नाम: अखिलेश यादव पार्टी नाम: समाजवादी पार्टी
अखिलेश यादव वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। इससे पूर्व वे लगातार तीन बार सांसद भी रह चुके हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश ने 2012 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में अपनी पार्टी का नेतृत्व किया। उनकी पार्टी को राज्य में स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद, 15 मार्च 2012 को उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की।
अखिलेश यादव का जन्म 1 जुलाई 1973 को इटावा जिले के सैफई गाँव में हुआ था। राजस्थान मिलिट्री स्कूल धौलपुर के बाद स्नातक की उपाधि मैसूर के एसजे कालेज ऑफ इंजीनियरिंग से ली। इसके बाद सिडनी विश्वविद्यालय से पर्यावरण अभियान्त्रिकी में स्नातकोत्तर किया। अखिलेश तीन बच्चों के पिता हैं। डिम्पल यादव उनकी पत्नी हैं, जो कि कन्नौज से निर्विरोध सांसद चुनी गई हैं।
अखिलेश ने मई 2009 के लोकसभा उप-चुनाव में फिरोजाबाद सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी एसपीएस बघेल को हराया। इसके अतिरिक्त वे कन्नौज से भी जीते। बाद में उन्होंने फिरोजाबाद सीट से त्यागपत्र दे दिया और कन्नौज सीट अपने पास रखी। मार्च 2012 के विधान सभा चुनाव में 224 सीटें जीतकर मात्र 38 वर्ष की आयु में ही वे उत्तर प्रदेश के 33वें मुख्यमंत्री बन गये।
अखिलेश यादव का जन्म 1 जुलाई 1973 को इटावा जिले के सैफई गाँव में हुआ था। राजस्थान मिलिट्री स्कूल धौलपुर के बाद स्नातक की उपाधि मैसूर के एसजे कालेज ऑफ इंजीनियरिंग से ली। इसके बाद सिडनी विश्वविद्यालय से पर्यावरण अभियान्त्रिकी में स्नातकोत्तर किया। अखिलेश तीन बच्चों के पिता हैं। डिम्पल यादव उनकी पत्नी हैं, जो कि कन्नौज से निर्विरोध सांसद चुनी गई हैं।
अखिलेश ने मई 2009 के लोकसभा उप-चुनाव में फिरोजाबाद सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी एसपीएस बघेल को हराया। इसके अतिरिक्त वे कन्नौज से भी जीते। बाद में उन्होंने फिरोजाबाद सीट से त्यागपत्र दे दिया और कन्नौज सीट अपने पास रखी। मार्च 2012 के विधान सभा चुनाव में 224 सीटें जीतकर मात्र 38 वर्ष की आयु में ही वे उत्तर प्रदेश के 33वें मुख्यमंत्री बन गये।
पार्टी को जाने
चुनावी समीक्षा
- अब भी मुख्यधारा से दूर हैं UP के दलितः वरुण गांधी छुआछूत का पारंपरिक दोष आज भी हमारे समाज में कायम है। अब भी इसकी जडे़ं गहरी हैं। अलग-अलग श्रेणियों व पायदानों के बहाने समाज के लाखों लोगों को उन कामों में रमने को मजबूर किया गया।
- वाम दलों के पास यूपी के मध्यम वर्ग लायक कोई ब्लू प्रिंट नहीं आजादी के बाद यूपी में पैदा हुए मध्यवर्ग की प्रकृति और उसकी राजनीतिक-बौद्धिक-पेशेवर क्षमताओं को समझने व उनके अनुकूल अपने क्रांतिकारी औजारों को निर्मित करने में वाम पूरी तरह असमर्थ रहा है।