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घटिया विज्ञापनों पर भी रहे नजर

यूटीवी मूवीज पर आजकल एक बेहद घटिया और भयानक विज्ञापन दिखाया जा रहा है जिसमें मुंह में पलीता लगाकर चेहरा धमाके के साथ चिथड़े-चिथड़े उड़ जाता है, ये चिथड़े कैडबरीज कम्पनी के चॉकलेट के घोल की शक्ल में...

घटिया विज्ञापनों पर भी रहे नजर
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 29 May 2009 11:30 PM
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यूटीवी मूवीज पर आजकल एक बेहद घटिया और भयानक विज्ञापन दिखाया जा रहा है जिसमें मुंह में पलीता लगाकर चेहरा धमाके के साथ चिथड़े-चिथड़े उड़ जाता है, ये चिथड़े कैडबरीज कम्पनी के चॉकलेट के घोल की शक्ल में दिखाए गए हैं। कितना वीभत्स विज्ञापन है ये। क्या विज्ञापनों का कोई सेंसर बोर्ड नहीं होता? इस विज्ञापन में हिंसा है। मैं जनहित में न्यायालय से यह मांग करता हूं कि इस विज्ञापन पर तुरंत रोक लगाई जए।

तरुण कुमार जन, रामा ब्लॉक, दिल्ली

जनवरों को पालें पर ..

पालतू जनवरों जसे कुत्तों, बिल्लियों आदि के बारे में हम हिन्दुस्तान के रिमिक्स में पढ़ते रहते हैं। ये हमें शांति और सकून देते हैं। हमारी बीमारियों से हमें छुटकारा दिलाते हैं। अवसाद, उच्च रक्तचाप, दुख, कष्ट आदि से हमें निजत दिलवाते हैं। पर इन जनवरों से सावधानी भी रखनी चाहिए। खासकर बच्चों और बूढ़ों को इनसे बचाना चाहिए। मेरे दादा जी तीन माह से मुंबई अपने भतीजे के पास रहे रहे थे। हमारे घर में एक वजनी जर्मन शफर्ड है। जो सबको बहुत प्यारा है। दादा जी जब मुंबई से वापस आए तो सबसे पहले शरी ने उनका स्वागत किया। वह उनकी ओर लपका और खुशी में अपने दोनों अगले पैर उनके कंधों पर रख दिए। दादा जी 93 वर्ष के थे। उनका ध्यान भी बंटा हुआ था। दादा उसके वजन और दबाव को सह नहीं पाए। पीछे को सिर के बल गिर गए। बाहरी चोट कुछ भी नहीं थी। उन्हें आराम कुर्सी में बिठाया गया। सब ठीक ठाक ही लग रहा था कि दूसरे दिन वो कौमा में चले गए और तीसरे दिन कौमा में ही उनकी मृत्यु हो गई। अस्पताल में हर दवाई और सुविधा थी पर बिना कुछ बात किए ही वो चल दिए। यह एक दुर्घटना ही थी जो रोकी ज सकती थी।

उमेश चन्द्र पाण्डेय, द्वारका, नई दिल्ली

सरल नहीं टीम इंडिया की राह

इंग्लैंड में ट्वेंटी-20 वर्ल्ड कप कुछ ही दिनों में शुरू होने वाला है। फटाफट क्रिकेट के इस फॉर्मेट में विश्व विजेता भारत को एक बार फिर खुद को अन्य टीमों से बेहतर साबित करना होगा। लेकिन इस बार धोनी के धुरंधरों का रास्ता आसान नहीं दिख रहा।  सहवाग और गंभीर का अपनी असली फॉर्म में न आ पाना टीम के लिए परेशानी का कारण हो सकता है। साफ है इस बार चुनौती पिछली बार से ज्यादा कड़ी है।

राज सक्सेना, चंडीगढ़

युवाओं का मार्गदर्शन जरूरी

युवाओं में हिंसक प्रवृत्ति बढ़ रही है। यह समाज के लिए खतरनाक संकेत है। युवा देश और समाज का भविष्य होते हैं। ऐसे में युवा शक्ित का प्रयोग निर्माण के कार्यो में होना चाहिए न कि विनाश कार्यो में। जरूरत है उस जोश को सही मार्ग देने की। इसी में देश का भला है।

रमेश सक्सेना, गढ़मुक्तेश्वर

तालिबान को मिटाना जरूरी

पाकिस्तान के स्वात घाटी में तालिबान के खिलाफ चल रही लड़ाई को और तेज करने की जरूरत है। तालिबान जसे कट्टरपंथी आतंकवादी संगठनों का नामोनिशां मिटा देना ही बेहतर है।

राम सिंह, मोहाली

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