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स्कूलों में ताला, ताश खेल रहे बच्चे

हते हैं शिक्षा की दुकान नहीं होती, यह साधना है, जो मनोयोग और लगन से ही हालिस हो सकती है। इंसान को इंसान बनानेवाली शिक्षा के विकास और गुणवत्ता के लिए क्या नहीं किये जा रहे, पर पारा शिक्षकों की...

 स्कूलों में ताला, ताश खेल रहे बच्चे
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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हते हैं शिक्षा की दुकान नहीं होती, यह साधना है, जो मनोयोग और लगन से ही हालिस हो सकती है। इंसान को इंसान बनानेवाली शिक्षा के विकास और गुणवत्ता के लिए क्या नहीं किये जा रहे, पर पारा शिक्षकों की राज्यव्यापी हड़ताल से स्कूलों में लटक गये हैं ताले। वहां पढ़नेवाले बच्चे आखिर क्या करं, समय काटे नहीं कटता, एसे में स्कूल में ही मंडली बनाकर आपस में ताश खेलकर समय काट रहे हैं।ड्ढr कुछ बच्चे स्कूल नहीं आ रहे, बल्कि स्कूल ड्रेस में ही कोई कबाड़ चुन रहा है, तो कोई माचिस की डिबिया को ताश बनाकर जुआ खेलता फिर रहा है। राज्य के करीब-करीब हर जिले के प्राइमरी और मिडिल स्कूलों का यही हाल है। बच्चों का सारा वक्त खेलने में जाया हो रहा है।ड्ढr स्कूल चलो अभियान और विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ देकर जिन बच्चों को स्कूल की कक्षाओं में काफी मशक्कत कर लाया गया था, हड़ताल के इन दस दिनों में उनका सारा ज्ञान सतही होने के कगार पर है। द्वितीय सावधिक परीक्षा सामने है। ऐसे में बच्चों को कोर्स कैसे पूरा होगा, यह अभिभावकों में चिंता का कारण बना हुआ है।

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