दो पुत्र हुए। एक राजकुमार और दूसरे विपिन सिंह। राजकुमार का निधन हो गया, लेकिन राजकुमार के पुत्र अतुल सिंह का भी बाघों से करीबी रिश्ता रहा। जब भी बाघ कहीं आतंक मचाता है और उसे पकड़ने की कोशिश की जाती है तो अतुत सिंह उनमें सक्रिय भूमिका निभाते हैं। साल 2000 में भारत सिंह इस दुनिया को छोड़कर चले गए।

शम्मी कपूर और बैजंती माला यहां खेल चुके हैं शिकार 
पीलीभीत का जंगल केवल उत्तर प्रदेश या देश में ही नहीं, बल्कि एशिया से लेकर यूरोप तक में काफी मशहूर हुआ करता था। अंग्रेजों के जमाने में दूर दूर से लोग यहां शिकार करने आया करते थे और बाघ को मारकर अपनी बहादुरी साबित करते थे। इसमें एक नाम बॉलीबुड स्टार शम्मी कपूर का भी शामिल है। बात साल 1956-57 के आसपास की रही होगी। उस वक्त शम्मी कपूर और बैजंती माला किसी फिल्म की शूटिंग साथ साथ कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें पीलीभीत के मशहूर जंगलों के बारे में किसी ने बताया। कहा जाता है कि शम्मी कपूर अक्सर शिकर खेलने चले जाया करते थे। कपूर को जैसे ही पता चला कि पीलीभीत के जंगल में बाघ हैं, वैसे ही वे वैजंतीमाला को लेकर पीलीभीत आए और शिकार खेलने जंगल की ओर रवाना हो गए। दोनों बराही गेस्ट हाउस में रुके और वहीं पर एक खानसामा ने उनका खाना तैयार किया। उस खानसामा की हाल ही में मौत हो गई। दो दिन तक शम्मी कपूर और वैजंती माला ने शिकार किया और उसके बाद वापस अपने घर की ओर रवाना हो गए। यह बात आज भी पीलीभीत के लोगों के बीच काफी फक्र के साथ कही और सुनी जाती है।  
 

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