यूपी में अब बीटीसी नहीं डीएलएड कोर्स चलेगा
उत्तर प्रदेश में दो वर्षीय बेसिक टीचिंग सर्टिफिकेट (बीटीसी) कोर्स को अब डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड) नाम से जाना जाएगा। सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए...
उत्तर प्रदेश में दो वर्षीय बेसिक टीचिंग सर्टिफिकेट (बीटीसी) कोर्स को अब डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड) नाम से जाना जाएगा। सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए आवश्यक बीटीसी कोर्स का नाम बदलने को बेसिक शिक्षा परिषद ने मंजूरी दे दी है। इस पर शासन की मुहर जरूरी होगी।
शुक्रवार को सीमैट में आयोजित परिषद की बैठक में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के नियमानुसार, डीएलएड नाम करने पर सहमति बनी। एनसीटीई फिलहाल यूपी के निजी कॉलेजों को डीएलएड नाम से ही कोर्स संचालित करने की मान्यता पर सहमत हुआ है। बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के जिले के अंदर तबादले की नीति पर भी चर्चा हुई। शिक्षक संघ प्रतिनिधियों का कहना था कि स्थानांतरण के लिए डीएम की बजाय मंडलीय सहायक बेसिक शिक्षा निदेशक या डायट प्राचार्य की अध्यक्षता में कमेटी गठित की जाए।
तय हुआ कि जिले को तीन जोन में बांटकर उसके अंदर तबादले किए जाएंगे। शिक्षक नेताओं ने 15 साल की बजाय पूर्व की तरह तीन वर्ष सेवा पर अंतरजनपदीय तबादला करने की बात कही। अंतरजनपदीय व जिले के अंदर तबादले 50 नंबर के गुणवत्ता अंक के आधार पर होंगे। इस पर शिक्षक नेताओं की बात को शामिल करते हुए शासन को प्रस्ताव भेजने पर सहमति बनी। परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों के पद निर्धारण के लिए 30 अप्रैल की संख्या को आधार बनाने का शिक्षक नेताओं का विरोध बेअसर रहा।
बच्चों को डेंगू के बारे में भी बताएंगे
आठवीं कक्षा के विज्ञान विषय में आठ सूक्ष्म जीवों की दुनिया में डेंगू को भी शामिल किया जाएगा। राज्य शिक्षा संस्थान ने लंबे समय के बाद संशोधन किए हैं। बेसिक शिक्षा निदेशक ने शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने पर विशेष बल दिया।
दो साल बाद हुई बोर्ड की बैठक
बेसिक शिक्षा परिषद की बैठक दो साल के अंतराल पर हुई। इससे पहले मार्च 2015 में बैठक हुई थी। बेसिक शिक्षा निदेशक ने नियमित अंतराल पर बैठक कराने के निर्देश दिए।