जन्मदिन पर याद आए सदाबहार अभिनेता विनोद खन्ना
बतौर खलनायक अपने करियर का आगाज कर नायक के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में शोहरत की बुलंदियों तक पहुंचने वाले सदाबहार अभिनेता विनोद खन्ना ने अपने अभिनय से दर्शकों के बीच अपनी अमिट पहचान बनायी है।
VikasVinod Khanna’s 71st birth anniversary: His leading ladies recall their fondest memories
6 अक्टूबर, 1946 को पाकिस्तान के पेशावर में जन्में विनोद खन्ना ने स्नातक की शिक्षा मुंबई से की। इसी बीच एक पार्टी में उन्हें निर्माता-निर्देशक सुनील दत्त से मिलने का अवसर मिला। सुनील दत्त उन दिनों अपनी फिल्म मन का मीत के लिये नये चेहरों की तलाश कर रहे थे। उन्होंने फिल्म में विनोद खन्ना से बतौर सह नायक काम करने की पेशकश की जिसे विनोद खन्ना ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
Vinod Khanna’s 71st birth anniversary: His leading ladies recall their fondest memories
घर पहुंचने पर विनोद खन्ना को अपने पिता से काफी डांट भी सुननी पड़ी। विनोद खन्ना ने जब अपने पिता से फिल्म में काम करने के बारे में कहा तो उनके पिता ने उन पर बंदूक तान दी और कहा। यदि तुम फिल्मों में गये तो तुम्हें गोली मार दूंगा। बाद में विनोद खन्ना की मां के समझाने पर उनके पिता ने विनोद खन्ना को फिल्मों में 2 साल तक काम करने की इजाजत देते हुए कहा यदि फिल्म इंडस्ट्री में सफल नहीं होते हो तो घर के व्यवसाय में हाथ बंटाना होगा।
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Vinod Khanna’s 71st birth anniversary: His leading ladies recall their fondest memories
साल 1968 में रिलीज हुई फिल्म मन का मीत टिकट खिड़की पर हिट साबित हुई। फिल्म की सफलता के बाद विनोद खन्ना को आन मिलो सजना, मेरा गांव मेरा देश, सच्चा झूठा जैसी फिल्मों में खलनायक की भूमिकाएं निभाने का मौका मिला। लेकिन इन फिल्म की सफलता के बावजूद विनोद खन्ना को कोई खास फायदा नहीं हुआ।
Vinod Khanna’s 71st birth anniversary: His leading ladies recall their fondest memories
विनोद खन्ना को प्रारंभिक सफलता गुलजार की फिल्म मेरे अपने से मिली। इसे महज एक संयोग ही कहा जायेगा कि गुलजार ने इस फिल्म से बतौर निर्देशक करियर की शुरूआत की थी। छात्र राजनीति पर आधारित इस फिल्म में मीना कुमारी ने भी अहम भूमिका निभाई थी। फिल्म में विनोद खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा के बीच टकराव देखने लायक था।
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अस्सी के दशक में विनोद खन्ना शोहरत की बुलंदियो पर जा पहुंचे और ऐसा लगने लगा कि सुपरस्टार अमिताभ बच्चन को उनके सिंहासन से विनोद खन्ना उतार सकते है, लेकिन विनोद खन्ना ने फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया और आचार्य रजनीश के आश्रम में शरण ले ली।
Vinod Khanna’s 71st birth anniversary: His leading ladies recall their fondest memories
साल 1987 में विनोद खन्ना ने एक बार फिर से फिल्म इंसाफ के जरिये फिल्म इंडस्ट्री का रूख किया। साल 1988 में रिलीज फिल्म दयावान विनोद खन्ना के करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में शामिल है। हालांकि यह फिल्म टिकट खिड़की पर कामयाब नहीं रही, लेकिन समीक्षकों का मानना है कि यह फिल्म विनोद खन्ना के करियर की उत्कृष्ठ फिल्मों में एक है।
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साल 1987 में विनोद खन्ना ने एक बार फिर से फिल्म इंसाफ के जरिये फिल्म इंडस्ट्री का रूख किया। साल 1988 में रिलीज फिल्म दयावान विनोद खन्ना के करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में शामिल है। हालांकि यह फिल्म टिकट खिड़की पर कामयाब नहीं रही, लेकिन समीक्षकों का मानना है कि यह फिल्म विनोद खन्ना के करियर की उत्कृष्ठ फिल्मों में एक है।
Vinod Khanna’s 71st birth anniversary: His leading ladies recall their fondest memories
साल 1997 में अपने बेटे अक्षय खन्ना को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने के लिये विनोद खन्ना ने फिल्म हिमालय पुत्र का निर्माण किया। फिल्म टिकट खिड़की पर बुरी तरह से नकार दी गयी। अपने 4 दशक के लंबे सिने करियर में विनोद खन्ना ने लगभग 150 फिल्मों में अभिनय किया। अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने वाले विनोद खन्ना 27 अप्रैल, 2017 को इस दुनिया को अलविदा कह गये।
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6 अक्टूबर, 1946 को पाकिस्तान के पेशावर में जन्में विनोद खन्ना ने स्नातक की शिक्षा मुंबई से की। इसी बीच एक पार्टी में उन्हें निर्माता-निर्देशक सुनील दत्त से मिलने का अवसर मिला। सुनील दत्त उन दिनों अपनी फिल्म मन का मीत के लिये नये चेहरों की तलाश कर रहे थे। उन्होंने फिल्म में विनोद खन्ना से बतौर सह नायक काम करने की पेशकश की जिसे विनोद खन्ना ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।