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लटकी रह गयीं केंद्रीय योजनाएं

नगर विकास विभाग केंद्र प्रायोजित योजनाओं का लाभ उठाने में विफल रहा है। पहले नगर निकायों के चुनाव नहीं होने के कारण झारखंड को केंद्रीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा था। जब चुनाव हो गया, तो योजनाओं का...

 लटकी रह गयीं केंद्रीय योजनाएं
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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नगर विकास विभाग केंद्र प्रायोजित योजनाओं का लाभ उठाने में विफल रहा है। पहले नगर निकायों के चुनाव नहीं होने के कारण झारखंड को केंद्रीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा था। जब चुनाव हो गया, तो योजनाओं का डीपीआर तैयार करने में ही साल लग गया। केंद्र प्रायोजित किसी भी योजना की राशि प्राप्त करने के लिए डीपीआर समर्पित कर उसकी मंजूरी लेना अनिवार्य है। निकाय चुनाव संपन्न होने के बाद विभाग डीपीआर तैयार कराने के काम में जुट गया। आरसीयूइएस लखनऊ को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया। उसे 27 निकायों का डीपीआर तैयार करने की जिम्मेवारी सौंपी गयी। शेष निकायों में टेंडर के माध्यम से कंसल्टेंट नियुक्त किये गये। आरसीयूइएस ने 16 निकायों का डीपीआर विभाग को सौंप दिया है। तकनीकी कोषांग इसकी समीक्षा कर रहा है। कोषांग अभी तक तीन निकायों गिरिडीह, साहेबगंज एवं गुमला के लिए ही ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन योजना को तकनीकी स्वीकृति दे पाया है। 12वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में इन योजनाओं को प्राशासनिक स्वीकृति दे दी गयी है।

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