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आधे यूपी का सियासी मिजाज बताएगा सातवां चरण

लगभग आधा उत्तर प्रदेश वोट डाल चुका है। आधा अभी बाकी है। अब राष्ट्रीय हिसाब से सातवें चरण के तहत बुधवार को प्रदेश की 14 लोकसभा सीटों वाले इलाके मतदान करेंगे। प्रदेश के हिसाब से यह चौथा चरण होगा जिससे...

आधे यूपी का सियासी मिजाज बताएगा सातवां चरण
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 29 Apr 2014 11:26 AM
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लगभग आधा उत्तर प्रदेश वोट डाल चुका है। आधा अभी बाकी है। अब राष्ट्रीय हिसाब से सातवें चरण के तहत बुधवार को प्रदेश की 14 लोकसभा सीटों वाले इलाके मतदान करेंगे।

प्रदेश के हिसाब से यह चौथा चरण होगा जिससे वह लोकसभा चुनाव के सबसे रोमांच भरे दौर में प्रवेश करेगा। कई मानकों और प्रतीकों की परीक्षा होगी। मंडल बनाम मंदिर वाली 1990 के दौर की राजनीति बुंदेलखंड, मध्य और अवध के इस क्षेत्र में फिर असर दिखाएगी या नहीं इसका भी फैसला होगा। इस चरण में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की रायबरेली सीट शामिल है। लखनऊ भी इसी चरण में है जहां से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह मैदान में हैं।

पश्चिमी यूपी में 10 और 17 अप्रैल के पहले दो चरणों के मतदान में कुल 21 सीटों पर जबरदस्त ध्रुवीकरण और नरेंद्र मोदी के नाम से बने माहौल का भाजपा को लाभ मिला। फिर 24 अप्रैल को जब ब्रज और मध्य यूपी की कुल एक दर्जन सीटों पर मतदान हुआ तो शुरुआती चरणों में हुए ध्रुवीकरण की व्यापकता में कमी आई। कई सीटों पर जातियों ने अपने पारंपरिक वोट व्यवहार पर ही अमल किया। खास तौर पर दलितों व पिछड़ी और अन्य पछड़ी जातियों ने। कई सीटों पर इन्होंने सपा और बसपा का पहले की तरह साथ दिया। हालांकि भाजपा ने कई जगहों पर इनमें सेंध लगाई लेकिन यह बड़े पैमाने पर नहीं हुआ।

अब 30 अप्रैल को होने वाला मतदान जाति की जय वाली पुरानी पटकथा लिखेगा, या 1996-1998 की तरह मंदिर की राजनीति वाले दौर वाला बर्ताव दुहराएगा, यह इस पर ही निर्भर करेगा कि भाजपा अबकी अपना उभार कहां तक ले जा पाएगी। यह देखा जाना है कि पश्चिम सरीखा ध्रुवीकरण का माहौल बुधवार को चौदह सीटों के लिए होने वाले मतदान और इसके बाद खांटी पूरब की 33 सीटों के लिए होने वाले मतदान में भी बनता है या नहीं। बुधवार वाली सीटों के इलाकों में मुस्लिम वोटर भी बड़ी संख्या में हैं। यह चरण भाजपा की इस मायने में भी परीक्षा लेगा कि वह यहां से पिछली बार की तुलना में कितनी सीटें बढ़ा पाती है। साल 2009 के चुनाव में भाजपा को इन 14 में से सिर्फ एक, लखनऊ की सीट मिली थी।

पिछली कसौटी पर यहां कांग्रेस की भी तगड़ी परीक्षा होगी क्योंकि इन 14 सीटों में सबसे ज्यादा छह सीटें उसने अपनी झोली में डाली थी। चार सीटों के साथ सपा और तीन के साथ बसपा क्रमश: दूसरे और तीसरे नंबर पर थी। पिछले चुनाव में कांग्रेस की इस सफलता का श्रेय यूपीए-1 सरकार की लोकलुभावन योजनाओं, खास तौर पर मनरेगा और किसानों की कर्ज माफी को दिया गया था। इस बार कांग्रेस के पास ऐसा कोई  पत्ता नहीं।

दरअसल पिछले कुछ वर्षों में ओबीसी-मुस्लिम और दलितों की प्रतिनिधि पार्टी बनकर उभरी सपा और बसपा यहां मजबूत रही हैं। जातियों का समीकरण इसकी बड़ी वजह रहा है। ये दोनों पार्टियां चौथे मोर्चे पर अपना गढ़ बचा ले गईं तभी अगले दो चरणों में मजबूती से मुकाबले में रह पाएंगी। लिहाजा मुलायम और मायावती की राजनीति का भी असल इम्तहान इसी दौर में है। मोदी को पिछड़ी जाति के नेता के रूप में प्रचारित करने की भाजपा की रणनीति की भी इसी दौर में परीक्षा होनी है। जो इलाके बुधवार को वोट करेंगे उनमें से कई पूर्व के चरणों में वोट डाल चुके इलाकों की तुलना में वाराणसी के ज्यादा करीब हैं। वहां मोदी के लडम्ने का आस-पास की सीटों पर भी असर पडम्ने का भाजपा का अनुमान कितना कामयाब होगा उसकी तस्दीक भी बुधवार को होगी।

आखिरी चरण में 329 उम्मीदवार
लखनऊ।
लोकसभा चुनाव के तहत यूपी में छठे व आखिरी चरण के लिए दाखिल 460 उम्मीदवारों में 116 प्रत्याशियों के नामांकन पत्र जांच के बाद सोमवार को खारिज कर दिए गए। 15 उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस ले लिए। इस प्रकार अब कुल 329 प्रत्याशी मैदान में रह गए हैं। सबसे ज्यादा प्रत्याशी वाराणसी लोकसभा सीट पर 43 हैं। जबकि सबसे कम 12 प्रत्याशी बासगांव में रह गए हैं।

चुनाव-चक्र
बुधवार को 14 सीटों के लिए मतदान होगा, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की रायबरेली सीट शामिल है
इसी चरण में लखनऊ सीट के लिए भी मतदान होगा जहां से भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह किस्मत आजमा रहे हैं

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