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असलहों के शौकिनों की कटेगी जेब

यूं तो शस्त्र रखना कभी आत्मरक्षा के लिये आवश्यक माना जाता था, लेकिन बदलते परिवेश में लोगों की नजर में हथियार रखना स्टेटस सिंबल भी हो गया है। सरकार द्वारा नये शस्त्र कानून को मान्यता देने के बाद यह...

असलहों के शौकिनों की कटेगी जेब
Center,VaranasiMon, 05 Jun 2017 11:51 PM
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यूं तो शस्त्र रखना कभी आत्मरक्षा के लिये आवश्यक माना जाता था, लेकिन बदलते परिवेश में लोगों की नजर में हथियार रखना स्टेटस सिंबल भी हो गया है। सरकार द्वारा नये शस्त्र कानून को मान्यता देने के बाद यह शौक अब लोगों की जेब पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। वजह की इन शस्त्रों के नवीनीकरण का शुल्क में एक-दो फीसदी नहीं बल्कि लगभग 2433 प्रतिशत की वृद्धि कर दिया है। यही नहीं निर्धारित समयावधि के बाद नवीनीकरण कराने पर इस शुल्क के अलावा जुर्माना भी भरना होगा। जिले में तकरीबन नौ हजार 16 लोगों के पास शस्त्र का लाइसेंस है। सरकारी आंकड़ों पर नजर डाले तो साठ फीसदी एसबीबीएल व डीबीबीएल (बंदूक) का लाइसेंस है। जबकि तकरीबन 25-30 प्रतिशत लोगों के पास राइफल तथा 10-15 फीसदी के पास रिवाल्वर व पिस्टल का लाइसेंस हैं। इन शस्त्रों का लाइसेंस नवीनीकरण प्रत्येक तीन साल बाद कराना अनिवार्य होता है। समय रहते इनका रिन्यूवल न कराने पर शस्त्रधारी से पेनाल्टी शुल्क भी जमा कराया जाता है। 25 अगस्त 2016 के नये शासनादेश ने इन शस्त्रधारियों की जेब पर भारी बोझ डाल दिया है। नये नियम के मुताबिक लाइसेंस रिन्युवल कराने का चार्ज 60 रुपये की जगह पर अब 1500 रुपये चुकाने होंगे, वहीं पेनाल्टी शुल्क को बढ़ाकर 2000 हजार रुपये कर दिया गया है। यानी नये शासनादेश में स्टेटस सिम्बल बने शस्त्रों के लिये भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। इनसेट शस्त्र रिन्यूवल फीस (पुरानी दर) पेनाल्टी (पुरानी दर) बंदूक 60 100 राइफल 90 100 पिस्टल/ रिवाल्वर 150 100 जबकि नये नियम के अनुसार सभी प्रकार के लाइसेंस नवीनीकरण का शुल्क 1500 रुपये व पेनाल्टी शुल्क 2000 हजार रुपये कर दिया गया है। तीन माह के भीतर फैसला लेना अनिवार्य वैसे तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2013 से नये शस्त्र लाइसेंस पर रोक लगा रखी है। लेकिन नये शासनादेश में शस्त्र लाइसेंस के लिये की जाने वाली प्रक्रिया हेतु समय सीमा निर्धारित कर दिया गया है। पुराने आर्म्स रूल में जहां 64 धाराएं थीं, वहीं नये रूल में इसे बढ़ा कर 113 कर दिया गया है। नये निर्देशों के तहत शस्त्र के आवेदनों पर तीन माह के भीतर फैसला देना अनिवार्य होगा। यानी जिला मजिस्ट्रेट को नये आवेदन पर पुलिस रिपोर्ट प्राप्त होने के दो माह के भीतर ही फैसला लेने की बाध्यता होगी।

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