कैदियों की अस्वाभाविक मौतों पर मुआवजे की कार्ययोजना तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जेलों में कैदियों की अस्वाभाविक मौत के बाद उनके परिजनों को दिए जाने वाले मुआवजे पर कार्ययोजना की जानकारी मांगी है।कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि वह कौन सा प्रावधान...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जेलों में कैदियों की अस्वाभाविक मौत के बाद उनके परिजनों को दिए जाने वाले मुआवजे पर कार्ययोजना की जानकारी मांगी है।
कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि वह कौन सा प्रावधान है, जिसके तहत जेलों में कैदियों की अस्वाभाविक मौत होने पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की जांच एवं निर्देश पर उसके परिजनों को मुआवजा दिया जाता है। यह आदेश चीफ जस्टिस डीबी भोसले एवं जस्टिस एमके गुप्ता की खंडपीठ ने लीगल एंड सर्विस क्लीनिक लॉ स्कूल बीएचयू एवं अन्य की आपराधिक जनहित याचिका पर दिया है। याचिका में कहा गया है कि सरकार के पास ऐसी कोई ठोस नीति नहीं है जिससे जेलों में कैदी की अस्वाभाविक मौत के बाद उसके परिजनों को मुआवजा देने के लिए कार्रवाई हो सके।
सरकार की ओर से कहा गया कि ऐसी मौतों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग कीजांच के बाद मुआवजे का आकलन किया जाता है और इसके बाद कैदी के परिजनों को मुआवजा देने की कार्रवाई की जाती है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ऐसी योजना क्यों नहीं बनाती जिससे किसी भी जेल में कैदी की अस्वाभाविक मौत के तत्काल बाद उसके परिवार वालों को मुआवजे आदि की कार्यवाही एक समय सीमा में स्वतः शुरू होकर निपट जाए।