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प्राथमिक शिक्षा में भारत ने बड़ी कामयाबी पाई

संयुक्त राष्ट्र ने एक अध्ययन की रिपोर्ट में कहा है कि भारत ने अपने बच्चों को प्राथमिक शिक्षा मुहैया कराने में असरदार तरक्की की है। जबकि निम्न माध्यमिक शिक्षा में ऐसे नतीजों के लिए वह अब भी संघर्षरत...

प्राथमिक शिक्षा में भारत ने बड़ी कामयाबी पाई
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 07 Jul 2015 08:19 PM
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संयुक्त राष्ट्र ने एक अध्ययन की रिपोर्ट में कहा है कि भारत ने अपने बच्चों को प्राथमिक शिक्षा मुहैया कराने में असरदार तरक्की की है। जबकि निम्न माध्यमिक शिक्षा में ऐसे नतीजों के लिए वह अब भी संघर्षरत है और वहां अब भी ऐसे किशोरों की संख्या अधिक है जो स्कूल नहीं पहुंच सके हैं।

यह अध्ययन यूनेस्को और एजुकेशन फॉर ऑल ग्लोबल मॉनिटरिंग रिपोर्ट द्वारा किया गया है। इसकी रिपोर्ट के अनुसार, भारत नि:शक्त बच्चों को भी मुख्यधारा के स्कूलों में पढ़ने की सुविधा मुहैया कराने का प्रयास कर रहा है। वह वित्तीय संसाधन मुहैया करा रहा है और स्कूल के बुनियादी ढांचे को उनके अनुकूल बना रहा है। इसके अलावा, समावेशी शिक्षा के लिए स्कूल समूहों को सहयोग प्रदान करने के लिए संसाधन केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। शिक्षकों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है।

इस बीच, सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों पर एशिया प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक संचार द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया, भारत पहले ही प्राथमिक स्कूल प्रवेश में लैंगिक सामानता हासिल कर चुका है। जबकि 2015 तक माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा में समानता हासिल करने की संभावना है। हालांकि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की साक्षरता दर अब भी काफी पीछे है।

गरीबी घटाने में भी भारत की सराहना
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि दुनिया से गरीबी कम करने में भारत और चीन ने केंद्रीय भूमिका निभाई है। साल 1990 के बाद से अब तक एक अरब से अधिक लोगों को अत्यधिक गरीबी की स्थिति से उबारा जा चुका है।

विश्व संस्था ने एक रिपोर्ट में कहा, संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दि विकास लक्ष्य ने विश्व को अब तक के इतिहास का सबसे सफल गरीबी उन्मूलन अभियान दिया है। इसके तहत अत्यधिक गरीबी वाली आबादी का अनुपात आधा करने का लक्ष्य 2015 की समयसीमा से पांच साल पहले पा लिया गया था। वैश्विक स्तर पर अत्यधिक गरीबी का स्तर 2011 में 15 फीसदी रह गया जो 1990 में 36 फीसदी था। अब यह आंकड़ा घटकर 12 फीसदी रह गया है।

रिपोर्ट में कहा गया कि उपरोक्त अवधि में दक्षिण एशिया में अत्यधिक गरीबी 52 फीसदी से घटकर 17 प्रतिशत रह गई। भारत आधिकारिक आंकड़ों में गरीबी को घटाकर आधा करने का लक्ष्य पहले ही हासिल कर चुका है। वह अंतरराष्ट्रीय आंकड़ों के अनुरूप ऐसा करने के करीब है। रोजाना 1.25 डॉलर से कम पर जीवन-निर्वाह करने वालों को वैश्विक स्तर पर अत्यधिक गरीब माना जाता है।
  
भारत की चुनौती

- यह विश्व की एक तिहाई कुपोषित आबादी, 1/3 खाद्य असुरक्षित लोगों का घर है
- विश्व के औसत से कम वजन के लगभग एक तिहाई बच्चे भारत में रहते हैं

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