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मदरसों के मौलवियों को चपरासी से भी कम पगार

सूबे के मदरसों के मौलवियों को चतुर्थवर्गीय सरकारी कर्मचारियों से भी कम पगार मिलती है। जिला व राज्यस्तर पर आज तक उर्दू में गजट नहीं छापा गया है। विभिन्न स्तरों पर अल्पसंख्यक सेल व राजभाषा विभाग उर्दू...

 मदरसों के मौलवियों को चपरासी से भी कम पगार
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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सूबे के मदरसों के मौलवियों को चतुर्थवर्गीय सरकारी कर्मचारियों से भी कम पगार मिलती है। जिला व राज्यस्तर पर आज तक उर्दू में गजट नहीं छापा गया है। विभिन्न स्तरों पर अल्पसंख्यक सेल व राजभाषा विभाग उर्दू परामर्श दातृ समिति का गठन भी नहीं हुआ है। अंजुमन तरक्की उर्दू (हिन्द) के महासचिव डा. खलीक अंजुम ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उर्दू के लिए सूबे में बहुत कुछ किया गया पर अभी भी बहुत कुछ किया जाना है।ड्ढr ड्ढr मदरसे के मौलवियों को सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के समान वेतन देने का फैसला लिया गया पर अभी तक यह नहीं हो सका है। पिछले साल ही अल्पसंख्यक सेल गठन करने का आदेश हुआ था पर अबतक इस पर भी अमल नहीं हुआ। उर्दू अनुवादक व टाइपिस्टों के ढेरों पद अभी भी खाली हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से जल्द राजभाषा परामर्श दातृ समिति का गठन कर अध्यक्ष मनोनीत करने व जिला से प्रखंडस्तर तक अल्पसंख्यक सेल का गठन करने की मांग की है।ड्ढr ड्ढr रिक्शा-ठेला चालकों का धरनाड्ढr पटना (हि.प्र.)। सूत्री मांगों के समर्थन में आश्रय अभियान के तत्वावधान में रिक्शा-ठेला चालकों ने कारगिल चौक पर धरना दिया। धरना की अध्यक्षता अभियान के गनौरी आजाद ने की। धरना को संबोधित करते हुए अरुण कुमार ने कहा कि सरकार गरीबों के लिए कोई समुचित व्यवस्था नहीं कर पा रही है। धरना को आशा देवी, रंजीत कुमार, अरुण कुमार, धनंजय कुमार, कुशेश्वर जी, अवधेश पाण्डे, नन्दु प्रसाद एवं बिजली पटेल सहित कई लोगों ने संबोधित किया।

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