ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश42 स्कूलों में निरीक्षण के दिन भी नहीं बना मिडडे मिल

42 स्कूलों में निरीक्षण के दिन भी नहीं बना मिडडे मिल

जिले के प्राथमिक विद्यालयों की दशा का निरीक्षण करने के लिए प्रशासन की टीम के निरीक्षण की पूर्व घोषणा के बावजूद स्कूलों ने ढर्रा नहीं बदला। जिले में 42 ऐसे स्कूल थे जहां बड़ी जांच के दिन भी मध्यान भोजन...

42 स्कूलों में निरीक्षण के दिन भी नहीं बना मिडडे मिल
हिन्दुस्तान टीम,इलाहाबादFri, 21 Jul 2017 09:31 PM
ऐप पर पढ़ें

जिले के प्राथमिक विद्यालयों की दशा का निरीक्षण करने के लिए प्रशासन की टीम के निरीक्षण की पूर्व घोषणा के बावजूद स्कूलों ने ढर्रा नहीं बदला। जिले में 42 ऐसे स्कूल थे जहां बड़ी जांच के दिन भी मध्यान भोजन नहीं बना। दुस्साहस ये है कि 95 शिक्षक, शिक्षिकाएं, शिक्षामित्र और अनुदेशक गायब मिले। 198 स्कूलों में अब तक पाठ्य पुस्तक वितरण नहीं हुआ और 829 स्कूलों में अब तक यूनिफॉर्म वितरण तक नहीं हुआ। जिले के 3201 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की वास्तविक स्थिति को जानने के लिए प्रशासन ने शुक्रवार को बृहद जांच अभियान की घोषणा की थी। घोषणा के बावजूद स्कूलों की स्थिति न सुधरे हैं न सुधरेंगे की तर्ज पर रहे। तमाम स्कूलों में जहां शिक्षक समय से पहुंचकर अध्यापन कार्य में जुट गए वहीं कुछ स्कूल ऐसे भी थे जहां व्यवस्था में एक पैसे का बदलाव नहीं दिखा। आम दिनों की भांति यहां न तो खाना बना न ही बच्चों के बैग में किताबें थीं। स्कूलों में हैंडपंप खराब था तो कहीं शौचालय नहीं बनाए गए थे। स्वच्छता अभियान स्कूलों में धड़ामइलाहाबाद। केन्द्र व प्रदेश सरकार जिस स्वचछता अभियान के लिए काम कर रही है वो प्राथमिक विद्यालयों में ही धड़ाम है। निरीक्षण टीम को जिले के 287 स्कूलों में शौचालय मरम्मत योग्य और अक्रियाशील मिले। बच्चों को शौच के लिए खुले में जाना पड़ता है। बच्चे ही नहीं स्कूल के शिक्षक, कर्मचारी तक खुले में शौच कर रहे हैं। शहर के 23 स्कूल जर्जरशहरी क्षेत्र के 23 स्कूलों में पढ़ने वाले नौनिहाल खतरा मोलकर पढ़ाई कर रहे हैं। स्कूल भवन निरीक्षण दल को जर्जर मिले। इन स्कूलों का समय पर निरीक्षण तक नहीं किया गया। मरम्त के लिए कहीं फंड नहीं मिला तो कहीं विद्यालय प्रशासन की ओर से कोई कागजी कार्रवाई नहीं की गई। 2170 स्कूलों में बिना बिजली और पंखे पढ़ाईबच्चों को स्कूलों में सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हो सकीं। निरीक्षण में 2170 स्कूल ऐसे थे जहां बिजली और पंखा नहीं था। ज्यादातर स्कूल ऐसे थे जहां बिजली कनेक्शन तक नहीं हुआ था। बच्चे हाथों में काफी और किताब का पंखा बनाकर काम चलाते हैं। ये मिली खराबी- 95 अध्यापक, शिक्षा मित्र अनुदेशक मिले अनुपस्थित।- 42 स्कूलों में मध्यान भोजन भी नहीं बनाया गया। - 198 स्कूलों में पाठ्य पुस्तक वितरण नहीं किया गया।- 1794 स्कूलों में आंशिक रूप से हुआ है पुस्तक वितरण।- 829 स्कूलों में निशुल्क यूनिफॉर्म का वितरण नहीं हुआ।- 65 कर्मचारियों को भी बिना सूचना के गायब पाया गया। - 1548 स्कूलों में यूनिफॉर्म कुछ बच्चों को ही मिली।- 2170 स्कूलों में विद्युतीकरण तक नहीं हो पाया है।- 439 स्कूलों में हैंडपंप या तो खराब या मरम्मत योग्य।- 287 स्कूलों में शौचालय मरम्मत योग्य या अक्रियाशील।- शहरी क्षेत्र के 23 स्कूलों की स्थित जर्जर, मरम्मत योग्य। गायब का कटेगा वेतन, एक महीने में व्यवस्था होगी दुरुस्तरिपोर्ट के आधार पर डीएम ने शाम को की कार्यदायी संस्था की बैठकइलाहाबाद वरिष्ठ संवाददातादिनभर निरीक्षण के बाद शाम को रिपोर्ट के आधार पर डीएम संजय कुमार ने कार्यदायी संस्थाओं की बैठक बुलाई। स्कूलों की हालत पर जिलाधिकारी ने आक्रोश व्यक्त किया और गायब मिले कर्मचारियों और शिक्षकों का एक दिन का वेतन काटने का आदेश जारी किया। उन्होंने जिन स्कूलों में अव्यवस्थाएं पाई गईं उन्हें दूर करने के लिए कार्यदायी संस्थाओं को एक माह का वक्त दिया। अफसरों और कर्मचारियों की 1100 से अधिक टीमों ने पूरे दिन में जिले के तमाम स्कूलों में निरीक्षण किया। शाम को ब्लॉक वार रिपोर्ट जिलाधिकारी के यहां सौंपी गई। जिलाधिकारी ने लोक निर्माण विभाग, जिला पंचायत और तमाम विभागों की बैठक बुलाई। स्कूलों की रिपोर्ट विभागों के अफसरों के सामने पेश करने के साथ ही जिलाधिकारी ने पूछा कि आखिरी व्यवस्थाएं कैसे सुधरेंगी। उन्होंने जिले के शिक्षा के गढ़ों की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त की और सभी विभाग के अफसरों को लताड़ा। जिलाधिकारी एक माह का वक्त दिया। एक माह बाद रिपोर्ट के आधार पर स्कूलों का औचक निरीक्षण किया जा सकता है। समस्या बनी रहने पर जिम्मेदार कार्यदायी संस्था के अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई की चेतावनी दी। चपरासी बनें साहब पहुंचे जांच कोकोरांव। कोरांव क्षेत्र के स्कूलों में जांच के लिए ज्यादातर समूह घ के कर्मचारी जांच के लिए पहुंचे। जांच अफसरों की हालत ये रही कि जो शिक्षकों ने लिखा दिया वही उन्होंने लिखा। स्कूल के मानक और सरकारी नियम तक इन लोगों को नहीं पता थे। स्कूल के तमाम शिक्षकों ने ऐसी जांच व्यवस्था पर सवाल भी उठाया और खिल्ली भी उड़ाई। क्षेत्र के तमाम स्कूलों में हैंडपंप, शौचालय और विद्यालय भवन जर्जर मिले।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें