नाराज हाईकोर्ट ने पूछा, निकाय चुनाव कब तक
हाईकोर्ट में प्रदेश में निकाय चुनावों में दो रही देरी पर राज्य सरकार से पूछा है कि समय से चुनाव क्यों नहीं कराए जा रहे हें। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता की...
हाईकोर्ट में प्रदेश में निकाय चुनावों में दो रही देरी पर राज्य सरकार से पूछा है कि समय से चुनाव क्यों नहीं कराए जा रहे हें। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने गीता शर्मा सहित गौतमबुद्धनगर से अमरोहा तक 21 नगर पालिका व नगर पंचायत अध्यक्षों की ओर से दाखिल याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एमडी सिंह शेखर को सुनकर दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि निकाय चुनाव कब तक कराए जाएंगे। याचिकाओं में नगर निगमों की कार्यकारिणी का कार्यकाल समाप्त होने पर प्रशासक और नगर पंचायतों में अधिशासी अधिकारी को चेयरमैन का चार्ज देने को चुनौती दी गई है। साथ ही समय से चुनाव न कराने को संविधान के अनुच्छेद 243 यू और म्युनिसपिलिटी एक्ट की धारा 10 ए का उल्लंघन बताया गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता एमडी सिंह शेखर ने अपने तर्क में कहा कि निकायों के चुनाव समय से कराने की जिम्मेदारी सरकार की है। इसके लिए वोटरलिस्ट तैयार न होने और आरक्षण या परिसीमन न होने का बहाना नहीं बनाया जा सकता। चुनाव न कराकर अधिकारियों को चार्ज देना संविधान विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि म्युनिसपिलटी एक्ट की धारा 10 ए के अनुसार निकाय कार्यकारिणी की पहली बैठक से पांच साल पूरे होने के पहले नए चुनाव करा लिए जाने चाहिए। नगर निगमों व नगर पंचायतों की कार्यकारिणी का कार्यकाल अगस्त के पहले सप्ताह में समाप्त हो रहा है लेकिन सरकार 15 जुलाई के शासनादेश से चुनाव कराने की बजाय प्रशासक नियुक्त कर रही है। मामले पर अगली सुनावई 21 जुलाई को होगी।