तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मुस्लिम महिलाओं ने हाथों हाथ लिया
सुप्रीम कोर्ट की ओर से तीन तलाक पर दिए गए निर्णय से मुस्लिम महिलाओं में खुशी की लहर देखी गई। कहीं खुलेआम तो कहीं वे दबी जुबान से इसके समर्थन में दिखीं। वहीं मुस्लिम विद्वान इस पर तरह-तरह की राय दे...
सुप्रीम कोर्ट की ओर से तीन तलाक पर दिए गए निर्णय से मुस्लिम महिलाओं में खुशी की लहर देखी गई। कहीं खुलेआम तो कहीं वे दबी जुबान से इसके समर्थन में दिखीं। वहीं मुस्लिम विद्वान इस पर तरह-तरह की राय दे रहे हैं।
मथुरा में कुछ खुलकर स्वागत कर रही हैं तो कुछ बंदिशों की वजह से दबी जुबान। वहीं काजी, हाजी, इमाम आदि धर्म गुरु सरकार या कानून से ऊपर कुरान और हदीस को रख रहे हैं । कुछ उलेमा और धर्म गुरुओं के फैसले पर कोर्ट के फैसले को छोड़ रहे हैं। अर्थात वे जो कहेंगे, उस पर अमल करेंगे। हालांकि अमूमन लोग खासकर मुस्लिम महिलाएं इस विषय पर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं, न ही फोटो के लिए।
आगरा के वकीलों ने इस फैसले को उचित बताया है। मुस्लिम छात्राओं का भी कहना है कि यह फैसला मुस्लिम महिलाओं के हक में है पहले उन्हें दबाकर रखा जाता था अब उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इंसाफ मिल सकेगा।
आगरा की मुस्लिम महिलाएं कोर्ट के फैसले से राहत महसूस कर रही हैं, लेकिन खुलकर इस पर बोलने से कतरा रही हैं। यहां तक कि कई जगह कैमरे के सामने आने से भी मना कर दिया। कुछ महिलाओं का कहना है कि कोर्ट का फैसला वाजिब है। तीन तलाक जैसा मुद्दा महिलाओं के हक में नहीं है मगर इसमें कई कुरान और शरीयत का हवाला देकर इस मुद्दे पर खुलकर बोलने से भी परहेज कर रही हैं। कुछ महिलाओं ने कोर्ट द्वारा सरकार को 6 माह में नया एक्ट लाने पर कहा की इसमें क्या प्रावधान रखे जाएंगे, वह कितने महिलाओं के हित में होंगे, उसके बाद बोलना उचित होगा।