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इराक पर सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार है अमेरिका

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने गुरुवार को कहा कि जरूरत पड़ने पर अमेरिका इराक पर निर्धारित एवं सीमित सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार है। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिकी सेना इराक नहीं...

इराक पर सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार है अमेरिका
एजेंसीFri, 20 Jun 2014 09:42 AM
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अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने गुरुवार को कहा कि जरूरत पड़ने पर अमेरिका इराक पर निर्धारित एवं सीमित सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार है। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिकी सेना इराक नहीं जाएगी। ओबामा ने सुन्नी आतंकवाद से ग्रस्त इराक पर अमेरिका के रुख की घोषणा करते हुए कहा कि इराकी सेना की सहायता के लिए 300 सैन्य सलाहकारों को इराक भेजा जाएगा।

उन्होंने कहा कि इराक में सभी समुदायों की भागीदारी की सरकार बनाने सहित कई द्विपक्षीय मांगों के लिए विदेश मंत्री जान कैरी को भी वहां भेजा जाएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने इराक संकट पर राष्ट्रीय सुरक्षा दल के साथ एक बैठक के बाद कहा कि सैन्य सलाहकार इराकी सेना को प्रशिक्षित करेंगे। खुफिया सूचनाएं एकत्र करेंगे तथा संभावित लक्ष्यों की पहचान करेंगे।

ओबामा ने कहा कि इराक में गृहयुद्ध को रोकना अमेरिकी हित में है तथा यह सुनिश्चित करना है कि अमेरिका पर हमला करने की योजना बनाने वाले आतंकवादियों के लिए यह सुरक्षित पनाहगार नही बने। कुछ सहयोगियों द्वारा प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी को हटाने की मांग पर उन्होंने कहा, ‘इराक के नेता का चुनाव करना हमारा काम नही है।

इस दौरान ओबामा ने स्पष्ट किया कि सैन्य सलाहकार लड़ाकू सैनिक नहीं है और उनकी जिम्मेदारी अलग है।’ ओबामा प्रशासन मलिकी से नई सरकार में सुन्नी और कुर्द समुदाय के लोगों को शामिल करने की भी मांग करेगा। इससे पहले ओबामा ने विद्रोहियों के खिलाफ हवाई हमले के इराक के अनुरोध पर सैन्य कमांडरों और सांसदों से राय मशविरा किया।

अमेरिका यह भी चाहता है कि गृहयुद्ध की कगार पर खड़े इराक में सुन्नी विद्रोहियों की बगावत खत्म करने और दोनों पक्षों में शांति और सुलह के लिए प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी को पद छोड़ देना चाहिए। वॉल स्ट्रीट जरनल के मुताबिक, सीधे तौर पर ऐसी मांग नहीं की गई है लेकिन व्हाइट हाउस का मानना है कि मलिकी सुन्नी अल्पसंख्यकों के साथ सियासी सुलह और राजनीतिक स्थिरता कायम रखने में नाकाम रहे हैं।

लिहाजा नई सरकार का गठन किया जिसमें सुन्नी और कुर्द समुदाय को भी समुचित प्रतिनिधित्व मिले। इससे जातीय तनाव से बंटवारे के कगार पर खड़े देश को बचाया जा सके। केरी ने भी गुरुवार को कहा कि अमेरिका सभी इराकियों की मदद करना चाहता है, न कि मलिकी की।

उन्होंने मलिकी के अलावा सुन्नी संसदीय दल के नेता और स्वायत्तशासी कुर्द प्रशासन के अध्यक्ष से भी फोन पर बातचीत कर स्पष्ट किया कि अमेरिका एकतरफा कार्रवाई नहीं करेगा।
उधर, इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की सऊदी अरब में हुई बैठक में भी सांप्रदायिक हिंसा को लेकर इराकी पीएम पर निशाना साधा गया। यूएई ने तो अपने राजनयिक को ही वापस बुला लिया है। हालांकि अमेरिका को चिंता है कि जरूरत से ज्यादा दबाव से मलिकी की ईरान से नजदीकी बढ़ सकती है।

इस्तीफे की शर्त स्वीकार नहीं : मलिकी
बगदाद। इराक में विद्रोही गुटों पर हवाई हमले के लिए प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी को इस्तीफे की शर्त स्वीकार नहीं है। उन्होंने कहा कि विद्रोहियों पर तुरंत कार्रवाई की जरूरत है। मलिकी के प्रवक्ता जुहैर अल नाहर ने कहा कि सरकार में बदलाव की मांग की बजाय चरमपंथी गुटों के खिलाफ इराकी सरकार की सैन्य कार्रवाई में पश्चिमी देशों को तुरंत सहयोग करना चाहिए।

रिफायनरी पर सरकार ने किया नियंत्रण का दावा
बगदाद। बैजी रिफायनरी पर सुन्नी विद्रोहियों के कब्जे के दावे के उलट इराकी सेना ने दावा किया है कि देश की सबसे बड़ी तेल रिफायनरी पर अभी भी उसका नियंत्रण है। प्रधानमंत्री के सुरक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल कासिम अता ने कहा कि रिफायनरी पर पूरी तरह सरकार का नियंत्रण है और विद्रोहियों को मुंहतोड़ जवाब दिया गया है।

रिफायनरी में मौजूद एक कर्मी का भी कहना है कि इराकी सेना अभी भी रिफायनरी के अंदर मौजूद है, हालांकि विद्रोहियों ने भी रिफायनरियों के कुछ हिस्से पर नियंत्रण बना लिया है। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि रिफायनरी के एक टॉवर पर विद्रोहियों का काला झंडा लहरा रहा है। बैजी रिफायनरी को विद्रोहियों के चंगुल से बचाने के लिए इराकी सरकार ने आतंक रोधी यूनिटें और मशीनगनों से लैस हेलीकॉप्टरों को तैनात किया है। मलिकी ने रिजर्व फोर्स को भी सक्रिय सेवा के लिए बुला लिया है।

भारत ने तैयार की आपात योजना
नई दिल्ली। अगर इराक में संकट बढ़ा तो भारत मध्यपूर्व के अन्य देशों से निर्यात बढ़ा सकता है। अभी सऊदी अरब के बाद इराक भारत को सबसे ज्यादा तेल की आपूर्ति करता है। इराक ने 2013-14 में भारत की तेल जरूरत का करीब 13 फीसदी (251 लाख मीट्रिक टन) निर्यात किया था। इस साल भी करीब इतनी ही आपूर्ति की संभावना है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने इसी के तहत अधिकारियों से आपात योजना तैयार करने को कहा है।

190 मीट्रिक टन क्रूड ऑयल आयात किया 2013-14 में भारत ने
25.1 मीट्रिक टन इराक और 38.1 मीट्रिक टन सऊदी अरब से

इराक से कच्चे तेल का निर्यात
(हजार बैरल प्रतिदिन)
देश-जनवरी से अप्रैल
(2014-2013-2012)
चीन-604-472.2-314
भारत-578.1-561.4-473.1
द. कोरिया-118.9-253.2-259.7

बैजी रिफायनरी पर हमले से असर
इराक दूसरे देशों को कच्चे तेल का निर्यात दक्षिणी इलाकों की और खासकर बसरा रिफायनरी से करता है, जहां अभी शांति कायम है। लेकिन राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी तो तेल उत्पादन पर असर पड़ेगा। ऐसे में बैजी रिफायनरी अगर विद्रोहियों के नियंत्रण में आ भी गई तो अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में आपूर्ति पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

बैजी रिफायनरी से किसी पेट्रोलियम उत्पाद का निर्यात नहीं किया जाता। हालांकि कच्चे तेल के दाम प्रति बैरल जरूर बढ़ गए हैं। भारत के आयात में एक तिहाई से ज्यादा पेट्रोलियम पदार्थो की हिस्सेदारी है। इससे व्यापार घाटा बढ़ेगा और सब्सिडी का बोझ भी बढ़ेगा।

1.बसरा का 50 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल एशियाई देशों को निर्यात किया जाता है। इस वजह से मध्यपूर्व में संकट आने पर भारत जैसे देशों में असर पड़ता है।
2.बसरा केंद्र के लाइट क्रूड आयल की 50 फीसदी से ज्यादा मात्रा इस साल भारत और चीन ने आयात किया है।

इराक में कहां से कितना उत्पादन

बैजी, बसरा व बगदाद की दौरा रिफायनरी महत्वपूर्ण
3,10000 बैरल रोजाना बैजी से तेल उत्पादन
1,40000 बैरल रोजाना उत्पादन बसरा यूनिट से
2,10000 बैरल रोजाना उत्पादन दौरा से
33 फीसदी तेल उत्पादन इराक की कुल क्षमता का
03 महत्वपूर्ण और 11 छोटी रिफायनरी देश में

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