कभी अलविदा ना कहना...
कभी अलविदा ना कहना...
कभी अलविदा ना कहना...
अपनी इच्छा के विपरीत किशोर कुमार ने अभिनय करना जारी रखा। जिन फिल्मों में वह बतौर कलाकार काम करते थे, उन्हे उस फिल्म में गाने का भी मौका मिल जाया करता था। किशोर कुमार की आवाज सहगल से काफी हद तक मेल खाती थी। बतौर गायक सबसे पहले उन्हें वर्ष 1948 में बाम्बे टाकीज की फिल्म जिद्दी में सहगल के अंदाज मे हीं अभिनेता देवानंद के लिये मरने की दुआएं क्यूं मांगू गाने का मौका मिला।
कभी अलविदा ना कहना...
किशोर कुमार ने वर्ष 1951 मे बतौर मुख्य अभिनेता फिल्म आंदोलन से अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन इस फिल्म से दर्शकों के बीच वह अपनी पहचान नहीं बना सके। वर्ष 1953 मे प्रदर्शित फिल्म लड़की बतौर अभिनेता उनके करियर की पहली हिट फिल्म थी। इसके बाद बतौर अभिनेता भी किशोर कुमार ने अपनी फिल्मों के जरिये दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।
कभी अलविदा ना कहना...
किशोर कुमार को उनके गाये गीतों के लिये 8 बार फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। किशोर कुमार ने अपने पूरे फिल्मी करियर मे 600 से भी अधिक हिंदी फिल्मों के लिये अपना स्वर दिया। उन्होंने बंगला, मराठी, गुजराती, कन्नड, भोजपुरी और उड़िया फिल्मों में भी अपनी दिलकश आवाज के जरिये श्रोताओं को भाव विभोर किया। 13 अक्टूबर 1987 को किशोर कुमार को दिल का दौरा पड़ा और वह इस दुनिया से विदा हो गये।