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एक दूल्हे ने दो सगी बहनों की भरी मांग

एक शादी का मंडप। दूल्हे राजा भी एक ही पर दुल्हन दो। दोनों सगी बहनों आरती और पूजा (दोनों बालिग)। इन्हें रीति रिवाज से एक ही साथ एक ही युवक ने ‘सुहागिन’ बनाया। एक ही वर शैलेन्द्र कुमार उर्फ पिंटू ने...

 एक दूल्हे ने दो सगी बहनों की भरी मांग
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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एक शादी का मंडप। दूल्हे राजा भी एक ही पर दुल्हन दो। दोनों सगी बहनों आरती और पूजा (दोनों बालिग)। इन्हें रीति रिवाज से एक ही साथ एक ही युवक ने ‘सुहागिन’ बनाया। एक ही वर शैलेन्द्र कुमार उर्फ पिंटू ने मांग में सिंदूर भर कर इनके हाथ पीले किये। दो सगी बहनें एक ही युवक से ब्याही गईं वह भी जोर-जबर्दस्ती नहीं, बल्कि दोनों परिवारों की राजी-खुशी से। कम से कम राजधानी में तो ऐसी ‘फिल्मी स्टाइल’ की शादी अब तक न तो देखी गई और न ही इतिहास के पन्नों में पढ़ी गई थी। लेकिन यही हकीकत है। अंधविश्वास की बुनियाद पर 21 वीं शताब्दी में यह ‘शुभ विवाह’ राजधानी के फुलवारीशरीफ इलाके में हुआ। हैरत की बात तो यह रही कि गणतंत्रता दिवस के दिन फुलवारीशरीफ प्रखंड कार्यालय स्थित तालाब के समीप शिव मंदिर में यह सब कुछ हुआ पर न तो पुलिस और ही किसी प्रशासनिक अधिकारी या कर्मचारी को इसकी भनक लगी।ड्ढr ड्ढr हालांकि वर-वधू पक्ष के साथ ही संबंधियों और शुभचिंतक खुशियां मनाते रहे। किसी को कोई गम नहीं। लड़के ने तो बाजाप्ता दोनों बहनों को ताजिंदगी पत्नी के रूप में परवरिश करने का दस्तावेज बना कर सौंपा।आरती और पूजा मसौढ़ी थानांतर्गत घोरहुआ गांव निवासी रजिन्दर सिंह की बेटियां है। वहीं शैलेन्द्र कुमार उर्फ पिंटू पुनपुन थाने के बरैपुर गांव निवासी राम सूरत सिंह का बेटा है। आरती और पूजा की मां मंजू देवी ने बताया कि उन्हें चार बेटियां हैं। बड़ी बेटी की शादी के लिए वे लोग काफी परेशान थे।ड्ढr ड्ढr हालांकि कहीं रिश्ता तय नहीं हो पा रहा था। इसके मूल में बात यह थी कि किसी पंडित-ज्योतिष ने घरवालों को बताया था कि बड़ी बेटी कभी मां नहीं बन सकती थी। उसे ‘भगवानी’ शिकायत है। हालांकि वक्त ने करवट बदली और असलियत जानने के बावजूद शैलेन्द्र शादी करने को तैयार हो गया। उसे यह सुविधा दी गई कि वह दो-तीन साल तक आरती को देख ले। अगर इस दौरान उससे बच्चा नहीं हुआ तो शैलन्द्र की शादी मंजू अपनी छोटी बेटी से कर देगी।ड्ढr हालांकि पिंटू ने शर्त रख दी कि वह दोनों बहनों से एक ही बार शादी करेगा। फिर लड़कियों की मां के साथ ही अन्य परिजनों ने वर को इस शर्त के साथ अपनी रजामंदी दे दी। दहेज के रूप में साढ़े तीन कट्ठा जमीन गांव में देने के साथ ही अन्य सामान दिये गये।ड्ढr ड्ढr फिर शिव मंदिर के पुजारी पुरुषोत्तम मिश्र व अन्य पंडितों की मौजूदगी में 26 जनवरी को पूरे रस्मो-रिवाज और दोनों परिवार के सदस्यों और कई लोगों की मौदजूगी में शादी हुई। फिर शैलेन्द्र अपने साथ एक नहीं बल्कि दो दुल्हनों को लेकर अपने घर चला गया। काफी प्रसन्न दिख रही दुल्हनों की मां मंजू देवी ने बताया कि उन्होंने खुशी के साथ अपनी बेटियों का ब्याह किया है। बाकी दो बेटियों की शादी करने के बाद जमीन-जायदाद का बंटवारा चारों बेटियों के बीच कर दूंगी। मंजू को कोई बेटा नहीं है। इधर पूछे जाने पर ‘दूल्हे राजा’ शैलेन्द्र ने ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में कहा कि ‘मैं खुशी के साथ दोनों लड़कियों से विवाह करके जिंदगी बिताने का वादा करता हूं।’ इस बीच एसडीपीओ दिलनवाज अहमद एवं थानाध्यक्ष शब्बीर अहमद ने बताया कि उन्ह़ें अब तक इस शादी के संबंध में किसी तरह की कोई जानकारी नहीं मिली है।

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