फोटो गैलरी

Hindi News फर्जी मुकदमे वापस हों वरना फिर आंदोलन

फर्जी मुकदमे वापस हों वरना फिर आंदोलन

समाजवादी पार्टी के युवा प्रकोष्ठों के राष्ट्रीय प्रभारी अखिलेश यादव ने गुरुवार को यहाँ प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि छात्रों पर लादे गए फर्जी मुकदमे वापस न लिए गए समाजवादी पार्टी सड़कों पर उतरेगी।...

 फर्जी मुकदमे वापस हों वरना फिर आंदोलन
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
ऐप पर पढ़ें

समाजवादी पार्टी के युवा प्रकोष्ठों के राष्ट्रीय प्रभारी अखिलेश यादव ने गुरुवार को यहाँ प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि छात्रों पर लादे गए फर्जी मुकदमे वापस न लिए गए समाजवादी पार्टी सड़कों पर उतरेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मायावती को मजबूरी में छात्र संघों की बहाली की घोषणा करनी पड़ी। सौ से ज्यादा छात्रों पर आंदोलन के दौरान मुकदमे लादे गए थे। इन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव सम्मानित करेंगे। उन्होंने कहा कि िलगदोह कमेटी की शर्तो के तहत चुनाव किए जाने की बात की जा रही है। उसमें प्रत्याशी पर कोई मुकदमा न दर्ज होना भी शामिल है। जिन छात्रों पर बसपा सरकार ने फर्जी मुकदमा ही नहीं बल्कि रासुका तक की कार्रवाई की वे कैसे लड़ेंगे चुनाव? मुकदमे वापस हों वरना तारीख तय कर फिर आंदोलन शुरू किया जाएगा। छात्रों ने पहले भी झुकाया सरकार को। फिर झुकाएँगे। िलगदोह कमेटी की शर्तो को वे मानते हैं या नहीं, इस पर श्री यादव ने कहा कि इन शर्तो से वे सहमत नहीं हैं। इसलिए इसकी सिफारिशों के खिलाफ कई पहले ही छात्र सुप्रीम कोर्ट भी गए हैं। क्या चुनाव लड़ने की कोई उम्र सीमा नहीं होनी चाहिए? इस पर उन्होंने कहा कि जब तक कोई छात्र है तब तक वह चुनाव लड़ सकता है। ड्ढr सरकार दे 1800 करोड़ तो गर्मी में मिले बिजलीड्ढr —हिमाचल की बिजली के लिए मोल-तोलड्ढr राज्य मुख्यालय (वि.सं.)। राज्य सरकार 1800 करोड़ दे तो जनता को गर्मी में पर्याप्त बिजली मिले। बिजली का जुगाड़ और मोल-तोल कर रहा पावर कार्पोरेशन इन दिनों ऐसे ही आँकड़ों में उलझा है। मार्च में बोर्ड परीक्षा के दौरान पर्याप्त बिजली पहले ही नहीं मिल पा रही है। टाटा पावर से 300 मेगावाट रोजाना की बात हुई है। अभी सौ मेगावाट बिजली ही मिल रही है। उस पर ही दो करोड़ रुपए हर रोज खर्च हो रहे। तीन सौ मिलने लगे तो खर्च साढ़े पाँच सौ करोड़ हो जाएगा। जितनी ज्यादा बिजली उतना दाम।ड्ढr गर्मी में और ज्यादा बिजली चाहिए सो कार्पोरेशन ने पावर ट्रेिडग कार्पोरेशन (पीटीसी) के जरिए हिमाचल प्रदेश से विद्युत खरीदने की बात की है। अभी इस पर मोल-तोल चल रहा है कि कितनी बिजली मिलेगी। अप्रैल से अक्टूबर तक मिलने वाली इस बिजली को खरीदने के लिए जो भारी रकम चाहिए वह कार्पोरेशन की जेब में नहीं है। लिहाजा उसने सरकार से बतौर 1800 करोड़ रुपए एडवांस की अपेक्षा की है ताकि हिमाचल से बिजली खरीदने में अड़चन न आए। शुक्रवार को पीटीसी के वरिष्ठ अधिकारी बातचीत के लिए लखनऊ में होंगे।ड्ढr हिमाचल की बिजली बेचने के लिए पीटीसी ने जो टेण्डर निकाला था उस पर उप्र का दर सबसे ज्यादा निकला है। अप्रैल से सितम्बर तक के लिए यह 7.01 रुपए प्रति यूनिट है और अक्टूबर में 6.01 रुपए। अप्रैल में 330 मेगावाट और मई से अक्टूबर तक 630 मेगावाट देने की बात है। हिमाचल पूरी बिजली यूपी को ही देने पर आनाकानी कर रहा है। वह टेण्डर डालने वाले सभी राज्यों में बँटवारा करना चाहता है। पावर कार्पोरेशन उसकी दरें सबसे ज्यादा होने का हवाला देकर पूरी बिजली पर हक जता रहा है। दबाव जारी है। यूपी ने पीटीसी को पत्र भी लिखा है। इसी मोल-तोल में कार्पोरेशन की एक उलझन यह भी है कि बिजली के लिए पैसा कहाँ से आएगा। शासन से अपेक्षा है क्योंकि कहीं से भी बिजली ले आने का निदर्ेेश भी वहीं से है। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव वी.के.शर्मा ने कामकाज छोड़ा राज्य मुख्यालय (विसं)। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव प्रथम वी.के.शर्मा ने मुख्यमंत्री सचिवालय का कामकाज फिलहाल छोड़ दिया है। उच्च स्तरीय सूत्रों ने बताया कि श्री शर्मा पिछले दिनों प्रमुख सचिव वित्त भी बना दिए गए हैं। प्रमुख सचिव वित्त बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है, उसे अतिरिक्त रूप से नहीं देखा जा सकता। इसी तर्क के साथ श्री शर्मा ने प्रमुख सचिव वित्त के पद पर रहते हुए मुख्यमंत्री सचिवालय के कार्यो को करने में असमर्थता जताई है।ड्ढr उन्होंने पंचम तल स्थित अपने कार्यालय में बैठने के बजाए सचिवालय के नवीन भवन स्थित प्रमुख सचिव वित्त के कार्यालय में बैठकर विभागीय कामकाज देखना शुरू कर दिया है। श्री शर्मा द्वारा मुख्यमंत्री सचिवालय के कार्यो को करने में असमर्थता जताए जाने की स्थिति में जिन विभागों की फाइलें वी.के.शर्मा के जरिए फाइनल होती थीं, अब ये फाइलें मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव द्वितीय शैलेश कृष्ण और प्रमुख सचिव तृतीय कुंवर फतेह बहादुर के माध्यम से फाइनल की जा रही हैं। यह बात दीगर है कि वी.के.शर्मा के इनकार के बाद इन दोनों ही प्रमुख सचिवों के पास अचानक फाइलों का अतिरिक्त बोझ आ गया है।ड्ढr दूसरी ओर मुख्यमंत्री मायावती द्वारा पिछले दिनों एनेक्सी सचिवालय के औचक निरीक्षण के दौरान दिए गए निर्देशों के बाद कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के कार्यालय कक्षों का सुधार कार्य शुरू हो गया है। अजित रालोद अध्यक्ष बनेड्ढr राज्य मुख्यालय। राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया चौधरी अजित सिंह को संगठनात्मक चुनाव में फिर से निर्विरोध राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। रालोद के संगठनात्मक चुनाव के राष्ट्रीय निर्वाचन अधिकारी नरेन्द्र सिंह ने गुरुवार को घोषणा की। पार्टी के प्रवक्ता अनिल दुबे ने बतिाया कि अजित सिंह का इस पद के लिए अकेला नामांकन पत्र प्राप्त हुआ था, जिसके कारण राष्ट्रीय निर्वाचन अधिकारी ने उन्हें निर्विरोध अध्यक्ष घोषित कर दिया। श्री चौधरी को अध्यक्ष चुने जाने के लिए सांसद अनुराधा चौधरी, सांसद मुंशीराम पाल, राजबीर सिंह, मुकेश जैन, सत्यबीर त्यागी, रतन सिंह, यशबीर सिंह, ऋषिपाल तोमर, जैनेन्द्र कुमार नरवाल और गिरीश कुमार ने प्रस्ताव किया था। ड्ढr मुख्यमंत्री अंतररष्ट्रीय महिला दिवस कार्यक्रम में भाग लेंगीड्ढr कांशीराम जन्म दिन समारोह की तैयारियाँड्ढr सचिवालय (विसं)। मुख्यमंत्री मायावती राज्य महिला आयोग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शनिवार आठ मार्च को भाग लेंगी। प्रदेश की राजधानी स्थित सीएमएस आडीटोरियम में यह कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया है।ड्ढr इस बीच, प्रदेश सरकार बसपा के संस्थापक अध्यक्ष कांशीराम के जन्म दिन समारोह की तैयारी के लिए जोर-शोर से जुटी है। 15 मार्च को कांशीराम जन्म दिन समारोह भी सीएमएस आडीटोरियम में ही होगा। इस मौके पर कांशीराम खेल पुरस्कारों का मुख्य रूप से वितरण किया जाएगा। दूसरी ओर गुरुवार को मुख्यमंत्री एसजीपीजीआई गईं। वहाँ मुख्यमंत्री ने बीमार चल रहे अपने पूर्व ओएसडी आर.ए.मित्तल के स्वास्थ्य का हाल लिया।ड्ढr न परिवहन निगम की और न जनता की सुनीं सरकार ने राज्य मुख्यालय (वसं)। सूबे के राष्ट्रीकृत मागरे को खत्म न करने की गुहार न केवल परिवहन निगम ने की थी, बल्कि वकील, व्यापारी और जनता सब के सब चिल्लाते रहे, पर सरकार ने किसी की नहीं सुनीं। राज्य सरकार ने 12 दिसम्बर 2007 को राष्ट्रीकृत मागरे को खत्म करने की अधिसूचना प्रसारित की और एक महीने के भीतर आपत्तियाँ माँगीं। परिवहन निगम, रोडवेज कर्मचारी संगठनों, परिवहन निगम के अधिग्रहण में चलने वाली बस आपरेटरों, वकीलों, व्यापारियों और आम जनता ने बड़ी संख्या में आपतियाँ दर्ज कराईं। किसी ने सीधे तो किसी ने डाक के माध्यम से। कुल मिलाकर साढ़े सात हजार आपत्तियाँ आईं, लेकिन सरकार को समय सीमा के अंदर 6373 आपत्तियाँ प्राप्त हुईं। राष्ट्रीय कृत मागरे के खत्म होने से सबसे ज्यादा प्रभावित परिवहन निगम हो रहा है। इसलिए निगम ने अपना विरोध सबसे जोरदारी से पेश किया। निगम का कहना था कि प्रदेश में अच्छा और सस्ता परिवहन उपलब्ध कराना उनका उद्देश्य था। उस काम को निगम पूरी तौर से निर्वाह कर रहा है। अगर ये मार्ग निजी क्षेत्र के लिए खोल दिए जाएँगे तो उसका सीधा प्रभाव निगम की आय पर पड़ेगा। निगम जहाँ लाभ में जा रहा है, वहीं घाटे में पहुँचने लगेगा। परिवहन निगम ने दावा किया कि उनकी बस सेवा निजी क्षेत्र की बस सेवाआें से बेहतर है। पश्चिम उत्तर प्रदेश के वकीलों और व्यापारी संगठनों ने भी राष्ट्रीकृत मागरे पर निजी क्षेत्र की बसों के संचालन का विरोध किया। इन लोगों का कहना था कि निजी क्षेत्र की जो बसें चलती हैं, उनकी हालत बहुत खराब है। वे भूसे की तरह सवारी भरती हैं। बसों का रख-रखाव भी ठीक नहीं होता है। निजी बस आपरेटरों की जब मर्जी आती है वे तब बसें सड़क पर निकालते हैं। जहाँ चाहते हैं वहाँ बस रोक देते हैं, बस के संचालन समय और गति से उनका कोई सरोकार नहीं रहता है। जो सवारी उसका विरोध करती है, बस में मौजूद स्टाफ सवारी से लड़ने लगता है। कर्मचारी संगठनों ने इस निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन करने की कोशिश की तो पुलिस ने फायरिंग तक कर डाली। कर्मचारी संगठनांे ने विरोध मंे कहा कि इस नई व्यवस्था से परिवहन निगम घाटे में पहुँच जाएगा और कुद समय बाद बंद हो जाएगा। कर्मचारी सड़क पर आ जाएँगे। इसी प्रकार अनुबंधित बसों के मालिकों ने भी निजी करण का विरोध किया। शासन ने सब की बात सुनी, लेकिन किया वही जो पहले से तय था। सरकार ने आखिरकार सुनवाइयों के बाद अपना फैसला सुना ही दिया।ंं

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें