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साझा मुद्दों पर ब्रिक्स नेताओं से बात करेंगे मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली बहु-पक्षीय वार्ता ब्रिक्स समूह के नेताओं के साथ होगी जिसमें वह ब्रिक्स विकास बैंक की स्थापना और इसमें इस समूह के सभी देशों की बराबर की हिस्सेदारी के मुद्दे को शीर्ष...

साझा मुद्दों पर ब्रिक्स नेताओं से बात करेंगे मोदी
एजेंसीMon, 14 Jul 2014 03:42 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली बहु-पक्षीय वार्ता ब्रिक्स समूह के नेताओं के साथ होगी जिसमें वह ब्रिक्स विकास बैंक की स्थापना और इसमें इस समूह के सभी देशों की बराबर की हिस्सेदारी के मुद्दे को शीर्ष प्राथमिकता देंगे। विकसित देशों विकास में वित्तीय योगदान के लिए प्रस्तावित इस बहुपक्षीय वित्तीय संस्थान में भारत बराबर की हिस्सेदारी के पक्ष में है। भारत नहीं चाहता कि इसमें वही विसंगति धुस जाए जो ब्रिटन वुडस संस्थाओं अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, विश्व बैंक और एशियायी विकास बैंक (एडीबी) में है जहां अमेरिका और जापान जैसे देशों का वर्चश्व है।

ब्राजील के इस पूर्वोत्तरीय तटीय नगर में कल ब्रिक्स सम्मेलन से पहले मोदी चीन के प्रधानमंत्री शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलेंगे और इस सम्मेलन के मौके नए विकास बैंक से जुड़े मामलों पर चर्चा करेंगे।

मोदी ने नई दिल्ली में इस यात्रा के लिए रवाना होने से पहले कहा था कि भारत ब्रिक्स के एक नए विकास बैंक तथा आकस्मिक आरक्षित (कंटीन्जेंट रिजर्व) व्यवस्था की स्थापना के कदम को लेकर काफी उत्सुक है। प्रधानमंत्री फोर्टलेजा में 15-16 जुलाई को आयोजित छठे ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने के लिए ब्राजील के राष्ट्रपति डिल्मा रौसेफ के आमंत्रण पर ब्राजील जा रहे हैं। मोदी के साथ एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल है जिसमें वित्त राज्य मंत्री निर्मला सीतारमन, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एके डोभाल, विदेश सचिव सुजाता सिंह और वित्त सचिव अरविन्द मायाराम शामिल हैं।

वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था में सुधार के संबंध में इस सम्मेलन की संभावित पहल के संबंध में इन नेताओं से चर्चा करेंगे। सूत्रों ने बताया कि भारत का प्राथमिक लक्ष्य है प्रस्तावित ब्रिक्स विकास बैंक में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका-पांचों सदस्यों के शेयर बराबर बराबर हों।
    
ब्रिक्स विकास बैंक की अवधारणा 2012 में दिल्ली में तैयार हुई थी और पिछले साल डर्बन (दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन में इसे मंजूरी मिली थी। इसकी स्थापन 50 अरब डालर के शुरूआती कोष से होनी है। नए सदस्यों के शामिल होने पर इसकी
इक्विटी पूंजी बढा कर 100 अरब डालर की जा सकती है।
    
शुरूआती 50 अरब डालर के कोष में भारत सभी सदस्यों का 10-10 अरब डॉलर का बराबर अंशदान चाहता है। ऐसा इसलिए है कि भारत यह नहीं चाहता कि विकास बैंक आईएमएफ और विश्वबैंक के खामियों भरे स्वामित्व पैटर्न की गिरफ्त में आए। इन संस्थाओं में जो ज्यादा धन दे रहा है वही चीजों को चलता है।
    
प्रस्तावित बैंक की अध्यक्षता और इसका नाम भी  भारत के लिए प्राथमिकता का मुददा है। निश्चित तौर पर भारत चाहेगा कि इसे नया विकास बैंक (न्यू डेवलपमेंट बैंक) कहा जाए जिसकी चर्चा कल यहां जारी प्रस्थान पूर्व बयान में की गई है।
    
मोदी के कल के प्रस्थान वक्तव्य में कहा गया है, मैं ब्रिक देश के बीच आर्थिक सहयोग तथा वैश्विक आर्थिक स्थिरता एवं संपन्नता को आगे बढ़ाने के दिशा में हमारे सामूहिक प्रयासों को और आगे बढाने की चर्चा की भी उम्मीद करता हूं। मुझे उम्मीद है कि विशेष कर नया विकास बैंक और विदेशी विनिमय के आपात कोष के प्रबंध (कंटिंजेंट रिजर्व अरेंजमेंट) जैसी ब्रिक्स की कुछ बड़े प्रयास सफलतापूर्वक सम्पन्न होंगे। 2012 में भारत में पहल के बाद इन प्रयासों में उल्लेखनीय प्रगति देखी गई है।
    
उन्होंने कहा इन पहलों से ब्रिक्स में वृद्धि और स्थिरता को बल मिलेगा और अन्य विकासशील देशों को भी इससे फायदा होगा। भारत चाहता है कि बैंक की स्थापना की प्रक्रिया सामान्य हो न कि जटिल हो। चीन और रूस के राष्ट्रपतियों के साथ बैठक के दौरान द्विपक्षीय मामलों पर चर्चा हो सकती है लेकिन किसी बड़े मामले पर चर्चा होने की संभावना नहीं है क्योंकि यह मूल रूप से जान-पहचान वाली मुलाकात होगी।
    
शी और पुतिन दोनों ही इस साल क्रमश: सितंबर और नवंबर-दिसबंर में भारत यात्रा पर आने वाले हैं। शी के साथ मोदी की यह पहली मुलाकात होगी जबकि पुतिन से वह इससे पहले मिल चुके हैं। मोदी, चीन के साथ सीमा पर शांति बरकरार रखने की जरूरत पर बल दे सकते हैं ताकि द्विपक्षीय समस्याएं सौहार्द्रपूर्ण तरीके से सुलझाई जा सकें।
    
चीन के नेता के साथ द्विपक्षीय व्यापार पर भी चर्चा होगी और भारत मौजूदा व्यापार असंतुलन को दूर करने का इच्छुक है। मोदी चीन द्वारा भारत में निवेश किए जाने के भी इच्छुक हैं।
    
रूस चाहेगा कि भारत द्विपक्षीय संबंध में सकारात्क रक्षान बरकरार रखे जिसकी बुनियादी पिछले सरकारों ने रखी है। रूस प्रौद्योगिकी मुहैया कराने का भी इच्छुक है और वह भारत में असैन्य परमाणु संयंत्र की स्थापना के लिए नयी जगह की भी तलाश करना चाहता है क्योंकि पश्चिम बंगाल में हरिपुर की बात नहीं बन पा रही है।
    
कुडनकुलम संयंत्र 3 और 4 पर परमाणु उत्तरदायित्व से जुड़े मामलों को सुलक्षा लिया गया है। ब्रिक्स सम्मेलन की विषय-वस्तु समावेशी वृद्धि: संपुष्ट विकास से भारत को 2015 के बाद का विकास एजेंडा तय करने में मदद मिलेगी जिसकी चर्चा संयुक्त राष्ट्र में हो रही है।
    
प्रधानमंत्री के साथ एक उच्चस्तरीय शिष्टमंडल है जिनमें वित्त राज्य मंत्री निर्मला सीतारमण, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ए के डोभाल, विदेशी सचिव सुजाता सिंह और वित्त सचिव अरविंद मायाराम शामिल हैं।

 

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