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अपेक्षाओं का अंत!

रात के समय एक दुकानदार अपनी दुकान बन्द कर ही रहा था कि एक कुत्ता दुकान में आया। उसके मुंह में एक थैली थी, जिसमें सामान की लिस्ट और पैसे थे। दुकानदार ने पैसे लेकर सामान उस थैली में भर दिया। कुत्ते ने...

अपेक्षाओं का अंत!
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 29 Nov 2015 09:02 PM
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रात के समय एक दुकानदार अपनी दुकान बन्द कर ही रहा था कि एक कुत्ता दुकान में आया। उसके मुंह में एक थैली थी, जिसमें सामान की लिस्ट और पैसे थे। दुकानदार ने पैसे लेकर सामान उस थैली में भर दिया। कुत्ते ने थैली मुंह में उठा ली और चला गया। दुकानदार आश्चर्यचकित होकर कुत्ते के पीछे-पीछे गया, यह देखने कि इतने समझदार कुत्ते का मालिक कौन है।

कुत्ता बस स्टॉप पर खड़ा रहा। थोड़ी देर बाद एक बस आई, जिसमें वह चढ़ गया।  कंडक्टर के पास आते ही अपनी गर्दन आगे कर दी। उसके गले की बेल्ट में पैसे और उसका पता भी था। कंडक्टर ने पैसे लेकर टिकट कुत्ते के गले की बेल्ट में रख दी।

अपना स्टॉप आते ही कुत्ता आगे के दरवाजे पर चला गया और पूंछ हिलाकर ड्राइवर को इशारा कर दिया। बस रुकते ही वह उतरकर चल दिया। दुकानदार भी पीछे-पीछे चल रहा था। कुत्ते ने घर का दरवाजा अपने पैरों से 2-3 बार खटखटाया।

अन्दर से उसका मालिक आया और उस पर गुस्सा करने लगा। दुकानदार ने मालिक से इसका कारण पूछा। मालिक बोला, क्या खाक समझदार है ये।  मेरी नींद खराब कर दी। चाबी साथ लेकर जाता तो मुझे उठकर आने की जरूरत ही नहीं होती। जीवन की भी यही सच्चाई है। लोगों की अपेक्षाओं का कोई अन्त ही नहीं होता।

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