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पढ़ने-पढ़ाने से दूर होता है स्मृतिलोप

डिमेंशिया का खतरा कम करने का शोधकर्ताओं ने नया नुस्खा सुझाया है। उनका कहना है कि लोग आमतौर पर स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई के बाद किताबों से नाता तोड़ लेते हैं, लेकिन जो लोग पढ़ने-लिखने और अध्यापन का काम करते...

पढ़ने-पढ़ाने से दूर होता है स्मृतिलोप
एजेंसीTue, 27 Jul 2010 06:15 PM
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डिमेंशिया का खतरा कम करने का शोधकर्ताओं ने नया नुस्खा सुझाया है। उनका कहना है कि लोग आमतौर पर स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई के बाद किताबों से नाता तोड़ लेते हैं, लेकिन जो लोग पढ़ने-लिखने और अध्यापन का काम करते रहते हैं, उन्हें डिमेंशिया का खतरा अपेक्षाकत कम होता है।

डिमेंशिया कोई एक बीमारी नहीं है। यह कई विशिष्ट लक्षणों के लिए इस्तेमाल होने वाला एक शब्द है। इन लक्षणों में स्मृतिलोप, समस्याओं को सुलझाने की कम क्षमता और भावनात्मक संयम खो देना शामिल है।

बहरहाल, ब्रिटेन और फिनलैंड के शोधकर्ताओं के एक दल का कहना है कि जो लोग अपनी औपचारिक पढ़ाई खत्म होने के बाद भी गाहे-बगाहे कुछ-कुछ पढ़ते रहते हैं, उनमें डिमेंशिया का खतरा अपेक्षाकत कम होता है। यह एक ऐसी गुत्थी है जिसे वैज्ञानिक लम्बे समय से सुलझाने की कोशिश करते रहे हैं।

इस नतीजे पर पहुंचने के लिए शोधकर्ताओं ने अलग-अलग आयुवर्ग के 872 लोगों के मस्तिष्कों का परीक्षण किया और पाया कि जो लोग अध्ययन जारी रखते हैं, वे अपने मस्तिष्क में आए बदलावों से बेहतर तरीके से निपटने में सक्षम होते हैं।

शोधकर्ताओं की मानें तो डिमेंशिया पर हुए अध्ययनों का सार है कि जो लोग अध्ययन-अध्यापन से जुड़ी गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं और ज्यादा से ज्यादा समय इसमें बिताते हैं, उन्हें डिमेंशिया होने का खतरा कम होता है।

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