नाम: शिवपाल सिंह यादव पार्टी नाम: समाजवादी पार्टी
सन् 1955 में बसंत पंचमी के दिन सुघर सिंह तथा मूर्ति देवी के शिवपाल सिंह यादव का जन्म हुआ। शिवपाल ने राजनीति का ककहरा मुलायम सिंह से ही सीखा। शिवपाल सिंह यादव ने गांव की प्राथमिक पाठशाला से पूर्व माध्यमिक शिक्षा उत्तम श्रेणी में उत्तीर्ण की।
इसके पश्चात् हाईस्कूल व इण्टरमीडिएट की शिक्षा के लिए जैन इण्टर कॉलेज, करहल, मैनपुरी में प्रवेश लिया। जहाँ से उन्होंने सन् 1972 में हाईस्कूल तथा सन् 1974 में इण्टरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात् शिवपाल सिंह यादव ने स्नातक की पढ़ाई सन् 1976 में केके डिग्री कालेज इटावा (कानपुर विश्वविद्यालय) तथा सन् 1977 में लखनऊ विश्वविद्यालय से बी०पी०एड० शिक्षा प्राप्त की।
शिवपाल सिंह यादव का विवाह 23-मई-1981 को हुआ। इनकी पत्नी का नाम सरला यादव है। शिवपाल सिंह यादव की एक पुत्री डॉ० अनुभा यादव तथा एक पुत्र आदित्य यादव है। वे 1988 से 1991 और पुनः 1993 में जिला सहकारी बैंक, इटावा के अध्यक्ष चुने गये। 1995 से लेकर 1996 तक इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे। इसी बीच 1994 से 1998 के अंतराल में उत्तरप्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के भी अध्यक्ष का दायित्व संभाला।
तेरहवीं विधानसभा में वे जसवन्तनगर से विधानसभा का चुनाव लड़े और जीते। इसी वर्ष वे समाजवादी पार्टी के प्रदेश महासचिव बनाये गये। वे मई 2009 तक प्रदेश अध्यक्ष रहे। समाजवादी पार्टी की 2012 में पुनः सरकार बनने के बाद उन्हें लोक निर्माण, सिंचाई, सहकारिता मंत्री की जिम्मेदारी दी गयी।
इसके पश्चात् हाईस्कूल व इण्टरमीडिएट की शिक्षा के लिए जैन इण्टर कॉलेज, करहल, मैनपुरी में प्रवेश लिया। जहाँ से उन्होंने सन् 1972 में हाईस्कूल तथा सन् 1974 में इण्टरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात् शिवपाल सिंह यादव ने स्नातक की पढ़ाई सन् 1976 में केके डिग्री कालेज इटावा (कानपुर विश्वविद्यालय) तथा सन् 1977 में लखनऊ विश्वविद्यालय से बी०पी०एड० शिक्षा प्राप्त की।
शिवपाल सिंह यादव का विवाह 23-मई-1981 को हुआ। इनकी पत्नी का नाम सरला यादव है। शिवपाल सिंह यादव की एक पुत्री डॉ० अनुभा यादव तथा एक पुत्र आदित्य यादव है। वे 1988 से 1991 और पुनः 1993 में जिला सहकारी बैंक, इटावा के अध्यक्ष चुने गये। 1995 से लेकर 1996 तक इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे। इसी बीच 1994 से 1998 के अंतराल में उत्तरप्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के भी अध्यक्ष का दायित्व संभाला।
तेरहवीं विधानसभा में वे जसवन्तनगर से विधानसभा का चुनाव लड़े और जीते। इसी वर्ष वे समाजवादी पार्टी के प्रदेश महासचिव बनाये गये। वे मई 2009 तक प्रदेश अध्यक्ष रहे। समाजवादी पार्टी की 2012 में पुनः सरकार बनने के बाद उन्हें लोक निर्माण, सिंचाई, सहकारिता मंत्री की जिम्मेदारी दी गयी।
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चुनावी समीक्षा
- अब भी मुख्यधारा से दूर हैं UP के दलितः वरुण गांधी छुआछूत का पारंपरिक दोष आज भी हमारे समाज में कायम है। अब भी इसकी जडे़ं गहरी हैं। अलग-अलग श्रेणियों व पायदानों के बहाने समाज के लाखों लोगों को उन कामों में रमने को मजबूर किया गया।
- वाम दलों के पास यूपी के मध्यम वर्ग लायक कोई ब्लू प्रिंट नहीं आजादी के बाद यूपी में पैदा हुए मध्यवर्ग की प्रकृति और उसकी राजनीतिक-बौद्धिक-पेशेवर क्षमताओं को समझने व उनके अनुकूल अपने क्रांतिकारी औजारों को निर्मित करने में वाम पूरी तरह असमर्थ रहा है।