छठ पूजा 2017
केलवा जे फरेले घवद से उहे पर सुगा मंड़राए... मारबउ रे सुगवा धनुष से... कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए... होख न सुरुज देव सहइया बहंगी घाट पहुंचाए... पटना के घाट पर हमहूं अरघिया देबई हे छठी मइया... केलवा के पात पर उगेलन सुरुजदेव... आस्था की गहराइयों से निकले इन्हीं गीतों के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ मनाया जाता है। सूर्योपासना का यह चार दिवसीय महापर्व नहाए-खाए से शुरू होता है। अगले दिन व्रती दिनभर उपवास में रहकर गोधुली वेला में खरना करते हैं। उसके अगले दिन अस्ताचलगामी सूर्य और फिर अगली सुबह उगते सूरज को अर्घ्य प्रदान करने के साथ यह महापर्व संपन्न होता है। ऋग्वैदिक काल से सूर्योपासना होती आ रही है। चार दिवसीय छठ पर्व का प्रारम्भ कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी को और समापन कार्तिक शुक्ल पक्ष सप्तमी को होता है। इस बार चार दिवसीय अनुष्ठान 24 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। पढ़ें छठ पर हमारा विस्तृत कवरेज...