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61वें उर्से पाक के आखिरी दिन उमड़ा जायरीनों का सैलाब

सूफी-ए बा सफा हजरत मौलाना शुजाअत अली मिया रह के सालाना (61वें) उर्से पाक के आखिरी दिन मंगलवार को शुरूआत सुबह कुरआनख़्वानी के साथ की गई। सुबह फर्ज की नमाज़ के बाद से ही आसपास के शहरों व जिलों...

61वें उर्से पाक के आखिरी दिन उमड़ा जायरीनों का सैलाब
हिन्दुस्तान टीम,बदायूंTue, 04 Jul 2017 09:13 PM
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सूफी-ए बा सफा हजरत मौलाना शुजाअत अली मिया रह के सालाना (61वें) उर्से पाक के आखिरी दिन मंगलवार को शुरूआत सुबह कुरआनख़्वानी के साथ की गई। सुबह फर्ज की नमाज़ के बाद से ही आसपास के शहरों व जिलों मुरादाबाद, बरेली, शाहजहांपुर, पीलीभीत, हल्द्वानी, बदायूं व कस्बों गांवो से लाखों की संख्या में आए ज़ाएरीनो का तातां बधा रहा। हिन्दुस्तान के हर कोने से ज़ाएरीन की आमद हुई। ककराला शरीफ की सड़के व गलियां ज़ाएरीन की भीड़ से तंग नज़र आई। हर तरफ ज़ाएरीन का हुजूम लगा रहा, उर्स में आए सभी वाहनों की पार्किंग दरगाह शरीफ से 4, 5 किमी पहले ही की गई।मंगलवार को साला उर्स के आखिरी दिन ठीक सात बजे दरगाह शरीफ पर तकरीरी महफिल सजी, महफिल का आगाज़ तिलावते कलामे पाक से हुआ। मौलाना फहीम सकलैनी अज़हरी ने अपनी तकरीर में शाह शुजाअत मियां की नूरानी जिन्दी पर रौशनी डाली, मौलाना रिफाकत सकलैनी ने हूजूर नबी-ए-करीम सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम की सीरते पाक बयान की और लोंगों को हूजूर की सुन्नतों पर चलने की हिदायत दी। मौलाना नूर आलम ने अपनी तकरीर में कहा कि ककराला की बस्ती को बड़ी फज़ीलत और अहमियत हासिल है क्योंकि इस सरजमीन से हमारे अज़ीम बुजुर्ग शाह दरगाही महबूब-ए-इलाही को खास लगाव था और हजरत शाह शराफत अली मियां, शाह शुजाअत अली मियां, शाह मुहम्मद सकलैन मियां जैसी अज़ीम बुजुर्ग हस्तियो का यह आबायी वतन भी है। इसलिए ककराला शरीफ हमारे लिए बहुत अज़ीम और काबिले अहतराम है। इसके बाद हाफिज़ आमिल सकलैनी, हसीब रौनक सकलैनी ने नात व मनकब़त का नजराना पेश किया। प्रोग्राम का संनचालन मुख्तार सकलैनी तिलहरी ने किया। इधर वक्त के मुताबिक ठीक 11 बजे पीरो मुरर्शिद शाह सकलैन मियां हुजूर ने कुल शरीफ की रस्म अदा की कुल शरीफ के वक्त जिसको जहां जगह मिली वो अदब अहतराम के साथ वही बैठ गया। कुल शरीफ की रस्म बहुत शानदार और सूकून के साथ अदा हुई और इसी रस्म के साथ उर्स सम्पन्न हुआ। आखिर मे पीरो मुरर्शिद मियां हुजूर ने मुल्क मे अमनो सूकून व फिलिस्तीनी मुसलमानो की हिफाजत के लिए खुसूसी दुआएं की। उर्स मे आए सभी अकीदतमंदो को मियां हुजूर ने अपनी नेक दुआओं से नवाज़ा। सभी ज़ाएरीन ने लंगर का खाने का खूब लुत्फ लिया और सभी ज़ाएरीन शाह शुजाअत अली मियां के फैजान से मालामाल होकर और मियां हुजूर से इजाजत लेते हुए अगली साल फिर आने का इरादा लेकर अपने-अपने घरो को रूखसत हुए। इंसेटउर्स में तैनात रहा पुलिस बल ककराला में सालाना उर्स को लेकर प्रशासन ने पहले से ही सभी तैयारियां कर ली थी क्योंकि यहां हर वर्ष सालाना उर्स किया जाता है। जिसमें जिले के अलावा दूसरे जिलों से भी जायरीन आते हैं । इसको लेकर सुरक्षा व्यवस्था की दृष्टि से भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात कर रखा था। हजरत मुमताज मियां ने पुलिस-प्रशासन का पूरा-पूरा सहयोग करने के लिए आभार भी व्यक्त किया है। बिजली व्यवस्था ने दिया साथ ककराला में तीन दिवसीय सालाना उर्स के लिए बेहतरीन तरीके से व्यवस्थाएं की गई थी। क्योंकि इस सालाना उर्स में जिले के अलावा गैर जिलों व आसपास इलाकों के भारी संख्या में जायरीन आए हुए थे। इसको लेकर नगर पंचायत प्रशासन ने उर्स के लिए बिजली सप्लाई भी बेहतरीन तरीके से दी है। बिजली सप्लाई बेहतर मिलने से लोगों को राहत मिली है। पेयजल के लिए किए थे बेतहरी इंतजाम गर्मी के मौसम में सालाना उर्स के मौके पर जायरीनों को पेयजल व्यवस्था भी काफी चौकस रही है। यहां नगर पंचयात द्वारा पेयजल व्यवस्था को लेकर पानी के टैंक भी लगा रखे थे क्योंकि लाखों की संख्या में जायरीनों की भीड़ उमड़ी। इस पर गर्मी के मौसम में पेयजल व्यवस्था चौकस होने से काफी राहत मिली है। खूब शानो शौकत से हुआ मुशायरा सालाना उर्स के मौके पर रात 10 बजे आल इण्डिया तरही मुशायरा का आगाज़ हुआ। महफिल का आगाज़ तिलावत कलाम-ए-पाक से हुआ। मुशायरे में मशहूर शायरों ने शिरकत की और सभी ने अपने- अपने अन्दाज में कलाम सुंनाकर लोंगो का खूब महजूज़ किया। मुशायरे का निजामत मुख्तार तिलहरी ने की और सदारत मुन्तखब अहमद नूर ने की। मुशायरे में निसार अहमद मुम्बई अन्सार अहमद झांसी, राहील सकलैनी किछा, शाहिद सकलैनी बरेली, चमन सकलैनी बरेली राग़िब ककरालवी फरहत ककरालवी शम्स आदिल, आगाज साकी, डा. तोहीद अख्तर ने शिरकत की। जायरीनों के जनसैलाब से ककराला की गली-गली रही जाम सालाना उर्स के मौके पर अंतिम दिन मंगलवार को ककराला में गली-गली जाम रही है क्योंकि यहां भारी संख्या में जायरीनों का जन सैलाब उमड़ा था। बतादें कि तीन रोजा उर्स में आखिरी दिन जिले के अलावा बाहरी लोगों की अपार भीड़ उमडी। इससे गलियों और मार्गों पर दूर-दूर तक जायरीन ही दिखाई दे रहे थे।

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