कर्मचारी कल्याण निगम के स्टोर पर जीएसटी की छाया
यदि मौजूदा व्यवस्था में कुछ बदलाव नहीं हुआ तो कर्मचारी कल्याण निगम के स्टोर व कैंटीन पर सस्ते सामान नहीं मिल पाएंगे। हालाकि निगम ने सरकार से जीएसटी से इसे अलग रखने की मांग की है। यदि सरकार ने मांग...
यदि मौजूदा व्यवस्था में कुछ बदलाव नहीं हुआ तो कर्मचारी कल्याण निगम के स्टोर व कैंटीन पर सस्ते सामान नहीं मिल पाएंगे। हालाकि निगम ने सरकार से जीएसटी से इसे अलग रखने की मांग की है। यदि सरकार ने मांग नहीं मानी तो फिर एक जुलाई से निगम की कैंटीन से राज्यसरकार के कर्मचारियों को रियायती सामान नहीं मिल पाएंगे। जीएसटी के दायरे में आने के बाद जिले में चल रही निगम की तीन कैंटीन व स्टोर से सस्ते दरों मिल रहे सामान कर्मचारियों को नहीं मिल पाएंगे। वहीं दूसरी ओर यदि सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो बहुत संभव है कि निगम का असतित्व ही खत्म हो जाए। जिले में कलेक्ट्रेट भवन के सामने कर्मचारी कल्याण निगम की एक कैंटीन है। वहीं इसका विस्तार दीवानी में भी चल रहा है। इसके साथ ही ठंडी सड़क पर निगम का ही एक फैमिली बाजार भी चल रहा है। इस स्टोर में रियायती दरों पर खाद्य वस्तुओं, रोजमर्रा की घरेलु वस्तुओं के साथ ही इलेक्ट्रानिक गुड्स भी मिलते हैं। जिले में दस हजार से अधिक कार्ड धारक हैं। वहीं लगभग 25 हजार से अधिक पेंशनर व राज्यकर्मचारी यहां से रियायती घरेलु वस्तु खरीद का लाभ पा रहे हैं। निगम के इन कैंटीन व स्टोर में एक दर्जन से अधिक कर्मचारियों को भी इसका भय सता रहा है। फिलहाल की व्यवस्था के मुताबिक निगम के स्टोर को भी जीएसटी दायरे में रखा गया है। हम लोगों ने सरकार से इसे जीएसटी मुक्त रखने की मांग रखी है। जल्द ही इस पर क्या होना है इसका फैसला आ जाएगा। हम सभी इसके इंतजार में हैं। यदि जीएसटी के दायरे से मुक्त नहंी किया गया तो कर्मचारियों को इसमें राहत नहीं मिल पाएगी। एके राय प्रबंधक, कर्मचारी राज्य निगम कर्मचारी राज्य निगम के स्टोर से सामान्य व्यवसाइयों को जबरदस्त नुकसान हो रहा है। अब यदि सरकार ने इसे जीएसटी के दायरे में रखने का फैसला किया है तो हम इसका स्वागत करते हैं। अब यदि सरकार ने कर्मचारी राज्य निगम की मांग मान कर इसे जीएसटी से मुक्त कर देती है तो हम इसका विरोध करेंगे। छोटे मझोले व्यवसाइयों की इनके स्टोर ने कमर तोड़ दी है। संत प्रसाद अग्रवाल जिला अध्यक्ष उद्योंग व्यापार प्रतिनिधि मंडल