बदलाव का कार्यकाल
फिलाडेल्फिया में बुधवार की रात डेमोक्रेटिक कन्वेंशन में राष्ट्रपति बराक ओबामा का भाषण जाहिर तौर पर हिलेरी क्लिंटन की उम्मीदवारी का जश्न मनाने का एक अवसर था। हिलेरी ओबामा की विदेश मंत्री भी रह चुकी...
फिलाडेल्फिया में बुधवार की रात डेमोक्रेटिक कन्वेंशन में राष्ट्रपति बराक ओबामा का भाषण जाहिर तौर पर हिलेरी क्लिंटन की उम्मीदवारी का जश्न मनाने का एक अवसर था। हिलेरी ओबामा की विदेश मंत्री भी रह चुकी हैं और अब अमेरिका की पहली ऐसी महिला बन गई हैं, जिन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुना गया है।
हालांकि, मंच पर ओबामा की मौजूदगी एक असाधारण शख्स और राष्ट्रपति की विदाई का मौका भी था, जो इसलिए याद रखे जाएंगे कि उन्होंने मुखर होकर देश की बुनियाद की रक्षा की। उन्होंने बताया कि एक आम अमेरिकी के लिए इनके क्या अर्थ हैं। ओबामा का कार्यकाल बदलाव का काल रहा। मगर ह्वाइट हाउस में किसी अश्वेत का पहुंचना उन लोगों को नागवार गुजरा था, जो गोरी चमड़ी को काले से श्रेष्ठ मानते हैं, नागरिकता के आधार पर ओबामा के राष्ट्रपति बनने को गलत ठहराते हैं या सरकार-विरोधी मिलिशिया के हिमायती हैं। वे समय के साथ-साथ और अधिक बर्बर होते गए।
रिपब्लिकन पार्टी ने जिन डोनाल्ड ट्रंप को अपना उम्मीदवार बनाया है, उन्होंने इन भावनाओं को खुलकर भुनाने की कोशिश की है। नस्लवाद, विद्वेष और धार्मिक कट्टरता को वह लगातार सुलगा रहे हैं, जिसके कारण देश में सार्वजनिक बहसें जहरीली हो गई हैं। बुधवार की रात ओबामा ने एक खूबसूरत और भावनात्मक संदेश दिया। उनका यह भाषण 12 वर्ष पहले बतौर सीनेट उम्मीदवार दिए गए भाषण जैसा था, जिससे वह राष्ट्रीय फलक पर उभरे थे। तब उन्होंने अपनी अश्वेत केन्याई मां और श्वेत अमेरिकी पिता की चर्चा करते हुए ‘अनेकता में एकता’ पर खासा जोर दिया था। यह भावना उनके बाद के भाषणों में भी बनी रही।
त्रासदी और हताशा के समय भी उनमें यह आशा मजबूती से बनी रही कि यह देश नस्लवादी भेदभाव से बाहर निकलने में सक्षम है। हालांकि पिछले आठ वर्षों में वह अपनी तमाम कोशिशों के बाद भी इस विभेद को पूरी तरह पाटने में सफल नहीं हो सके हैं। उन्होंने इसके लिए माफी मांगी और अपनी विफलता पर दुख भी प्रकट किया। मगर ऐतिहासिक सच यह भी है कि ऐसे बदलाव आहिस्ता-आहिस्ता ही आते हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स, अमेरिका