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शिक्षा वैभव दे रही शांति नहीं: कृष्णगोपाल

भारत के गुरु की तुलना दुनिया के किसी देश के शिक्षक से नहीं की जा सकती। पाश्चात्य का प्रोफेसर कभी भारतीय गुरु का पर्यायवाची नहीं हो सकता। भारत तो ऐसे गुरुओं की खान रहा है जिन्होंने अपने शिष्यों को...

शिक्षा वैभव दे रही शांति नहीं: कृष्णगोपाल
हिन्दुस्तान टीम,आगराMon, 21 Aug 2017 05:33 PM
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भारत के गुरु की तुलना दुनिया के किसी देश के शिक्षक से नहीं की जा सकती। पाश्चात्य का प्रोफेसर कभी भारतीय गुरु का पर्यायवाची नहीं हो सकता। भारत तो ऐसे गुरुओं की खान रहा है जिन्होंने अपने शिष्यों को सिर्फ लौकिक शिक्षा ही नहीं दी बल्कि उनके भीतर दया, करुणा, संवेदनशीलता, आध्यामिकता का भाव जाग्रत किया है। यह बातें रविवार को आगरा कॉलेज के गंगाधर शास्त्री भवन में आरएसएस के सह सरकार्यवाह डा. कृष्णगोपाल ने कहीं। वे यहां भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा आयोजित ‘विश्व कल्याण के लिए भारतीय शिक्षा विषयक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने महामना मदन मोहन मालवीय, सीवी रमन, आशुतोष बाबू, बीरबल साहनी, शांति स्वरूप भटनागर, जेसी बोस सहित दर्जनों उदाहरण देकर भारतीय गुरु के गुरुत्व की महत्ता समझाई। वर्तमान शिक्षकों से उनसे प्रेरणा लेने का आह्वान किया। डा. कृष्णगोपाल ने बेहद सादगीपूर्ण ढंग से भारतीय शिक्षा और गुरुओं की गुरुता को उद्घाटित करते हुए कहा कि आज दुनिया एक अलग मोड़ पर खड़ी है जहां से आगे बढ़ने का मार्ग नहीं सूझ रहा। उन्होंने मुंबई की आशा साहनी, कानपुर के कपड़ा व्यवसायी सिंहानियां, बक्सर के डीएम मुकेश पांडेय की आत्महत्या के प्रकरणों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि तीनों ही मामलों हमें सोचने के लिए मजबूर करते हैं कि समाज कहां जा रहा है। तीनों शिक्षित और संपन्न थे। इसका मतलब है कि शिक्षा से वैभव, सामर्थ्य, साधनों की विपुलता तो बढ़ी है लेकिन शांति नहीं मिली। तनावमुक्त छात्र, सुखी शिक्षक, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा कि इतिहास को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। इसे सही करना है। उन्होंने कहा कि पहले शिक्षकों को हाजिरी रजिस्टर पर साइन नहीं करने पड़ते थे लेकिन अब बायो मेट्रिक मशीनें लगाने की बात की जाती है।
स्कूल की दीवारों पर शिक्षकों की फोटो चस्पा करने की बात होती है। यह सही नहीं है। शिक्षक गलत नहीं हैं। कुछ लोग गलत हो सकते हैं लेकिन अब वे गड़बड़ी नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को तमाम दूसरे कामों में लगा दिया जाता है। पढ़ाई नहीं होती तो छात्र नकल करते हैं। न शिक्षक गलत न छात्र गलत, व्यवस्था गलत है। इसे सुधारना है। हमने तय किया है कि तनावमुक्त छात्र, सुखी शिक्षक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी। भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डा. मुकुल कानिटकर ने कहा कि आईआईटी से शिक्षा प्राप्त करने वाला छात्र आज उसी संस्थान में शिक्षक बनना नहीं चाहता। वह बड़े पैकेज पर मल्टीनेशनल कंपनियों को अपनी सेवाएं देना पसंद करता है। उन्होंने कहा कि विदेशों में सर्वाधिक शोध नींद पर हो रहे हैं। बोले, लोग पूछते हैं कि भारतीय शिक्षा ने हमें क्या दिया तो हम कहते हैं कि चैन की नींद दी है। उन्होंने कहा कि युग परिवर्तन हो रहा है। भारत के फिर विश्व गुरु बनने का वक्त आ गया है। अंत में आभार शिक्षण मंडल के ब्रज प्रांत अध्यक्ष डा. मनोज रावत ने दिया। अध्यक्षता अवध विश्वविद्यालय के कुलपति डा. मनोज दीक्षित ने की। संचालन प्रांत मंत्री अमित रावत ने किया। संयोजक डा. यादवेंद्र शर्मा थे। मंच पर डा. दर्शनलाल, एके गुप्ता, कर्नल विजय तोमर, एके सिंह मौजूद रहे।
इनकी रही मौजूदगी
अनुसूचित आयोग के अध्यक्ष सांसद रामशंकर कठेरिया, कैबिनेट मंत्री एसपी सिंह बघेल, विधायक योगेंद्र उपाध्याय, जगन गर्ग, डा. जीएस धर्मेश, रामप्रताप चौहान, चौ. उदयभान सिंह, रानी पक्षालिका सिंह के अलावा पूर्व विधायक केशो मेहरा, संघ के विशेष संपर्क प्रमुख सीए प्रमोद चौहान, जिलाध्यक्ष श्याम भदौरिया, महानगर अध्यक्ष विजय शिवहरे, पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष पुरुषोत्तम खंडेलवाल, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष प्रमोद गुप्ता, संजय राय, रविशंकर दीक्षित, जयगोविंद लवानियां, अनुज पाराशर, पुष्कर दीक्षित, मिताली चतुर्वेदी, सोमेश सांडिल्य, शालिनी सिंह, मधुसूदन शर्मा, संतोष सिकरवार, हरिओम शर्मा आदि मौजूद रहे।

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